भोपाल। सरकार ने इंदौर में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और भोपाल में बहुमंजिला इमारत में लिफ्ट गिरने पर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए कमेटी का गठन कर दिया है, जबकि लापरवाही होने पर जिम्मेदारी पहले से तय है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग में छह महीने पहले लिफ्ट से जुड़े नियमों में बदलाव किया गया था। ये साफ है कि लिफ्ट इंजीनियर के नहीं होने पर नगर निगम आयुक्त और बिल्डर जिम्मेदार होंगे। इन नियमों को अमल में लाने अफसर नगरीय निकायों में आदेश भेजना भूल गए, जिस पर नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने फटकार लगाई है।
प्रदेश में भूमि विकास नियमों में लिफ्ट लगाने के प्रावधान थे, लेकिन लिफ्ट लगाने की गुणवत्ता और सुपरविजन से जुड़ी जिम्मेदारी की व्यवस्था नहीं थी। दूसरे राज्यों की तरह हादसों से सबक लेकर मप्र भूमि विकास नियम, 2012 के नियम 83 में 28 सितंबर 2020 को संशोधन किए गए थे। इसके पालन के लिए नगरीय विकास विभाग से नगरीय निकायों तक कोई आदेश जारी नहीं किए गए। अब इंदौर-भोपाल की घटनाओं के बाद खुलासा होने पर सरकार जागी है।
नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अफसरों को फटकार लगाई है, कि नियम बनने के बाद जिम्मेदारी तय क्यों नहीं हुई। अब 24 फरवरी को आदेश जारी कि गए है, जिसमें निगमायुक्त की जिम्मेदारी तय की गई है।
लिफ्ट की सुरक्षा से जुड़े नियमों का पालन नहीं हो रहा था। इसके आदेश जारी करने के साथ ही सभी निगमायुक्तों को कड़ाई से पालन के निर्देश जारी कर दिए। निगमायुक्त और सीएमओ की जिम्मेदारी तय की गई है।
- भूपेंद्र सिंह, नगरीय विकास मंत्री
निकायों को अधिकार ही पता नहीं- लाइसेंस निरस्त, बिल्डर्स पर कार्रवाई, जुर्माना और लिफ्ट सील कर सकते हैं
नए नियमों के मुताबिक किसी भी व्यवसायिक और रहवासी इमारत में लिफ्ट इंजीनियरों को हर छह महीने में नियमित सर्विस करना चाहिए। इंजीनियरों को तकनीकी दक्षता का नियमित परीक्षण करना होगा। नगरीय निकायों के पास नियमों का पालन नहीं होने पर लाइसेंस निरस्त करने, बिल्डर्स पर कार्रवाई, जुर्माना और लिफ्ट सील करने जैसे अधिकार है। इतना सब होने के बाद भी नगरीय निकायों को अधिकार पता नहीं है।
नियमों में ये बदलाव भी हो चुके
- नगर निगम और नगर पालिका में बिल्डिंग परमिशन में जिस तरह आर्किटेक्ट की भूमिका होती है, वैसे लिफ्ट इंजीनियर की होगी। किसी भी नई इमारत के लिए लिफ्ट, एस्केलेटर्स या मूविंग वाल्कस लगने के पहले नक्शा मंजूरी के आवेदन में लगेगा। लिफ्ट इंजीनियर के हस्ताक्षर होंगे। किसी भी बड़े भवन में लिफ्ट इंजीनियर के पास लिफ्ट लगाने का सुपरविजन रहेगा।
- कॉलोनाइजर्स और बिल्डर्स प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद इमारत को हेंडओवर करते ही जिम्मेदारी से मुक्त हो जाते है। बाद में लिफ्ट खराब होने और गिरने पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाती थी। नियमों में अब कोई घटना पर बच नहीं सकता है।
- लिफ्ट इंजीनियर का लाइसेंस लेने की योग्यता किसी मान्यता प्राप्त विश्व विद्यालय या संस्थान से इलेक्ट्रिकल/मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री या इसके समकक्ष, लिफ्टों के संस्थापन निर्माण एवं परीक्षण समेत इलेक्ट्रिकल/मैकेनिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में कम से कम 5 से 10 साल का अनुभव जरूरी होगा।