नई दिल्ली। कृषि कानूनों का विरोध कर रहे 40 किसान संगठनों ने आज दोपहर 12 से 3 बजे तक देशभर में चक्काजाम का ऐलान किया है। उनका दावा है कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहेगा। जरूरी सेवाओं जैसे एंबुलेंस, स्कूल बस को नहीं रोका जाएगा। दिल्ली-NCR, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को इस जाम से अलग रखा गया है। इस बीच, दिल्ली में एहतियातन चार मेट्रो स्टेशन बंद कर दिए गए हैं। पुलिस ने यहां 12 मेट्रो स्टेशन को अलर्ट जारी किया है। दिल्ली में कुल 285 मेट्रो स्टेशन हैं।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि दिल्ली में तो हर दिन जाम जैसे हालात रहते हैं, ऐसे में यहां जाम की क्या जरूरत है। हालांकि, उन्होंने यूपी और उत्तराखंड को इससे अलग रखने की वजह नहीं बताई। यह जरूर कहा कि इन दोनों राज्यों से किसानों को स्टैंडबाई पर रखा गया है और उन्हें किसी भी वक्त बुलाया जा सकता है।
गलती से सबक लिया और सुरक्षा ज्यादा कड़ी कर दी गई
26 जनवरी को दिल्ली में हुई हिंसा की वजह से प्रशासन ज्यादा अलर्ट है। दिल्ली-NCR में पुलिस, पैरामिलिट्री और रिजर्व फोर्स के 50 हजार जवानों को तैनात किया गया है। दिल्ली में तैनात CRPF की सभी यूनिट्स से कहा गया है कि वे अपनी बसों पर लोहे की जाली लगा लें, ताकि पथराव की स्थिति में बचा जा सके।
चक्काजाम का ऐलान क्यों किया गया?
एक फरवरी को पेश किए बजट में किसानों की मांग की अनदेखी करने और दिल्ली की सीमा पर हो रहे आंदोलन की जगहों पर इंटरनेट बंद किए जाने के खिलाफ ये चक्काजाम हो रहा है। किसान संगठनों का कहना है कि 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली के बाद से कई किसानों के ट्रैक्टर जब्त कर लिए गए हैं। दिल्ली बॉर्डर के आसपास की जगहों को पूरी तरह ब्लॉक किया जा रहा है। इन सबके खिलाफ ये जाम होगा।
फोटो सिंघु बॉर्डर की है। यहां सीमेंट के बैरिकेड के ऊपर कंटीले तार भी लगा दिए गए हैं, ताकि न भारी वाहन इसे पार कर सकें और न ही पैदल आ रहे आंदोलनकरी।
किसान नेताओं की शांति की अपील
- राकेश टिकैत: कुछ ताकतें आंदोलन को बदनाम करना चाहती हैं। 26 जनवरी को भी ऐसा हुआ था। इस बार और ज्यादा सजग रहने की जरूरत है। नजर रखें और साजिश करने वालों से बचें।
- दर्शनपाल: आंदोलन में लंबा चलने के लिए युवाओं का साथ जरूरी है। युवा अपने गुस्से पर काबू रखें। कोई भी पुलिस या किसी अधिकारी से टकराव न करें।
- बलबीर सिंह राजेवाल: शांति से ही जीत मिलेगी। कुछ लोग चाहते हैं कि हिंसा हो, इसलिए ज्यादा सतर्क रहें।
- गुरनाम सिंह चढ़ूनी: हमने अपने लोगों को मैसेज और फोन करके शांति बनाए रखने के लिए कहा है। सभी को यही बताया कि संयम रखेंगे तो ही शांति रहेगी।
गाजीपुर बॉर्डर पर जिस जगह पुलिस ने सड़क पर कीलें लगाई हैं, वहीं पर किसानों ने शुक्रवार शाम मिट्टी डलवा दी। कहा कि सरकार कीलों के रूप में कांटे बिछा रही है, हम इसी जगह फूल लगा रहे हैं।
UP, राजस्थान में किसान पंचायतें हुईं, शामली में जुटे हजारों किसान
आंदोलन को मजबूती देने के लिए शुक्रवार से उत्तर प्रदेश और राजस्थान में किसान पंचायतों की सीरीज शुरू की गई, जो फरवरी के आखिर तक चलेगी। इनका आयोजन राष्ट्रीय लोक दल (RLD) की तरफ से किया जा रहा है। RLD ने पिछले हफ्ते किसान आंदोलन को समर्थन देने का ऐलान किया था।
RLD के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी ने गुरुवार को कहा कि किसान पंचायतों का मकसद सरकार को यह बताना है कि यह एक बड़ा आंदोलन है। इसमें राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी बनती है कि वे किसानों तक पहुंचें और दूसरे लोगों को भी इस मुद्दे की संवेदनशीलता बताएं। जयंत चौधरी ने शामली में हुई एक खाप पंचायत के दौरान यह बात कही। इस खाप में भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष नरेश टिकैत भी मौजूद थे। शामली में हजारों की संख्या में किसान खाप में शामिल हुए।
किसानों के मसले पर लोकसभा में हंगामा, दो बार स्थगित की गई
लोकसभा में विपक्षी दलों ने शुक्रवार को नए कृषि कानून वापस लेने के लिए नारेबाजी की। हंगामे के चलते दिनभर में दो बार सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। गुरुवार को भी 9 विपक्षी दलों के 12 सांसदों ने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को चिट्ठी लिखकर कृषि कानूनों पर सदन में अलग से चर्चा की मांग रखी थी।
सिंघु बॉर्डर पर लौटा 26 जनवरी की हिंसा का आरोपी सिधाना
गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड में हिंसा भड़काने का आरोपी लक्खा सिधाना किसानों के देशव्यापी चक्काजाम से पहले पंजाब से दिल्ली लौट आया। लक्खा ने शुक्रवार शाम सिंघु बॉर्डर से ही सोशल मीडिया पर लाइव किया। उसने कहा कि पंजाब को ही इस किसान आंदोलन की अगुआई करनी चाहिए। उसने किसान नेताओं से भी अपील की है कि किसी को भी 32 जत्थेबंदियों की कमेटी से बाहर ना किया जाए।