प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी असम की तेजपुर यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने कहा- ऑस्ट्रेलिया में भारतीय क्रिकेट टीम ने जिस तरह वापसी करते हुए जीत दर्ज की। उससे युवा खिलाड़ियों का जोश पता चला। हमें आगे बढ़ने के लिए रिस्क लेना पड़ेगा, निडर होना पड़ेगा।"
मोदी के भाषण की खास बातें
तेजपुर यूनिवर्सिटी के इनोवेशन प्रेरणा देते हैं
प्रधानमंत्री ने कहा कि इनोवेशंस स्थानीय समस्याओं को सुलझाने के काम आ रहे हैं। आपने पीने के पानी को साफ करने की टेक्नोलॉजी पर काम किया है, इसका फायदा असम के लोगों को मिल रहा है। आपकी ये शोहरत कई राज्यों तक पहुंची है। मैंने आपकी यूनिवर्सिटी के कामों के बारे में जाना तो बहुत आश्चर्य हुआ। आपके हॉस्टल चराईदेव, कंचनजंघा जैसी चोटियों के नाम पर हैं। ये बताते हैं कि जीवन भी ऊंचाइयों पर चढ़ने जैसा है।
भारतीय क्रिकेट टीम ने ऑस्ट्रेलिया में देश का टेम्परामेंट दिखाया
आपने देखा होगा कि कोरोना काल में आत्मनिर्भर अभियान हमारे सपनों के अंदर घुल मिल गया है। हमारे प्रयास, सिद्धि हम अनुभव कर रहे हैं। लेकिन ये अभियान है क्या? क्या बदलाव फिजिकल स्ट्रक्चर में है? सबसे बड़ा बदलाव इंस्टिंक्ट का है। हर समस्या से निपटने के लिए देश का मिजाज बदल चुका है। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया टूर में देश का टेम्परामेंट देखने को मिला। पहले मैच में बुरी हार हुई, लेकिन बाद में युवा खिलाड़ियों ने चैलेंज का सामना किया। नए समाधान तलाशे।
खिलाड़ियों ने सबक दिया कि एबिलिटी पर भरोसा होना चाहिए
कुछ खिलाड़ियों में अनुभव कम जरूर था, पर हौसला बुलंद था। मौका मिला तो उन्होंने इतिहास बना दिया। मैदान पर खिलाड़ियों की ये परफॉर्मेंस एक लेसन है- एबिलिटी पर विश्वास होना चाहिए। पॉजिटिव एटीट्यूड से आगे बढ़ते हैं तो नतीजा भी पॉजिटिव होगा। अगर निकल जाने का ऑप्शन हो या जूझने का ऑप्शन हो तो दूसरा चुनना चाहिए। हमारे अंदर जो डर होता है, उससे निकलना होगा। आप भी आत्मविश्वास से भरे हैं। कोरोना की लड़ाई में आपने बहुत मजबूती दी है।
देश की आजादी में असम का बड़ा योगदान
भूपेन हजारिका दा के साथ ही ज्योति प्रसाद अग्रवाल और विष्णु प्रसाद तेजपुर की पहचान रहे हैं। आप इनकी कर्मभूमि-जन्मभूमि में पड़े हैं, इसलिए आपमें गर्व का भाव होना और गौरव के कारण आत्मविश्वास से भरा जीवन होना बहुत स्वाभाविक है। हमारा देश इस बार आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। सैकड़ों वर्षों की गुलामी से आजादी दिलाने में असम के लोगों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने अपना जीवन दे दिया, जवानी खपा दी।