देश के 33 राज्यों के 736 जिलों में आज कोरोना वैक्सीनेशन के ड्राई रन का दूसरा फेज चल रहा है। इसका मकसद यह है कि रियल वैक्सीनेशन शुरू करने से पहले पता चल जाए कि क्या-क्या दिक्कतें आ सकती हैं। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ड्राई रन का जायजा लेने के लिए आज तमिलनाडु के दौरे पर हैं। उन्होंने कहा है कि अगले कुछ दिनों में हम देश के लोगों को कोरोना की वैक्सीन लगाना शुरू कर पाएंगे। ड्राई रन कैसे चल रहा? ड्राई रन की प्रोसेस में वैक्सीनेशन के अलावा चार स्टेप्स शामिल हैं। इनमें 1. बेनीफिशियरी (जिन लोगों को डमी वैक्सीन लगाई जानी है) की जानकारी, 2. जहां वैक्सीन दी जानी है उस जगह की डिटेल, 3. मौके पर डॉक्यूमेंट्स का वेरिफिकेशन और 4. वैक्सीनेशन की मॉक ड्रिल और रिपोर्टिंग की जानकारी अपलोड करना शामिल है। ड्राई रन की लिस्ट में शामिल लोगों को डमी वैक्सीन दी जा रही है। इस दौरान वैक्सीनेशन शुरू करने के लिए जरूरी इंतजामों का रिव्यू किया जा रहा है। हर सेंटर पर तीन कमरे बनाए गए हैं। पहला कमरा वेटिंग के लिए। इसमें हेल्थ वर्कर की पूरी जानकारी का डेमो मिलान किया जा रहा है। दूसरे कमरे में वैक्सीन दी जा रही है। तीसरे कमरे में वैक्सीन लगवाने वाले को 30 मिनट रखा जा रहा है। ताकि उसे कोई परेशानी होने पर इलाज दिया जा सके। 2 जनवरी को हुआ था पहला ड्राई रन पिछले हफ्ते 125 जिलों के 285 सेंटर्स पर पहले फेज का ड्राई रन हुआ था। ज्यादातर राज्यों में यह रिहर्सल ठीक-ठाक रही। कुछ जगहों पर खामियां भी सामने आईं। भोपाल में 5 कमियां पता चलीं थीं। 1. वैक्सीनेशन की जानकारी पोर्टल पर दर्ज करने के लिए सूचना मैनुअल देनी पड़ी। 2.कई स्वास्थ्यकर्मी रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर लेकर नहीं पहुंचे थे। ऐसे में वैक्सीन लगने के बाद जो SMS आया वे उसे नहीं दिखा पाए। 3.ऑब्जरवेशन रूम में जगह की कमी। 4.ठंड की वजह से कई लोग स्वेटर जैकेट और फुल बांह के कपड़े पहनकर आए जिससे वैक्सीनेशन में देरी हुई। 5. वैक्सीन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग नहीं दिखी।
ड्राई रन कैसे चल रहा?