नई दिल्ली। नए संसद भवन के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट से जुड़ी आपत्तियों पर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुनाया। कोर्ट ने नए संसद भवन के निर्माण को मंजूरी दे दी है। अदालत ने कहा कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की पर्यावरण मंजूरी सही तरीके से दी गई थी। साथ ही कहा कि कंस्ट्रक्शन शुरू करने के लिए हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी की मंजूरी भी ली जाए।
सेंट्रल विस्टा परियोजना का ऐलान सितंबर 2019 में हुआ था। इसमें संसद की नई त्रिकोणीय इमारत होगी जिसमें एक साथ लोकसभा और राज्यसभा के 900 से 1200 सांसद बैठ सकेंगे। इसका निर्माण 75वें स्वतंत्रता दिवस पर अगस्त, 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा। जबकि, केंद्रीय सचिवालय का निर्माण 2024 तक पूरा करने की तैयारी है।
पिटीशनर्स के 3 दावे थे
- प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरण मंजूरी गलत तरीके से दी गई।
- कंसल्टेंट चुनने में भेदभाव किया गया।
- जमीन के इस्तेमाल में बदलाव की मंजूरी गलत तरीके से दी गई।
कोर्ट ने 5 नवंबर को फैसला सुरक्षित रखा था
जस्टिस एएम खानविल्कर, दिनेश महेश्वरी और संजीव खन्ना की बेंच इस मामले में फैसला सुनाया। कोर्ट ने पिछले साल पांच नवंबर को ही सुरक्षित रख लिया था। हालांकि पिछले साल सात दिसंबर को केंद्र सरकार की अपील पर कोर्ट ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के भूमि पूजन की इजाजत दे दी थी। केंद्र सरकार ने इसके लिए कोर्ट को आश्वासन दिया था कि आपत्ति याचिकाओं पर फैसला आने तक कोई भी कंस्ट्रक्शन, तोड़फोड़ या पेड़ काटने का काम नहीं करेगा। इसके बाद 10 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी।
क्या है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट?
राष्ट्रपति भवन, मौजूदा संसद भवन, इंडिया गेट और राष्ट्रीय अभिलेखागार की इमारत को वैसा ही रखा जाएगा। सेंट्रल विस्टा के मास्टर प्लान के मुताबिक पुराने गोलाकार संसद भवन के सामने गांधीजी की प्रतिमा के पीछे नया तिकोना संसद भवन बनेगा। यह 13 एकड़ जमीन पर बनेगा। इस जमीन पर अभी पार्क, अस्थायी निर्माण और पार्किंग है। नए संसद भवन में दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा के लिए एक-एक इमारत होगी, लेकिन सेंट्रल हॉल नहीं बनेगा। पूरा प्रोजेक्ट 20 हजार करोड़ रुपए का है।