गाजियाबाद गाजियाबाद के मुरादनगर में रविवार को हुआ श्मशान घाट हादसा कई परिवारों पर कहर बनकर टूटा। इस हादसे में अब तक 24 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 17 घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटनास्थल पर रेस्क्यू अभी भी जारी है। मामले में जूनियर इंजीनियर समेत तीन लोग गिरफ्तार हो चुके हैं जबकि कइयों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है लेकिन जिन्होंने अपनों को खोया और जिन्होंने इसे करीब से देखा, उनके लिए यह हादसा जिंदगी भर का गम दे गया। उखलारसी के वीर सिंह बताते हैं कि वह अपने भतीजे राहुल के साथ फल कारोबारी के अंतिम संस्कार में शामिल होने गए थे। बारिश तेज होने पर सभी गैलरी में लेंटर के नीचे खड़े हो गए। वीर सिंह ने बताया, 'राहुल ने मुझे भी बारिश से बचने के लिए कहा, 'लेकिन मैंने इनकार कर दिया। इसी बीच लेंटर गिर गया।' लेंटर गिरते देख वीर सिंह की आंखों के आगे अंधेरा छा गया। उन्हें लगा कि उनके भतीजे को कहीं कुछ हो न जाए। वह थोड़ी दूर पड़ी लोहे की छड़ लेकर पहुंच गए और मलबे को कभी हाथ से तो कभी छड़ से हटाने का प्रयास करते रहे। वीर सिंह ने बताया, 'इस बीच कुछ लोग फरिश्ता बनकर आए और मेरे भतीजे को बाहर निकालकर हॉस्पिटल पहुंचा दिया। जिस समय मैं मलबा हटा रहा था मैं रोता जा रहा था और आंखों से आंसू बह रहे थे। शायद मेरी भगवान सुन ले और मेरा भतीजा अब बच जाए।' 'लोग मलबे के नीचे दबे कराह रहे थे, हृदय विदारक घटना देखकर रूह कांप गई' मनोज त्यागी का कहना है कि वह और उनका भाई अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए गए थे। लेंटर गिरने की सूचना पर तुरंत ही वहां पहुंच गए। वहां का नजारा हृदय विदारक था। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था। मनोज ने बताया, 'गनीमत यह रही कि मेरा भाई गैलरी के किनारे था इसलिए पूरी तरह से नहीं दबा और गंभीर रूप से घायल हो गया जिसे गाजियाबाद के अस्पताल में भर्ती कराया गया है।' मनोज त्यागी का कहना है कि उन्होंने इस मौत के मंजर को बड़े ही नजदीक से देखा है और जैसे ही इस हृदय विदारक घटना की याद आती है उनकी रूह कांप उठती है। लेंटर के नीचे दबे लोग कराहते हुए चीख रहे थे। उनकी आवाज अभी भी उनके कानों के अंदर गूंज रही है। 'दूसरे की मौत में शामिल होने गया था और खुद भी चला गया' उखलारसी गांव निवासी श्याम सिंह का भाई ओमकार भी अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए गया था और वह बरसात से बचने के लिए गैलरी के लेंटर के नीचे खड़ा हो गया था। लेंटर गिरने से ओमकार की भी दर्दनाक मौत हो गई। वह रोते हुए बताते हैं कि दूसरे की मौत में शामिल होने गया था भाई और खुद भी चला गया।