नए कृषि कानूनों के विरोध में देशभर के किसान 32 दिन से दिल्ली बॉर्डर पर जमे हुए हैं। किसान संगठन कानून वापसी पर अड़े हुए हैं। उनका कहना है कि वे कानून में किसी भी तरह के संशोधन के लिए तैयार नहीं हैं, सरकार को इसे वापस ही लेना पड़ेगा।
वहीं, क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने बताया कि पंजाब और हरियाणा में टोल स्थायी तौर पर खुले रहेंगे। 30 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर से ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। हम दिल्ली समेत पूरे देश के लोगों से अपील करते हैं कि यहां आकर हमारे साथ नया साल मनाएं।
सरकार से बातचीत को किसान तैयार
इससे पहले शनिवार को किसान संगठन सरकार से बातचीत करने के लिए तैयार हो गए थे। संयुक्त किसान मोर्चा ने तय किया था कि बातचीत फिर शुरू की जाएगी। किसानों ने सरकार से मीटिंग के लिए 29 दिसंबर को सुबह 11 बजे का वक्त दिया है, लेकिन 4 शर्तें रखी हैं।
किसानों की शर्तें
- तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संभावनाओं पर बातचीत हो।
- मिनिमम सपोर्ट प्राइस (MSP) की कानूनी गारंटी बातचीत के एजेंडे में रहे।
- कमीशन फॉर द एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ऑर्डिनेंस के तहत सजा के प्रोविजन किसानों पर लागू नहीं हों। ऑर्डिनेंस में संशोधन कर नोटिफाई किया जाए।
- इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल में बदलाव का मुद्दा भी बातचीत के एजेंडे में शामिल होना चाहिए।
कल 100वीं किसान रेल रवाना करेंगे PM
आंदोलन के बीच प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 100वीं किसान रेल को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। यह कार्गो ट्रेन महाराष्ट्र के संगोला से पश्चिम बंगाल के शालीमार जाएगी। यह मल्टी-कमोडिटी ट्रेन फूलगोभी, शिमला मिर्च, गोभी, मुनगा, मिर्च और प्याज के साथ ही अंगूर, संतरा, अनार, केला, सेब आदि लेकर जाएगी। प्रधानमंत्री कार्यालय ने यह जानकारी दी।
दो किसानों ने तोड़ा दम
आंदोलन से लौटे होशियारपुर के किसान की हार्टअटैक और तलवंडी साबो के किसान की ठंड से मौत हो गई। एक महीने से कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली किसान आंदोलन में गए होशियारपुर जिले के गांव रड़ा के एक किसान की घर वापसी के दौरान हार्ट अटैक से मौत हो गई। मृतक किसान की पहचान भूपिंदर सिंह पुत्र मोहन सिंह (48) निवासी रड़ा के रूप में हुई है।
उधर, तलवंडी साबो के गांव भागीवांदर के गुरप्यार सिंह (61) की ठंड लगने से शुक्रवार देर रात घर में मौत हो गई। वह 20 दिनों से टिकरी बार्डर पर सेवा निभा रहे थे। मोर्चे में रहते ही ठंड लग गई। गुरुवार को हालत गंभीर होने पर घर लाया गया, जहां शुक्रवार देर रात उनका देहांत हो गया।
किसानों ने कहा- सरकार आंदोलन को बदनाम करना बंद करे
किसानों ने सरकार को जो चिट्ठी लिखी है, उसमें कहा कि सरकार को पिछली मीटिंग्स के बारे में गलत जानकारी नहीं फैलानी चाहिए। सरकार की पूरी मशीनरी ने किसान आंदोलन को बदनाम करने की जो मुहिम छेड़ रखी है, उसे तुरंत बंद करना चाहिए।