कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 29वां दिन है। विपक्ष का डेलिगेशन राहुल गांधी के नेतृत्व में विजय चौक से राष्ट्रपति भवन तक मार्च निकालना चाहता था, लेकिन पुलिस ने इसकी इजाजत नहीं दी। इसके बावजूद मार्च निकालने पर प्रियंका गांधी समेत कई कांग्रेस नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया।
प्रियंका ने कहा- किसानों को देश विरोधी कहना पाप है
प्रियंका ने कहा कि भाजपा नेता और समर्थक किसानों के जो शब्द इस्तेमाल कर रहे हैं, वह पाप है। अगर सरकार किसानों को देश विरोधी कहती है तो, सरकार पापी है।इस सरकार के खिलाफ किसी भी तरह के असंतोष को आतंक के नजरिए से देखा जा रहा है। हम किसानों के समर्थन में आवाज बुलंद करने के लिए यह मार्च कर रहे थे।
किसानों की दो टूक- सरकार हमारी अनदेखी कर आग से खेल रही
उन्होंने सरकार से बातचीत का प्रपोजल बुधवार को ठुकरा दिया। किसानों ने कहा कि सरकार के प्रपोजल में दम नहीं, नया एजेंडा लाएं तभी बात होगी। किसान नेता शिव कुमार कक्का ने कहा, सरकार किसानों की अनदेखी कर आग से खेल रही है, उसे जिद छोड़नी चाहिए।
सरकार के प्रपोजल के किस पॉइंट पर किसानों ने क्या दिया जवाब?
- कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने 20 दिसंबर को किसान नेता डॉ. दर्शनपाल को प्रपोजल भेजा था। इसलिए जवाब भी दर्शनपाल की ई-मेल से संयुक्त सचिव को ही भेजा गया है।
- किसानों ने लिखा है- आपने पूछा था कि हमारी पिछली चिट्ठी एक आदमी की राय है या सभी संगठनों की। हम बता दें कि यह संयुक्त मोर्चे की सहमति से भेजा गया जवाब था। इस पर सवाल उठाना सरकार का काम नहीं है।
- आपकी चिट्ठी भी आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश थी। सरकार कथित किसान नेताओं और ऐसे कागजी संगठनों के साथ पैरेलल बातचीत कर आंदोलन को तोड़ने की कोशिश कर रही है, जिनका आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है।
- प्रदर्शनकारी किसानों से ऐसे निपट रहे हैं मानों वे संकटग्रस्त लोग न होकर सरकार के राजनीतिक विरोधी हैं। आपका यह रवैया विरोध प्रदर्शन तेज करने के लिए मजबूर कर रहा है।
- हम हैरान हैं कि सरकार अब भी तीन कानूनों को रद्द करने की हमारी मांग को समझ नहीं पा रही। कई दौर की बातचीत में साफ तौर पर बताया गया कि कानूनों में ऐसे बदलाव हमें मंजूर नहीं हैं।
- 5 दिसंबर को मौखिक प्रपोजल खारिज करने के बाद हमें बताया गया कि सरकार के साथ चर्चा के बाद ठोस प्रपोजल भेजा जाएगा, लेकिन 9 दिसंबर को जो प्रस्ताव भेजे, वे 5 दिसंबर की चर्चा वाले ही थे जिन्हें हम पहले ही खारिज कर चुके हैं।
- आपने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के बारे में जो प्रस्ताव भेजा है, उसमें ऐसा कोई भी साफ प्रस्ताव नहीं है जिसका जवाब दिया जाए।
- न्यूनतम समर्थन मूल्य पर आप मौजूदा खरीद सिस्टम से संबंधित लिखित भरोसे का प्रस्ताव रख रहे हैं। किसान संगठन राष्ट्रीय किसान आयोग की सिफारिश के मुताबिक न्यूनतम समर्थन मूल्य (सी2+50%) पर सभी फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।
- बिजली अधिनियम (संशोधन) विधेयक के ड्राफ्ट पर प्रस्ताव साफ नहीं है। जब तब आप क्रॉस सब्सिडी बंद करने के प्रोविजन के बारे में साफ नहीं करते, तब तक इस पर जवाब बेकार है।
- हम बातचीत के लिए तैयार हैं और इंतजार कर रहे हैं कि सरकार कब खुले मन, खुले दिमाग और साफ नीयत से इस चर्चा को आगे बढ़ाए।
- अपील करते हैं कि बेकार के बदलावों के खारिज प्रस्तावों को दोहराने की बजाए ठोस प्रस्ताव भेजें, ताकि उसे एजेंडा बनाकर बातचीत दोबारा शुरू की जा सके।
30 हजार किसान 2 दिन में दिल्ली रवाना होंगे
हरियाणा और पंजाब समेत कई राज्यों से किसानों का दिल्ली पहुंचने का सिलसिला जारी है। 26 दिसंबर को पंजाब के खनौरी से और 27 दिसंबर को हरियाणा के डबवाली से 15-15 हजार किसान दिल्ली के लिए रवाना होंगे।