कारोबारी क्षमता और बाधाओं से उबरने के हुनर ने अडाणी को दी नई ऊंचाई

Posted By: Himmat Jaithwar
12/14/2020

गौतम अडाणी हर आफत से मजबूत बनकर उबरते रहे हैं, चाहे वह कारोबारी बाधा हो या निजी दिक्कत। अडाणी 20 साल पहले एक बार फिरौती के लिए अगवा हुए थे और 2008 में ताजमहल होटल पर आतंकी हमले में बंधक रहे थे। अपनी कारोबारी क्षमता और बाधाओं से उबरने के हुनर ने अडाणी को दुनिया की दूसरी सबसे अमीर हस्ती बना दिया है। कोविड-19 के चलते देश मंदी की आगोश में चला गया, लेकिन अडाणी ग्रुप का कारोबार फैलता ही जा रहा है। ग्रुप ने कई ग्लोबल कंपनियों से करार किया है, निवेश लिया है और नए सेक्टरों में एंट्री की है।

आसमान छू रहे ग्रुप की ज्यादातर कंपनियों के शेयर

ग्रुप की माइनिंग, गैस और पोर्ट्स सहित ज्यादातर कंपनियों के शेयरों का भाव आज आसमान छू रहा है। छह अरब डॉलर की सोलर पावर डील के बाद अडाणी ग्रीन एनर्जी के शेयरों का दाम इस साल छह गुना से ज्यादा हो चुका है। इस डील से यह 2025 तक दुनिया की सबसे बड़ी ग्रीन एनर्जी कंपनी बनने की दिशा में बढ़ गई है।

अडाणी पर शेयर बाजार FOMO सिंड्रोम का शिकार

IIFL सिक्योरिटीज के इनवेस्टमेंट डायरेक्टर संजीव भसीन कहते हैं, "जहां तक अडाणी ग्रुप की कंपनियों की बात है, तो शेयर बाजार उनको लेकर FOMO सिंड्रोम से ग्रस्त है। निवेशकों को लग रहा है कि ग्रुप की कंपनियों के शेयरों को छोड़ने पर कहीं शानदार रिटर्न का बड़ा मौका चूक न जाएं। ग्रुप की कंपनियों ने अपना विजन सरकार के विजन के हिसाब से बनाया है। इसलिए अगले पाँच छह साल ग्रुप के लिए उनका कारोबारी सफर सुगम रह सकता है।"

भारत के दूसरे सबसे अमीर बिजनेसमैन

गौतम अडाणी 32.4 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के बाद भारत के दूसरे सबसे अमीर बिजनेसमैन हैं। ब्लूमबर्ग के बिलियनेयर इंडेक्स के मुताबिक अडाणी की संपत्ति में 21.2 अरब डॉलर की बढ़ोतरी इसी साल ग्रुप की कंपनियों के शेयरों के दाम में आई उछाल से हुई है।

मुंबई की डायमंड इंडस्ट्री में किस्मत आजमाई

अडाणी ने अस्सी के दशक की शुरुआत में कॉलेज की पढ़ाई बीच में छोड़कर मुंबई की डायमंड इंडस्ट्री में किस्मत आजमाई। कुछ समय बाद भाई के प्लास्टिक बिजनेस में मदद करने के लिए गुजरात लौट गए। उसके बाद 1988 में ग्रुप की फ्लैगशिप कमोडिटी ट्रेडिंग कंपनी अडाणी एंटरप्राइजेज शुरू की। एक दशक बाद अरब सागर तट पर मुंदरा पोर्ट शुरू किया। यह बिजनेस बढ़कर आज देश के सबसे बड़े प्राइवेट पोर्ट ऑपरेटर का रूप ले चुका है। ग्रुप आज देश की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक बन गया और यह कोयला खनन बाजार का बड़ा खिलाड़ी भी है।

कारोबारी रणनीति में राष्ट्र निर्माण का विजन

दूसरे बिजनेसमैन की तरह अडाणी लगातार उन नई इंडस्ट्रीज पर फोकस करते रहे हैं जिनको विकसित करने पर सरकार का जोर रहता है और जहां कॉम्पिटिशन कम रहता है। अडाणी अभी राष्ट्र निर्माण को अपनी कारोबारी रणनीति का अहम हिस्सा बताते हैं, जो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के विजन से मेल खाता है।

ग्रोथ की संभावनाओं वाले कारोबार पर फोकस

सैमको सिक्योरिटीज के रिसर्च हेड उमेश मेहता कहते हैं, "अहमदाबाद की ट्रेडिंग कंपनी से शुरूआत करने वाले ग्रुप ने काफी डायवर्सिफिकेशन किया है और उसका यह सफर शानदार रहा है। ग्रुप ने ग्रोथ की संभावनाओं वाला कारोबार खड़ा करने का फ्यूचरिस्टिक विजन अपनाया था। इससे देश की तरक्की में ग्रुप का बड़ा योगदान होगा जो सरकार के लिए फायदेमंद होगा।"

मोदी की तरक्की के साथ चमका अडाणी का कारोबार

एक दिलचस्प बात यह है कि गुजरात के सीएम के तौर पर नरेंद्र मोदी जब राजनीतिक तरक्की की सीढ़ियां चढ़ रहे थे, गौतम अडाणी कारोबार में कामयाबी के झंडे गाड़ रहे थे। मोदी के सीएम रहते अडाणी ने गुजरात में मुंदरा पोर्ट शुरू किया और इंडस्ट्रियल जोन बनाया। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद 2015 अडाणी ने अपने कारोबार में डायवर्सिफिकेशन शुरू किया।

डेटा स्टोरेज और फाइनेंशियल सर्विसेज में एंट्री की कोशिश

जब मोदी ने डिफेंस इक्विपमेंट की लोकल मैन्युफैक्चरिंग शुरू करने का एलान किया तो अडाणी ने डिफेंस कॉन्ट्रैक्टर्स से साझीदारी मिलिट्री सप्लाई के लिए कंपनी बनाई। तीन साल बाद गैस कारोबार पर जोर दिए जाने पर वह प्राइवेट सेक्टर की सबसे बड़ी रिटेलर कंपनी बन गई। 2019 में ग्रुप ने एयरपोर्ट्स पर ध्यान देना शुरू किया और अब वह डेटा स्टोरेज और फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर में एंट्री करने की कोशिश कर रहा है।

ऑस्ट्रेलिया में कार्माइकल कोल प्रोजेक्ट फंसा

भारत में अडाणी ग्रुप का कारोबार दिन दूनी, चार चौगुनी फूल फल रहा है लेकिन ऑस्ट्रेलिया में इसको खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। वहां ग्रुप के विवादास्पद कार्माइकल कोल प्रोजेक्ट के खिलाफ स्टॉप अडाणी मूवमेंट चला और निवेशक उससे दूर हो गए। 2019 में यह संसदीय चुनाव में एक चुनावी मुद्दा बना था और विवाद से अपना नाम हटाने के लिए पिछले महीने अडाणी एंटरप्राइेजज ने वहां की अपनी माइनिंग कंपनी का नाम बदल दिया।

ग्रुप पर चढ़ा हुआ है 17 अरब डॉलर का कर्ज

ग्रुप ने इतनी तेज रफ्तार से अपना कारोबार फैलाया कि उसके ऊपर 17 अरब डॉलर का कर्ज हो गया है जो अडाणी की नेटवर्थ के आधे से ज्यादा है। अडाणी ग्रुप इसके लिए कुछ हद तक ग्रीन एनर्जी में स्टेक सेल से फंड जुटाता रहा है और विदेशी बैंकों से भी कर्ज लेता रहा है। रिन्यूएबल एनर्जी पोर्टफोलियो को विस्तार देने के इच्छुक विदेशी निवेशकों और ग्लोबल एनर्जी दिग्गजों को इंडिया में अडाणी ग्रुप अट्रैक्टिव नजर आ रहा है। फ्रांसीसी दिग्गज टोटल एसए ने पहले ही अडाणी ग्रीन और अडाणी गैस में पैसा लगाया हुआ है, जबकि इटली का बिजनेस एंटरप्राइज स्नैम हाइड्रोजन और क्लीन फ्यूल स्पेस में मौके तलाशने के लिए रणनीति साझीदारी पर विचार कर रहा है।

इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स अडाणी को नजरअंदाज नहीं कर सकते

के आर चोकसी इनवेस्टमेंट मैनेजर्स के एमडी देवेन चोकसी कहते हैं, "इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स अडाणी को नजरअंदाज नहीं कर सकते, जिसके पास इंडिया जैसे तेज ग्रोथ वाले बाजार में पहले से ही कैश जेनरेटिंग एसेट्स हैं।"



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