चंबल को छोड़ पार्वती-कूनो में घरौंदे बना रहे घड़ियाल; वजह- बढ़ता रेत उत्खनन और मानवीय हस्तक्षेप

Posted By: Himmat Jaithwar
12/1/2020

देश की सबसे स्वच्छ नदियों में शामिल चंबल नदी में तेजी से बढ़ता अवैध उत्खनन व मानवीय हस्तक्षेप अब शांतिप्रिय घडिय़ालों को रास नहीं आ रहा। यही वजह है कि अब घड़ियाल चंबल नदी को छोड़कर पार्वती व कूनो नदियों में अपने नए घरौंदे बनाने लगे हैं। यह खुलासा हुआ मद्रास क्रोकोडाइल बैंक ट्रस्ट के जलीय जीव वैज्ञानिकों की रिसर्च में। वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट द्वारा 2017 में जलीय जीवों की गणना के दौरान घडिय़ालों की गतिविधियों को दर्ज करने के लिए रेडियो ट्रांसमीटर लगाए थे।

एक्सपर्ट तब चौंक गए जब एक मादा घड़ियाल का स्थाई बसेरा कूनो में मिला, जहां उसने बाकायदा अंडे भी दिए थे। अब वन विभाग ने कूनो नदी के शांतिप्रिय वातावरण को घडिय़ालों के अनुकूल मानते हुए यहां घडिय़ालों के बच्चे डिस्चार्ज करने की प्लानिंग की है। यहां बता दें कि चंबल सेंक्चुरी में पार्वती नदी का कुछ हिस्सा शामिल है। चंबल सेंक्चुरी में रहने वाले घड़ियाल अस्थाई रूप से पार्वती नदी में जाते तो थे लेकिन वे वापस लौटकर चंबल नदी में ही आते थे।

2017 में तत्कालीन डीएफओ अंसारी को वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट ने रिपोर्ट में बताया कि घड़ियाल 60 किलोमीटर अंदर तक प्रवास करने पहुंच गए हैं, जो पहली बार सामने आया। इसके बाद जब 2018 में जलीय जीवों की गणना हुई तो पार्वती में 8 से 9 घोंसले व 19 घड़ियाल मिले थे। तब घडिय़ालों की संख्या 1400 से बढ़कर 1750 के करीब दर्ज की गई थी।

वन विभाग की तैयारी: अब कूनो में छोड़े जाएंगे घड़ियाल
घड़ियालों के लिए कूनो नदी में अनुकूल माहौल को देखते हुए वन विभाग अगली बार घडिय़ालों के बच्चों को कूनो नदी में छोड़ने की तैयारी में है। डीएफओ अमित कुमार निकम ने बताया कि 25 नवंबर को घडिय़ालों को कूनो में डिस्चार्ज करने की तैयारी थी लेकिन अभी इसे पोस्टपोंड कर दिया गया है। अगली बार हम कूनो में घडिय़ालों के बच्चे छोड़ेंगे।

अब मादा घड़ियाल ने कूनो नदी किनारे घौंसला बनाकर अंडे दिए
2017 में एमसीबीटी (मद्रास क्राेकोडाइल बैंक ट्रस्ट) से आए जलीय जीव विशेषज्ञों ने चंबल नदी में पाए जाने वाले घडिय़ालों की जीवन शैली, उनके रहन-सहन व मूवमेंट को ट्रेस करने के लिए रेडियो ट्रांसमीटर लगाए थे। कुछ समय पहले जब विशेषज्ञों ने इन रेडियो ट्रांसमीटर का अध्ययन किया तो वे भौचक्के रह गए। एक मादा घड़ियाल चंबल नदी से विचरण करते हुए कूनो में पहुंची और उसने 15 किमी अंदर जाकर स्थाई घोसला बनाया और अंडे दिए, इसके बाद से यह लौटकर चंबल में नहीं आई।

अवैध उत्खनन और स्टीमर संचालन से घड़ियाल असहज...बदल रहे कॉलोनियां
अभी तक चंबल नदी में घड़ियाल चंबल राजघाट व भिंड दिशा में बाबू सिंह के घेर के पास बहुतायत संख्या में मिलते थे और यही घोंसले बनाकर अंडे देते थे। लेकिन अब घड़ियाल राजघाट से जैतपुर तक पांच किलोमीटर ऊपर व बाबू सिंह का घेर से दलजीत का पुरा भिंड की ओर अपनी कॉलोनियां बना रहे हैं। वहीं श्योपुर की ओर सामरसा से कूनो की ओर स्थाई ठिकाना बनाने लगे है। इसके पीछे मुख्य वजह चंबल नदी में रेत का अवैध उत्खनन, स्टीमर सहित बढ़ती मानवीय गतिविधियां हैं, जिसकी वजह से घड़ियाल अपने लिए माहौल अनुकूल नहीं पा रहे हैं।



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