मुंबई में हुए 26/11 के आतंकी हमले की आज 12वीं बरसी है। हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बता रहे हैं, जिसकी आंखों के सामने उसकी पत्नी और दो बच्चों के शव पड़े थे, लेकिन वह जी-जान से दूसरों को बचाने में जुटा था।
हम बात कर रहे हैं 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले के वक्त ताज होटल के जनरल मैनेजर रहे करमबीर सिंह कांग की। 26 नवंबर 2008 को आतंकियों के ग्रेनेड हमले में मुंबई का होटल ताज जल रहा था। उस वक्त करमबीर सिंह कांग ने जो हिम्मत दिखाई थी, वह लीडरशिप की एक मिसाल है।
कांग को कई सम्मान मिले
कांग के बेहतरीन को-ऑर्डिनेशन की बदौलत होटल में मौजूद सैकड़ों लोगों की जान बच गई, लेकिन उन्होंने अपनी पत्नी नीति (40), बेटे उदय (14) और समर (5) को खो दिया। तीनों की लाश होटल में उनके कमरे के एक टॉयलेट से मिली। कांग को उनके जज्बे लिए फोर्ब्स पर्सन ऑफ द ईयर चुना गया था। वे अभी अमेरिका में ताज होटल के एरिया डायरेक्टर हैं।
रतन टाटा भी कांग के जज्बे को देख हैरान थे
हमले के बाद रतन टाटा ने कहा था, 'मैं कांग के पास गया और उन्हें बताया कि मुझे कितना दुख है तो उन्होंने कहा, सर हम ताज को पहले की तरह बनाने जा रहे हैं।" ये जवाब सुन टाटा हैरान रह गए। फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने कांग की हिम्मत के लिए उन्हें ऑफिसर ऑफ नेशनल ऑर्डर ऑफ मेरिट का मेडल देकर सम्मानित किया था। हमले के वक्त होटल में फ्रांस के लोग भी थे।
फायर ब्रिगेड कर्मचारी जब तक कांग के परिवार तक पहुंचे, बहुत देर हो चुकी थी
आतंकी हमले के बाद ताज होटल की छठी मंजिल पर जिस कमरे में आग लगी थी, उसी में कांग की पत्नी और 2 बच्चे थे। उनकी चीखें बाहर तक साफ सुनाई दे रही थीं। उन्हें सुरक्षित निकालने के लिए कांग हर पुलिस वाले और फायर ब्रिगेड कर्मचारी से हाथ जोड़कर गुजारिश कर रहे थे। कांग पर उस वक्त दोहरी जिम्मेदारी थी।
पहली जिम्मेदारी अपने परिवार को सुरक्षित निकालने की और दूसरी होटल में फंसे बाकी लोगों को बचाने के लिए सुरक्षा एजेंसियों के साथ को-ऑर्डिनेशन की। कांग की मदद से कई लोगों की जान बचा ली गईं, लेकिन जब तक फायर ब्रिगेड के जवान उस कमरे में पहुंचते, कांग की पत्नी और दोनों बच्चों की जलकर मौत हो चुकी थी।
करमबीर ने नाम सार्थक किया, पिता ने भी हौसला बढ़ाया
आतंकी हमले की रात जब कांग ने अपने पिता को बहरीन में फोन किया तो उन्होंने यह कहकर उनका हौसला बढ़ाया कि आप एक बहादुर सिख बनें। आप एक आर्मी जनरल के बेटे हैं। पत्नी-बच्चों की मौत का खौफ कांग को हिला नहीं सका। उन्होंने इसे नियति मानकर बर्दाश्त कर लिया। इस तरह करमबीर ने अपने नाम की सार्थकता को साबित कर दिखाया।