आज सोमवार, 26 अक्टूबर को भी कई क्षेत्रों में दशहरा मनाया जा रहा है। कई जगहों पर रावण के पुतले का दहन किया जाएगा। ग्रेटर नोएडा से करीब 10 किमी दूर बिसरख गांव स्थित है। यहां न तो रावण के पुतले का दहन किया जाता है और ना ही रामलीला होती है। मान्यता है कि इसी गांव में रावण का जन्म हुआ था।
यहां एक शिव मंदिर है। इस मंदिर में विश्रवा मुनि और रावण की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के मुख्य महंत रामदास बताते हैं कि यहां के लोग रावण को गांव का बेटा मानते हैं। इस कारण यहां रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता है।
ये हैं कुंभकर्ण, विभीषण और शूर्पणखा का भी जन्म स्थान
रावण के पिता विश्रवा मुनि ब्राह्मण थे। उन्होंने राक्षसी राजकुमारी कैकसी से विवाह किया था। रावण, कुंभकर्ण, विभीषण और शूर्पणखा, ये चारों विश्रवा और कैकसी की संतानें थीं। इन सभी का जन्म यहीं हुआ था। ऐसी मान्यता प्रचलित है।
गांव में रामलीला भी आयोजित नहीं होती
बिसरख गांव के लोग रामलीला का आयोजन भी नहीं करते हैं। माना जाता है कि यहां जब-जब रामलीला आयोजित की गई थी, तब-तब किसी न किसी की मृत्यु हुई है और इस वजह से रामलीला पूरी नहीं हो सकी। तभी से गांव में दशहरे पर भी इस तरह के आयोजन नहीं किए जाते हैं।
विश्रवा मुनि ने की थी शिवलिंग की स्थापना
त्रेता युग में विश्रवा मुनि ने इस गांव में शिवलिंग की स्थापना की थी। ये शिवलिंग अष्टभुजाओं वाला है। शिवलिंग बाहर से करीब 2.5 फीट ऊंचा है, लेकिन जमीन के नीचे इसकी लंबाई लगभग 7-8 फीट है। कई बार गांव में खुदाई करते समय शिवलिंग मिले हैं। एक शिवलिंग की गहराई इतनी है कि उसका कहीं दूसरा छोर काफी गहराई तक खुदाई के बाद भी नहीं मिला। खुदाई में पुराने समय के बर्तन और मूर्तियां भी यहां मिल चुकी हैं।