रावण और अंगद का प्रसंग की सीख, 14 अवगुण व्यक्ति को बर्बाद कर सकते हैं, इनसे बचना चाहिए

Posted By: Himmat Jaithwar
10/23/2020

गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस के लंकाकांड में श्रीराम अपनी वानर सेना के साथ लंका पहुंच गए थे। उस समय श्रीराम ने अंगद को दूत बनाकर रावण के दरबार में भेजा था। दरबार में रावण और अंगद के बीच संवाद होता है। इस संवाद में अंगद ने रावण को 14 ऐसे अवगुण बताए हैं, जिन्हें छोड़ देना चाहिए, वरना सबकुछ बर्बाद हो जाता है।

अंगद रावण से कहते हैं कि -

कौल कामबस कृपिन बिमूढ़ा। अति दरिद्र अजसी अति बूढ़ा।।

सदा रोगबस संतत क्रोधी। बिष्नु बिमुख श्रुति संत बिरोधी।।

तनु पोषक निंदक अघ खानी। जीवत सव सम चौदह प्रानी।।

अर्थ: वाम मार्गी यानी दुनिया से उलटा चलने वाला, कामी, कंजूस, अत्यंत मूर्ख, अति दरिद्र, बदनाम, बहुत बूढ़ा, नित्य रोगी, हमेशा क्रोध में रहने वाला, भगवान से विमुख, वेद और संतों का विरोधी, अपना ही पोषण करने वाला, निंदा करने वाला और पाप कर्म करना, ये 14 बुराइयां जल्दी से जल्दी छोड़ देनी चाहिए, वरना सबकुछ बर्बाद हो जाता है।

ये है पूरा प्रसंग

इस प्रसंग में श्रीराम ने अंगद को अपना दूत बनाकर रावण के दरबार में भेजा था। जैसे ही अंगद ने रावण के नगर में प्रवेश किया, उसकी भेंट रावण के एक पुत्र से हुई। दोनों की बीच लड़ाई हुई, जिसमें अंगद विजयी हो गया। अंगद जब रावण के दरबार में पहुंचा तो उसने रावण को बालि के बारे में बताया। बालि का नाम सुनते ही रावण थोड़ा असहज हो गया था।

अंगद ने रावण से कहा कि वह श्रीराम से युद्ध न करें। सीता माता को सकुशल लौटा दे, इसी में सभी का कल्याण है। लेकिन, रावण अपने अहंकार में था। उसने अंगद की बातें नहीं मानी। तब अंगद ने रावण से कहा था कि जिन लोगों में 14 बुराइयां होती हैं, वे जीते जी मृत समान होते हैं।



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