नई दिल्ली। अमेरिकी बिजनेसमैन और माइक्रोसॉफ्ट के सह संस्थापक बिल गेट्स को महामारी के खिलाफ लड़ाई में भारत से बड़ी उम्मीदें हैं। गेट्स ने कहा है कि भारत में हो रही रिसर्च और मैन्यूफैक्चरिंग कोरोना से लड़ने में अहम है। बड़े पैमाने पर वैक्सीन तैयार करने में भारत की खास भूमिका होगी। उन्होंने ग्रैंड चैलेंजेस एनुअल मीटिंग 2020 में यह बातें कहीं। यह वर्चुअल मीटिंग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में की गई थी।
मीटिंग में कोरोना वैक्सीन तैयार करने और इसके इलाज में आ रही चुनौतियों पर चर्चा हुई। गेट्स ने कहा कि भारत ने बीते दो दशकों में स्वास्थ्य सुधार के लिए बड़े काम किए हैं। आगे भी इससे काफी उम्मीदें हैं।
रिसर्चर्स ने काम करने का तरीका बदला
गेट्स ने कहा- रिसर्चर्स ने नए ढंग से काम करना शुरू किया है। वे अब अपने रिसर्च पब्लिश होने का इंतजार नहीं कर रहे। वे हर दिन अपना डेटा शेयर कर रहे हैं। रिसर्चर्स महामारी शुरू होने के बाद से अब तक कोरोनावायरस के 1 लाख 37 हजार जीनोमिक सीक्वेंस जारी किए हैं। । फार्मास्यूटिकल कंपनियां भी दवाओं के प्रोडक्शन में मदद कर रही हैं। वे ऐसे काम कर रही हैं जैसा पहले कभी नहीं किया।
‘एमआरएनए वैक्सीन से उम्मीदें हैं’
वैक्सीन तैयार करने की चुनौतियों पर उन्होंने कहा, ‘‘एमआरएनए वैक्सीन से काफी उम्मीदें हैं। एमआरएनए वैक्सीन इंसानी सेल (राइबोज न्यूक्लिक एसिड) में मौजूद एंटीजन की मदद से काम करता है। वायरस संक्रमण से बचाने के लिए जरूरी एंटीजन पैदा करती है। संभव है कि दुनिया में पहली वैक्सीन इसी तकनीक से तैयार की जाए।
‘सिर्फ वैक्सीन तैयार करना काफी नहीं’
सिर्फ वैक्सीन तैयार कर लेना ही काफी नहीं होगा। इसे एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाने में भी समस्या होगी, क्योंकि इसके लिए कोल्ड चेन की सही सुविधा होनी जरूरी है। उम्मीद है आने वाले समय में एमआरएन प्लेटफॉर्म्स और भी बेहतर होंगे। इससे वैक्सीन की कीमतें कम होंगी, मौजूदा कोल्ड स्टोरेज सुविधाएं बेहतर बनेंगी।
‘जांच सुविधाओं में सुधार की जरूरत’
गेट्स ने कहा- जांच की सुविधाओं में भी सुधार की जरूरत हैं। अभी कुछ लोगों की टेस्ट के बाद उनकी रिपोर्ट निगेटिव आती है। कुछ टेस्ट्स के नैनो वायरस के लिए सेंसिटिव न होने की वजह से ऐसा होता है। ऐसी जांच हमें पीछे ले जा रही है। बिना लक्षणों वाले संक्रमितों की पहचान करने में देरी हो रही है। फिलहाल लक्षणों के आधार पर संक्रमितों की पहचान हो रही है। इसे बदलने की जरूरत है। हमें सटीक नतीजे देने वाले टेस्ट्स की जरूरत है। साथ ही टेस्ट ऐसे हों जो आसानी से सभी जगह कराए जा सकें।