चीन की सेना ताइवान पर हमला करने की योजना बना रही है। इसने ताइवान से सटे दक्षिण पूर्वी तट पर नौसैनिकों की तादाद बढ़ानी शुरू कर दी है। चीन इस इलाके से एक दशक से भी ज्यादा समय से तैनात पुरानी डीएफ-11 और डीएफ-15 मिसाइलों को हटा रहा है। इनकी जगह आधुनिक सुपरसोनिक डीएफ-17 मिसाइलों को तैनात कर रहा है। ये मिसाइलें ज्यादा दूरी तक वार कर सकती है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने रक्षा विशेषज्ञों के हवाले से जारी रिपोर्ट में इसका दावा किया है।
सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों से चीन की तैयारियों का पता चला है। चीन ने ग्वांगडों और फुजियान के रॉकेट फोर्स बेस और मरीन कॉर्प्स पर सुविधाएं बढ़ा दी है। इन दोनों बेस पर पर्याप्त हथियारों की तैनाती कर दी गई है। कनाडा के कांन्वा डिफेंस रिव्यू ने अपने पास ऐसे सैटेलाइट फोटो होने की बात कही है।
ताइवान का समर्थन करने पर अमेरिका से चीन नाराज
अमेरिका ने बीते कुछ समय से ताइवान का खुलकर समर्थन किया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के सीनियर ऑफिसर कीथ क्रैच सितंबर में ताइवान के दौरे पर पहुंचे थे। हर संभव मदद का भरोसा दिलाया था। दो दिन पहले एक अमेरिकी जंगी पोत ताइवान की खाड़ी में गश्त करते नजर आया था। इसपर चीन ने नाराजगी जाहिर की थी। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग मंगलवार को गुआंगडोंग प्रांत के मिलिट्री बेस के दौरे पर पहुंचे थे। उन्होंने सैनिकों को आदेश दिया कि वे युद्ध के लिए हाई अलर्ट लेवल की तैयारियां बनाए रखें। अपने दिल-दिमाग को भी उसके लिए तैयार करें।
ताइवान को अपना हिस्सा बताता है चीन
ताइवान पर कभी भी चीन की रूलिंग पार्टी का कंट्रोल नहीं रहा। हालांकि, चीन ताइवान को अपना हिस्सा बताता है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ताइवान को हमला करने की धमकी देती रही है। चीन के विरोध के कारण ही चीन वर्ल्ड हेल्थ असेंबली का हिस्सा नहीं बन पाया था। चीन की शर्त थी कि असेंबली में जाने के लिए ताइवान को वन चाइना पॉलिसी को मानना होगा, लेकिन ताइवान ने शर्त ठुकरा दी थी। ताइवान में जबसे डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी सत्ता में आई है तबसे चीन के साथ संबंध ज्यादा खराब हुए हैं।