भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत-चीन सीमा विवाद पर चल रही चर्चा पर बात की। गुरुवार को ब्लूमबर्ग इंडिया इकोनॉमिक फोरम में जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है, लेकिन इसमें कुछ चीजें सीक्रेट हैं, लिहाजा किसी भी तरह का पूर्वानुमान लगाने की कोशिश न करें। अगर रिश्तों की बुनियाद हिली, तो खामियाजा भी दोनों देशों को भुगतना होगा।
जयशंकर ने यह भी कहा कि बीते 3 दशकों से भारत-चीन संबंधों की मजबूती इस बात से आंकी जाती रही है कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर कितनी शांति है। समस्या कभी भी भारत ने पैदा नहीं की। सीमा पर तनाव कम करने के लिए दोनों देश लगातार बातचीत कर रहे हैं।
‘किसी तरह का अंदाजा न लगाएं’
मॉडरेटर के यह पूछे जाने पर कि भारत-चीन की बातचीत का क्या नतीजा निकलेगा, इस पर जयशंकर ने फिर कहा कि काम प्रगति पर है। बातचीत जारी है, लेकिन कई चीजें कॉन्फिडेंशियल हैं। अभी सार्वजनिक रूप से कुछ भी कहना सही नहीं होगा। एलएसी से सटे इलाकों में सैन्य टुकड़ी तैनात की गई है। इससे पहले बीते महीनों में ऐसा नहीं किया गया।
जयशंकर के मुताबिक, दोनों देशों (भारत-चीन) के बीच व्यापार के समेत कई मुद्दे आते हैं। इनकी बेहतरी का आकलन एलएसी पर शांति से किया जाता है। सीमा पर शांति बनी रहे, इसके लिए दोनों देशों ने 1993 में कई समझौते किए थे। अगर हम इन समझौतों का सम्मान नहीं करेंगे तो यह रिश्ते बिगड़ने का प्रमुख कारण रहेगा।
15 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने कंटीले तार से भारतीय जवानों पर हमला किया था। इसमें हमारे 20 जवान शहीद हो गए थे। चीन के 40 सैनिक मारे गए थे, पर उसने कभी पुष्टि नहीं की। गलवान के बाद दोनों देशों के बीच 7 दौर की बातचीत हो चुकी हैं, पर लद्दाख से सेना हटाने को लेकर अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला।
‘चीन हमारे लिए बाजार नहीं खोलना चाहता’
जयशंकर ने कहा कि व्यापार के मुद्दों पर टकराव हमारे लिए नई समस्या नहीं हैं। करीब दो दशकों से यह चल रहा है। जब 2009 में मैं चीन का राजदूत था, तब मैंने चीनी मार्केट में एक्सेस की कमी पर चिंता जताई थी। दोनों के बीच पारंपरिक तरीके का व्यापार न होना, व्यापार घाटे का बढ़ना भी चिंता की बात है। भारत की आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) और फार्मास्यूटिकल कंपनियां पूरी दुनिया में फैली हुई हैं, लेकिन चीन में नहीं। हम कहते रहे हैं कि हमारा मकसद चीन के बाजार को नुकसान पहुंचाना नहीं है।