सिर्फ भगवान के भरोसे बैठने से पूरे नहीं होते काम, जीवन में लक्ष्य पूरे करना चाहते हैं तो मेहनत करना जरूरी है

Posted By: Himmat Jaithwar
10/7/2020

महाभारत में श्रीकृष्ण ने युद्ध की शुरुआत में पांडवों से कहा था कि सिर्फ मेरे साथ होने से आप युद्ध नहीं जीत सकते हैं, इसके आपको पूरी शक्ति के साथ युद्ध करना होगा। कर्म किए बिना सफलता नहीं मिल सकती है। कर्म का महत्व बताने वाली एक लोक कथा प्रचलित है। जानिए ये कथा...

प्रचलित लोक कथा के अनुसार पुराने समय में दो मित्र थे। एक बहुत मेहनती था और एक सिर्फ भगवान भरोसे जीवन जी रहा था। वह दिनभर पूजा करता था। दोनों ने मिलकर खेती के लिए जमीन खरीदी। मेहनती व्यक्ति खेत में दिनभर मेहनत करता, दूसरा दोस्त दिनभर पूजा करता और प्रार्थना करता कि उनकी फसल अच्छी हो जाए।

काफी समय तक ऐसा ही चलता रहा। उनके खेत में फसल तैयार हो गई। मेहनती व्यक्ति ने पूरी फसल काटी तो पूजा करने वाला मित्र बोला कि इसमें से आधा हिस्सा उसका है। मेहनती व्यक्ति ने कहा कि भाई तूने तो एक दिन भी खेत में काम नहीं किया तो तेरा इसमें हिस्सा कैसे हो सकता है? दोनों के बीच वाद-विवाद बढ़ गया। बात राजा तक पहुंच गई।

राजा ने दोनों मित्रों की बात सुनी और कहा कि मैं तुम दोनों को एक-एक बोरी गेहूं दे रहा हूं। कल जो व्यक्ति पूरे गेहूं साफ करके ले आएगा, वही इस फसल का मालिक होगा। दोनों दोस्त अपनी-अपनी बोरी लेकर घर पहुंच गए।

पूजा करने वाला व्यक्ति भगवान के सामने बैठ गया और प्रार्थना करने लगा कि उसकी गेहूं की बोरी साफ हो जाए। मेहनती व्यक्ति गेहूं साफ करने में लग गया। पूरी जागकर उसने गेहूं साफ कर लिए।

अगले दिन दोनों मित्र राजा के दरबार में पहुंच गए। मेहनती व्यक्ति के गेहूं साफ थे, उसने गेहूं के सारा कचरा निकाल दिया था। जबकि भक्ति करने वाले व्यक्ति की बोरी ऐसी की ऐसी थी। राजा ने भगवान भरोसे रहने वाले व्यक्ति से कहा कि भाई देवी-देवता भी उन्हीं लोगों की मदद करते हैं, जो मेहनत करते हैं। तुमने रातभर भक्ति की, लेकिन मेहनत नहीं की। जबकि तुम्हारे मित्र ने मेहनत की गेहूं का कचरा साफ कर लिया। तुम भी मेहनत करते तो तुम्हारे गेहूं भी साफ हो जाते।

राजा के बात पूजा करने वाले व्यक्ति को अच्छी तरह समझ आ गई। इसके बाद से दोनों मित्र खेती में बराबरी से मेहनत करने लगे। दोनों की मेहनत से उनकी फसल काफी अच्छी हो गई थी।



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