लखनऊ। हाथरस गैंगरेप पीड़ित का शव जलाने के 3 दिन बाद पुलिस ने मीडिया को पीड़ित के गांव (बुलगढ़ी) में एंट्री दी है। मीडिया से बातचीत में पीड़ित परिवार ने पुलिस और प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। मां ने कहा, "आखिरी बार बेटी का मुंह भी नहीं देखने दिया, हमें तो ये भी पता नहीं कि पुलिस ने किसकी लाश जलाई और हम किसकी हड्डियां लाए हैं।"
'डीएम का नार्को टेस्ट होना चाहिए'
पीड़ित की भाभी ने कहा कि पुलिस ने हमसे मारपीट की। पूरे मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए। हमारा नार्को टेस्ट करवाने की बात कही जा रही है, लेकिन नार्को टेस्ट तो डीएम का होना चाहिए। हम तो सच बोल रहे हैं। वहीं, पीड़ित के भाई ने बताया कि बुधवार रात 10 बजे तक पुलिस घर पर रही। इस दौरान किसी को कहीं जाने नहीं दिया। हमें किसी की कोई खबर नहीं। हम यही चाहते हैं कि जांच ठीक से हो।
अभी सिर्फ मीडिया को एंट्री, नेताओं को नहीं
हाथरस सदर के एसडीएम प्रेम प्रकाश मीणा ने कहा, "अभी सिर्फ मीडिया को गांव के अंदर जाने की इजाजत दी गई है। बाकी लोगों की परमिशन के ऑर्डर आते ही सबको बता देंगे। ये आरोप गलत हैं कि पीड़ित परिवार के फोन ले लिए गए हैं और उन्हें घर में कैद कर दिया गया है।"
हाथरस के एसपी समेत 5 पुलिसकर्मी सस्पेंड
हाथरस मामले में पुलिस-प्रशासन के रवैये के विरोध में देशभर में हो रहे प्रदर्शनों के बीच योगी सरकार ने पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की है। शुक्रवार को सरकार ने हाथरस के एसपी विक्रांत वीर समेत 5 पुलिस अफसरों को सस्पेंड कर दिया।
डीएम के खिलाफ अभी तक एक्शन नहीं
गैंगरेप की शिकार हुई लड़की का शव जल्दबाजी में जलाने के बाद से पुलिस-प्रशासन पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं। परिवार ने आरोप लगाया था कि डीएम प्रवीण कुमार लक्षकार ने दबाव बनाया था और कहा था कि लड़की कोरोना से मर जाती तो क्या मुआवजा मिलता? हालांकि, सरकार ने डीएम के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
क्या है पूरा मामला?
हाथरस जिले के चंदपा इलाके के बुलगढ़ी गांव में 14 सितंबर को 4 लोगों ने 19 साल की युवती से गैंगरेप किया था। आरोपियों ने युवती की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी और उसकी जीभ भी काट दी थी। दिल्ली में इलाज के दौरान पीड़ित की मौत हो गई। पुलिस ने शव गांव लाकर मंगलवार रात को जला दिया। इस मामले में चारों आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं। हालांकि, पुलिस का दावा है कि दुष्कर्म नहीं हुआ था।