बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के जफरयाब जिलानी ने कहा- हमने उस दिन डीएम से लेकर पीएम तक को फोन लगाया, 6 घंटे में 80 से ज्यादा फोन कॉल किए

Posted By: Himmat Jaithwar
9/30/2020

अयोध्या में 6 दिसंबर के दिन क्या हुआ था? इसको लेकर सभी के अलग-अलग बयान हैं। लेकिन उस दिन अयोध्या के बाद सबसे ज्यादा कहीं हलचल मची थी तो वह थी बाबरी एक्शन कमेटी के संयोजक और आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी के घर में।

जिलानी बाद में कई दशक तक बाबरी एक्शन कमेटी के संयोजक और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य के तौर पर अयोध्या मामले की कानून लड़ाई में मुस्लिम पक्ष का चेहरा रहे। 6 दिसंबर 1992 को क्या हुआ? पढ़िए उन्हीं की जुबानी...

मैं उस वक्त लखनऊ में अपने घर पर था। वह लैंडलाइन फोन का जमाना था। तकरीबन सुबह 11.50 का वक्त था, तभी फोन की घंटी घनघनाई। मैंने फोन उठाया तो दूसरी तरफ अयोध्या से हाजी सैयद इखलाक साहब थे। उनका मकान ठीक बाबरी मस्जिद के पीछे था। जितनी ऊंचाई बाबरी मस्जिद के टीले की थी, उतनी ही ऊंचाई उनके मकान की थी। मस्जिद से करीब एक से डेढ़ फर्लांग की दूरी पर उनका घर था।

उन्होंने बताया कि कुछ लोग हमें नजर आ रहे हैं, जोकि बाबरी मस्जिद के गुंबद पर चढ़ गए हैं। उनकी नीयत कुछ ठीक नहीं लगती, लग रहा है कि ऊपर चढ़ कर कुछ तोड़-फोड़ कर रहे हैं। हमने उन्हें भरोसा दिया कि रुकिए, हम तुरंत बात करते हैं। हमने तुरंत दिल्ली में जामा मस्जिद के शाही इमाम अहमद बुखारी साहब को फोन किया।

उन्हें बताया कि हमें पता चला है कि कुछ लोग गुंबद पर चढ़ गए हैं, आप फौरन होम मिनिस्टर या प्राइम मिनिस्टर से बात करें और उन्हें इत्तिला करें। उसके बाद हमने मुलायम सिंह यादव को फोन किया तो पता चला कि वे लखनऊ में नहीं है। फिर हमने बेनी प्रसाद वर्मा को फोन किया और कहा कि ऐसा सुनने में आया है आप मालूम करें कि क्या मामला है और सेंट्रल फोर्सेस कहां हैं?

सवा 12 बजे के करीब फिर अयोध्या से इखलाक साहब का फोन आया कि गुंबद पर बहुत से लोग चढ़ गए हैं और तोड़फोड़ शुरू हो गई है। फिर हमने रेवती रमण सिंह को फोन किया, जोकि उस समय नेता विपक्ष थे। उन्होंने भी कहा मालूम करते हैं। उसके बाद करीब 1 बज गया। दिल्ली से हमें अहमद बुखारी का टेलीफोन आया। उन्होंने बताया कि होम मिनिस्टर को तो हमने बता दिया है और प्राइम मिनिस्टर तो अभी पूजा घर से निकले ही नहीं।

फिर हमारे पास उस समय के लखनऊ डीएम अशोक प्रियदर्शी का फोन आया। उन्होंने कहा आपको मालूम होगा कि कुछ लोग बाबरी मस्जिद के गुंबद पर चढ़ गए हैं। हमने कहा- मालूम है। आगे कहा कि वे तकरीबन गुंबद गिराने की पोजीशन में आ गए। मैंने कहा- हां, मालूम है। फिर थोड़ी देर में ही लखनऊ एसएसपी का फोन आया उसने भी यही बताया। उन्होंने कहा कि हम आपको इसलिए बता रहे हैं, ताकि मस्जिद गिरने की खबर अचानक से आए तो कोई प्रतिक्रिया न हो।

तकरीबन सवा 1 बजे से डेढ़ बजे के बीच अशोक निगम का फोन आया। उस समय ये बाबरी मस्जिद मुकदमे में सेंट्रल गवर्नमेंट के स्टैंडिंग काउंसिल थे। उन्होंने बताया कि सेंट्रल फोर्सेज मूव कर गई हैं। बहुत जल्द सब कंट्रोल कर लेंगी। आप फिक्र मत कीजिए। हमने कहा, ठीक है देखते हैं। हम इसलिए आश्वस्त थे क्योंकि प्राइम मिनिस्टर पीवी नरसिम्हा राव ने कहा था कि हमने इतनी सेंट्रल फोर्स वहां तैनात कर दी है कि वे कंट्रोल कर लेंगी।

करीब 2 बजे फिर लखनऊ डीएम का फोन आया कि एक गुंबद गिर गया है और दूसरे को गिराने की कोशिश कर रहे हैं। इसके बाद फिर मैंने गुस्से में अशोक निगम को फोन किया कि तुम्हारी सेंट्रल फोर्सेस कहां हैं। उनका जवाब था कि चल दी हैं। हमने कहा चल दी हैं तो पहुंची क्यों नही अभी तक। उन्होंने कहा कि अभी मालूम करता हूं। बेनी प्रसाद वर्मा ने भी फोन कर यही बताया।

ये सब चलता रहा फिर हमने आजम खान को बताया और हमारी कमेटी के जो मेंबर थे, उन्हें बताया कि ये सूरते हाल है और अभी कोई उम्मीद नही है कंट्रोल होने की। आजम से दोबारा बात हुई तो तय हुआ कि एक टेलीग्राम यूनाइटेड नेशन को भेजें। अगर ये नही रुकता है तो...इस बीच 3.30 बजे फिर फोन आया कि दूसरा गुंबद भी गिर गया। फिर 4.30 मिनट पर लखनऊ डीएम का फोन आया उन्होंने बताया कि तीसरा गुंबद भी गिर गया।

उन्होंने आगे कहा कि यह खबर 6 बजे तक ऑल इंडिया रेडियो पर आएगी। आप अपने लोगों से कहें कि अपना थोड़ा बहुत विरोध जरूर करें, लेकिन किसी के उकसावे में न आएं। इसके बाद हमने जिलों में फोन करना शुरू किया। जिम्मेदार लोगों को बताया कि हालात खराब है और आप लोग देखिए स्थिति और खराब न होने पाए। मुझे याद है तकरीबन 30 से 40 फोन मैंने किए थे। तकरीबन 6 बजे हमने एक आदमी भेजकर यूनाइटेड नेशन को टेलीग्राम भेजा।

प्राइम मिनिस्टर ने आश्वासन दिया था, कैसे भरोसा नहीं करते?
6 दिसंबर 1992 को लाखों लोग अयोध्या में इकट्ठा होने वाले थे क्या आपको लोगों को ऐसा कोई अंदेशा नही था? इस सवाल पर जफरयाब जिलानी कहते हैं कि नवंबर 1992 में इस कारसेवा को लेकर हम प्राइम मिनिस्टर पीवी नरसिम्हा राव से मिले थे। उन्होंने आश्वासन दिया कि हमने सारे इंतजाम कर दिए हैं। आप लोग परेशान न हों।

इस पर आजम खान साहब ने कहा कि1990 में इंतजाम थे और यूपी में मुलायम सिंह की सरकार थी, तब भी मस्जिद की दीवार डैमेज कर दी गयी थी। तब नरसिम्हा राव ने अंग्रेजी में कहा कि मिस्टर खान.... यू आर टॉकिंग विद द प्राइम मिनिस्टर ऑफ इंडिया...। जब पीएम मिनिस्टर यह नवंबर के महीने में कह रहा है तो हम लोगों को कैसे शुबहा हो। यह नहीं जानते थे कि प्राइम मिनिस्टर भी झूठ बोल देंगे।

4 दिसंबर 1992 को मैं, आजम खान, एक्शन कमेटी के और लोग थे। हम लोग फैजाबाद डीएम से मिले थे। उसने हमें कहा कि आप लोग इत्मीनान रखिए कुछ नहीं होगा। हमारे साथ लोकल के लोग भी थे। मीटिंग में वहां तय हुआ कि सभी लोग अपने अपने जिलों में रहेंगे।

6 दिसंबर को जब मुझे पहला फोन आया तो हमने अपने बाबरी एक्शन कमेटी के फैजाबाद के जिला इंचार्ज को एडवोकेट वसी साहब को फोन किया। उनकी बेगम ने बताया कि वह मार्किट गए हैं। अयोध्या में हाशिम अंसारी, हाजी महबूब थे उनको अंदाजा नहीं था कि ये सब हो रहा है।



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