यूरोपीय यूनियन मॉरीशस को मनी लांड्रिंग और आतंकी गतिविधियों के लिए फंडिंग मिलने के कारण ब्लैक लिस्ट करने जा रहा है। मॉरीशस को एक अक्टूबर से ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा। उधर भारत में शेयर बाजार के रेगुलेटर सेबी ने कहा कि वह मॉरीशस को एक एफपीआई के रूप में भारत में परमिशन जारी रखेगी। हालांकि वह निगरानी भी करेगी।
यूरोपीय यूनियन में 27 देश हैं
ब्लैक लिस्ट का मतलब यह है कि अब मॉरीशस से कोई भी बिजनेस या एफपीआई के पैसे को यूरोपीय यूनियन नहीं स्वीकारेगा। यूरोपीय यूनियन में कुल 27 सदस्य देश हैं। यूरोपीय यूनियन यह कदम ऐसे समय में उठा रहा है जब छोटा सा देश मॉरीशस कोविड-19 के बाद अपनी अर्थव्यवस्था को रीस्टोर करने के लिए संघर्ष कर रहा है।
7 मई को 22 देशों को ब्लैक लिस्ट करने का लिया गया था फैसला
बता दें कि 7 मई को यूरोपीय यूनियन कमीशन ने मॉरीशस के साथ 22 देशों को ब्लैक लिस्ट में डालने का फैसला किया था। इन सभी देशों से यूरोपीय यूनियन की वित्तीय व्यवस्था को खतरा है। अगर एक अक्टूबर को ऐसा होता है तो इससे न केवल मॉरीशस की प्रतिष्ठा पर आंच आएगी, बल्कि इसका वित्तीय सिस्टम भी बिगड़ जाएगा। मॉरीशस के फाइनेंशियल सर्विसेस के मंत्री महेन सीरुत्तुन ने कहा कि यह सही है कि यूरोपीय यूनियन ब्लैक लिस्ट करने जा रहा है। इस प्रक्रिया में काफी सारी गलतियां की जा रही हैं।
बिना किसी चर्चा के यूरोपीय यूनियन का फैसला
उन्होंने कहा कि इस संबंध में कमीशन ने कोई चर्चा हमारे साथ नहीं की है। न ही कोई असेसमेंट किया है। हमें भी खबरों से ही यह बात पता चली है। यह फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) द्वारा दी गई लिस्ट पर फैसला हो रहा है। एफएटीएफ वैश्विक स्तर की मनी लांड्रिंग और आतंकी गतिविधियों को पैसा देने पर नजर रखनेवाली रेगुलेटर है। एफएटीएफ दो लिस्ट बनाता है। एक ब्लैक लिस्ट और एक ग्रे लिस्ट होती है।
पनामा, बार्बाडोस, बोत्सवाना, कंबोडिया, घाना, जमैका भी होंगे ब्लैक लिस्ट
मॉरीशस के अलावा 17 अन्य देश जिसमें पनामा, बार्बाडोस, बोत्सवाना, कंबोडिया, घाना, जमैका, मंगोलिया, म्यामार और जिंबाब्वे भी लिस्ट में हैं। ये सभी एक अक्टूबर से ब्लैक लिस्ट होंगे। पिछले दो सालों से यूरोपीय यूनियन ने एफएटीएफ की 58 सिफारिशों में से 53 पर अमल किया है। मंत्री ने कहा कि इस मामले में हम यूरोपीय यूनियन को मनाने में असफल रहे हैं। सरकार ने कई सारी यूनियन से इस बारे में अपील की थी।
मॉरीशस के प्रधानमंत्री की कोशिश नाकाम
मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनौथ ने भी जून में यूरोपीय काउंसिल के प्रेसीडेंट चार्ल्स मिशेल को कॉल किया था। हालांकि इसमें थोड़ा विवाद है। कुछ समय पहले ही यूरोपीय यूनियन ने सउदी अरबिया को ब्लैक लिस्ट से बाहर कर दिया था। इसके पीछे कारण यह था कि सउदी अरबिया यूरोपियन देशों से हथियारों की खरीदी करता है।
दूसरे देशों की ओर जा सकते हैं निवेशक
मॉरीशस को ब्लैक लिस्ट में डालने के बाद यहां के निवेशक दूसरे देशों की ओर जा सकते हैं। साथ ही यहां बैंकों में जमा डिपॉजिट भी निकलनी शुरू हो जाएगी और इससे मुद्रा और महंगाई में बढ़त होने लगेगी। एफएटीएफ के कुल 39 देश सदस्य हैं। यूरोपीय यूनियन की ब्लैक लिस्ट में होने के नाते पूरी अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। इस घटना से प्राइवेट इक्विटी फंड मॉरीशस के माध्यम से निवेश करने के लिए कम तैयार होंगे।
मॉरीशस में ढेर सारे अवैध काम होते हैं
मॉरीशस में अवैध पैसे को वैध बनाने में मुख्य रूप से ड्रग ट्रैफिकिंग (हेरोइन और अन्य ड्रग) के साथ पोंजी स्कीम्स, फोर्जरी और भ्रष्टाचार का समावेश है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यहां बैंकों में भी मनी लांड्रिंग होती है। मॉरीशस विदेशी निवेश के रूट के लिए एशिया में एक पसंदीदा स्थान है।
भारत में एफडीआई के मामले में मॉरीशस दूसरे स्थान पर
आंकड़े बताते हैं कि भारत में एफडीआई के मामले में सिंगापुर टॉप पर है। वित्त वर्ष 2019-20 में सिंगापुर से 14.67 अरब डॉलर की एफडीआई आई जबकि दूसरे नंबर पर मॉरीशस है जहां से 8.24 अरब डॉलर की राशि आई है। भारत में इसी तरह के देशों की ज्यादा एफडीआई आती है। केमन, से 3.7 अरब डॉलर, नीदर लैंड से 6.5 अरब डॉलर की एफडीआई आई है।
मुखौटा कंपनियां मॉरीशस के जरिए पैसे को घुमाती हैं
जानकारों के मुताबिक देश में मॉरीशस की मुखौटा कंपनियों के जरिए से फंड आता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां टैक्स बचाया जाता है। यह एक तरह से राउंड ट्रिपिंग करते हैं। इसके लिए हवाला और दूसरे चैनलों का उपयोग करते हैं। मल्टी लेयर टैक्स हैवेन बैंक के जरिए भारत में पैसा लाया जाता है। पहले एक ट्रस्ट बनाकर छोटे देशों से मॉरीशस में पैसा आता है। मॉरीशस से सेबी ने पैसे को अथेंटिक कर दिया गया है।
मॉरीशस खुद दक्षिण अफ्रीका पर निर्भर है
जानकार कहते हैं कि मॉरीशस में इतना पैसा नहीं होता है। यहां कोई निवेशक भी नहीं है। मॉरीशस दक्षिण अफ्रीका पर निर्भर है। ऐसे में वह कैसे भारत को सपोर्ट कर सकता है? जहां न तो इंडस्ट्री है, न टेलीकॉम है, न तो टेक्सटाइल्स है। मॉरीशस की जीडीपी 2019 में 1,439 करोड़ डॉलर रही है। जीडीपी के लिहाज से यह दुनिया में 123 वें नंबर पर है।