अगर हम शांत रहेंगे तो झगड़े होंगे ही नहीं, क्योंकि क्रोध की वजह से ही वाद-विवाद शुरू होता है

Posted By: Himmat Jaithwar
9/18/2020

जब दो लोग एक ही समय पर एक साथ गुस्सा करते हैं तब वाद-विवाद की स्थिति बन जाती है और झगड़ा शुरू हो जाता है। अगर दो लोगों में कोई एक भी शांत रहे तो झगड़े की स्थिति बनेगी ही नहीं। इस संबंध में एक लोक कथा प्रचलित है। जानिए ये कथा...

प्रचलित लोक कथा के अनुसार एक संत भिक्षा में मिले अन्न से अपना जीवत चला रहे थे। वे रोज अलग-अलग गांवों में जाकर भिक्षा मांगते थे। एक दिन वे गांव के बड़े सेठ के यहां भिक्षा मांगने पहुंचे। सेठ ने संत को थोड़ा अनाज दिया और बोला कि गुरुजी मैं एक प्रश्न पूछना चाहता हूं।

संत ने सेठ से अनाज लिया और कहा कि ठीक है पूछो। सेठ ने कहा कि मैं ये जानना चाहता हूं कि लोग लड़ाई-झगड़ा क्यों करते हैं?

संत कुछ देर चुप रहे और फिर बोले कि ने मैं यहां भिक्षा लेने आया हूं, तुम्हारे मूर्खतापूर्ण सवालों के जवाब देने नहीं आया।

ये बात सुनते ही सेठ एकदम क्रोधित हो गया। उसने खुद से नियंत्रण खो दिया और बोला कि तू कैसा संत है, मैंने दान दिया और तू मुझे ऐसी बोल रहा है। सेठ ने गुस्से में संत को खूब बातें सुनाई। संत चुपचाप सुन रहे थे। उन्होंने एक भी बार पलटकर जवाब नहीं दिया।

कुछ देर बाद सेठ का गुस्सा शांत हो गया, तब संत ने उससे कहा कि भाई जैसे ही मैंने तुम्हें कुछ बुरी बातें बोलीं, तुम्हें गुस्सा आ गया। गुस्से में तुम मुझ पर चिल्लाने लगे। अगर इसी समय पर मैं भी क्रोधित हो जाता तो हमारे बीच बड़ा झगड़ा हो जाता।

क्रोध ही हर झगड़े का मूल कारण है और शांति हर विवाद को खत्म कर सकती है। अगर हम क्रोध ही नहीं करेंगे तो कभी भी वाद-विवाद नहीं होगा। जीवन में सुख-शांति चाहते हैं तो क्रोध को नियंत्रित करना चाहिए। क्रोध को काबू करने के लिए रोज ध्यान करें। भगवान के मंत्रों का जाप करें।

कथा की सीख

इस प्रसंग का सार यह है कि घर-परिवार हो या कार्यस्थल हमें शांत रहना चाहिए। अगर कोई गुस्सा कर भी रहा है तो हमें उसका जवाब शांति से देना चाहिए। जैसे ही हमने शांति को छोड़ा और क्रोध किया तो छोटी सी बात भी बड़ा नुकसान कर सकती है।



Log In Your Account