क्या होता है जब आप गूगल या फेसबुक पर ‘आत्महत्या’ टाइप करते हैं?

Posted By: Himmat Jaithwar
9/10/2020

अगर आप फेसबुक पर ‘आत्महत्या’ से जुड़ी कोई पोस्ट लिखते हैं। सर्च इंजन गूगल पर इस शब्द को सर्च करते हैं तो आपकी स्क्रीन पर फोन नंबर 9152987821 चमकता है और साथ में लिखा आता है, ‘मदद मिल सकती है, आज ही किसी काउंसलर से बात करें।’ये नंबर मुम्बई के एनजीओ आईकॉल (iCALL) के कॉल सेंटर का है। आईकॉल की शुरुआत टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के स्कूल ऑफ ह्यूमन इकोलॉजी ने 2012 में की। मकसद था मेंटल हेल्थ की सुविधा को देश के हर नागरिक तक पहुंचाना। दो साल पहले यानी 2018 में आईकॉल गूगल और फेसबुक के साथ बतौर मेंटल हेल्थ पार्टनर जुड़ गया।

आईकॉल के साथ 25 प्रोफेशनल मेंटल हेल्थ काउंसलर अलग-अलग शिफ्ट में काम करते हैं। सुबह आठ बजे से लेकर रात के दस बजे तक हिंदी और अंग्रेजी सहित कई स्थानीय भाषाओं में काउंसलिंग देते हैं। प्रेरणा यादव आईकॉल के साथ बतौर प्रोग्राम कॉर्डिनेटर जुड़ी हैं। फोन पर बात करते हुए वे बताती हैं, ‘हमारी हेल्पलाइन पैन इंडिया है। हमारे सभी काउंसलर हिंदी और अंग्रेजी में तो बात कर ही पाते हैं। साथ ही हम मराठी, पंजाबी, मलयालम, बांग्ला और कन्नड़ जैसी स्थानीय भाषाओं में भी काम करते हैं।

इस साल मार्च तक कॉल सेंटर में हर दिन 100 से 150 कॉल आ जाते थे। प्रेरणा यादव कहती हैं, ‘मेरे पास ठीक-ठीक नंबर तो नहीं हैं लेकिन इतना दावे के साथ कह सकती हूं की लॉकडाउन के बाद से ज्यादा फोन आ रहे हैं। इसी को देखते हुए हमने अप्रैल में दो और टेलीफोन लाइनें शुरू कीं। एक उनके लिए जो कोरोना से लड़ाई में अहम भूमिका निभा रहे हैं। जैसे- हमारे डॉक्टर, नर्स, मेडिकल स्टाफ, सफाईकर्मी और पुलिसकर्मी। दूसरी उनके लिए जो कोरोना या लॉकडाउन की वजह से परेशान हैं या डिप्रेस्ड महसूस कर रहे हैं।’

अब सवाल उठता है कि अगर कोई व्यक्ति परेशान है। यदि वह आत्महत्या जैसे कदम उठाने की सोच रहा है या किन्हीं कारणों से डिप्रेस्ड है तो क्या केवल काउंसलिंग से उसकी समस्या हल हो सकती है? रमिता झा (बदला हुआ नाम) दिल्ली में रहती हैं। पेशे से पत्रकार हैं। अपनी मास्टर्स की पढ़ाई करने के दौरान रमिता ने मेंटल हेल्थ पर ही अपना डिजरटेशन (शोध-रिपोर्ट) पेश किया है। काम करने के दौरान एक वक्त ऐसा आया जब उन्हें एक काउंसलर की जरूरत महसूस हुई। अपने उस अनुभव को याद करते हुए रमिता बताती हैं, ‘बहुत अजीब था। मैं काउंसलिंग के मकसद से गई थी। उन्होंने मुझे नींद की दवाई देकर भेज दिया।

मैं अपनी परेशानियां उनसे साझा करना चाह रही थी, उन्होंने सुना ही नहीं। मैंने वो दवाई नहीं खाई। आप कह सकते हैं कि खुद से खुद की काउंसलिंग की, और अब ठीक हूं। रमिता बताती हैं कि इस मामले में काउंसलिंग बहुत महत्वपूर्ण है। सही समय पर एक काबिल काउंसलर से काउंसलिंग मिलने पर पीड़ित व्यक्ति की आधे से ज़्यादा परेशानियां खत्म हो जाती है। मेंटल हेल्थ के मामले में काउंसलिंग की जरूरत को केंद्र सरकार ने भी माना है। 8 सितम्बर को केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता की तरफ से मनोवैज्ञानिक मदद मुहैया कराने के लिए 24X7 हेल्पलाइन की शुरुआत की गई है।

सरकार ने हेल्पलाइन ‘किरण' (1800-599-0019) की शुरुआत की है। जिसमें हिंदी, असमिया, तमिल, मराठी, ओडिया, तेलुगू, मलयालम, गुजराती, पंजाबी, कन्नड़, बांग्ला, उर्दू और अंग्रेजी में सलाह, परामर्श उपलब्ध कराया जाएगा। पिछले कुछ सालों में भारत में मानसिक तनाव और इस वजह से होने वाले आत्महत्या के मामलों में काफी बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के मुताबिक हर सात में से एक भारतीय मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित है। वहीं काउंसलर्स और मनोचिकित्सकों का मानना है कि देश में कोरोना महामारी होने के बाद चिंता-संबंधी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, जैसे कि ओसीडी और घबराहट संबंधी विकारों में 20 से 25 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखी गई है।

वहीं गृह मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा हाल ही में जारी रिपोर्ट के मुताबिक देश में आत्महत्या की घटनाएं भी तेजी से बढ़ी हैं। इसी महीने ब्यूरो की तरफ से जारी रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल यानी 2019 में 1,39,123 लोगों ने आत्महत्या की थी। साल 2018 में 1,34,516 और 2017 में 1,29,887 लोगों ने आत्महत्या की थी। इस हिसाब से साल 2019 में हर दिन 381, साल 2018 में 368 और साल 2017 में 355 लोगों ने खुद को मौत के हवाले कर दिया।

जानकारों का मानना है कि लॉकडाउन लगने की वजह से बड़ी संख्या में लोगों में निराशा फैली है और इस वजह से आत्महत्या की घटनाओं में तेजी आई है। इन छह महीनों में हुई आत्महत्याओं का कोई ठोस आंकड़ा तो उपलब्ध नहीं है लेकिन दिल्ली से सटे नोएडा पुलिस का कहना है कि जनवरी से लेकर अभी तक जिले में कुल 195 आत्महत्याएं हो चुकी हैं और इनमें से 74 फीसदी अप्रैल से लेकर अगस्त के बीच हुई हैं। पुलिस ने ये भी बताया है कि इन आत्महत्याओं के पीछे नौकरी जाना और व्यक्तिगत रिश्तों में आई दिक्कत मुख्य वजह हैं।



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