अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली रिलायंस कम्युनिकेशन (आरकॉम), रिलायंस टेलीकॉम और रिलायंस इंफ्राटेल की कुल 23 हजार करोड़ रुपए की समाधान योजना को मंजूरी के लिए आज कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल की मुंबई बेंच में पेश किया जाएगा। इस समाधान योजना के तहत चीनी बैंकों को 7000 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है। यह समाधान योजना की कुल राशि का करीब 30 फीसदी है।
योजना को मंजूरी मिली तो खाली हाथ रहेगा डीओटी
बैंकिंग सूत्रों के मुताबिक, यदि अनिल अंबानी की कंपनियों की समाधान योजना को मंजूरी मिल जाती है तो डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (डीओटी) को खाली हाथ रहना पड़ेगा और उसे इससे कुछ भी हासिल नहीं होगा। समाधान योजना के मुताबिक, चाइना डवलपमेंट बैंक, चाइना एक्जिम बैंक और इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल बैंक ऑफ चाइना (आईसीबीसी) को 30 फीसदी हिस्सेदारी या 7000 करोड़ रुपए मिलेंगे।
सीओसी ने डीओटी को कुछ भी नहीं देने का फैसला किया
कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) ने 23 हजार करोड़ रुपए की कुल समाधान योजना में डीओटी को कुछ भी नहीं देने का फैसला किया है। इसका कारण यह है कि सीओसी ने डीओटी को ऑपरेशनल क्रेडिटर का स्थान दिया है। चीनी बैंकों के अलावा अन्य विदेशी कर्जदाताओं को कुल समाधान योजना का 10 फीसदी करीब 2300 करोड़ रुपए और एसबीआई-इंडियन बैंक को 13000 करोड़ रुपए दिए जा सकते हैं।
डीओटी जता सकता है आपत्ति
सूत्रों के मुताबिक, इंसोल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के तहत तैयार की गई इस समाधान योजना पर डीओटी आपत्ति जता सकता है। पिछले सप्ताह ही डीओटी ने एनसीएलटी से कहा था कि कर्जदाताओं की ओर से तैयार की गई इस योजना में सरकार को दिए जाने वाले एजीआर भुगतान पर विचार नहीं किया गया है। एनसीएलटी ने डीओटी को शुक्रवार को अपना पक्ष रखने को कहा था।