12वीं सदी के मंदिरों की संरचना मिलने की संभावना है, नींव की खुदाई पुरातात्विक तरीके से की जाए

Posted By: Himmat Jaithwar
8/11/2020

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर की नींव खोदते समय प्राचीन इतिहास की और परतें खुलने की संभावना है। जाने-माने पुरातत्वविद् केके मोहम्मद ने कहा है कि अयोध्या में जन्मस्थान पर नींव को पुरातात्विक तरीके से खोदा जाना चाहिए, ताकि मिलने वाले अवशेषों को आने वाली पीढ़ियों के सामने रखा जा सके। इससे उन्हें पुरा इतिहास की जानकारी और इस विज्ञान को समझने का मौका मिलेगा।

जन्मभूमि से मिलने वाले अवशेषों को म्यूजियम में रखना चाहिए
केके मोहम्मद ने कहा कि जन्मभूमि स्थल पर तमाम पुरातात्विक महत्व की सामग्री सामने आने की संभावना है। इनका जिक्र 2003 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद एएसआई की टीम ने अपनी रिपोर्ट में किया है। उन्होंने कहा कि नींव खोदने के दौरान 12वीं सदी और उसके पहले के मंदिरों की संरचना भी मिलने की संभावना है। यदि अक्षरधाम मंदिर की तरह जन्मभूमि से मिले अवशेषों को नए राम मंदिर के नीचे संग्रहालय बना कर संजोया जाए तो पुरा इतिहास के लिए बड़ी उपलब्धि होगी।

1976 में पहली बार जन्मभूमि का पुरातात्विक सर्वेक्षण हुआ था
एएसआई की इस रिपोर्ट का जिक्र सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 के अपने आदेश में करते हुए कहा कि मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनाई गई थी। एएसआई के महानिदेशक बीबी लाल ने 1976 में पहली बार राम जन्मभूमि का पुरातात्विक सर्वेक्षण किया था। उस टीम में केके मुहम्मद भी थे।

कुछ सालों बाद मुहम्मद ने इस सर्वेक्षण का जिक्र करते हुए कहा था कि जन्मभूमि से प्राचीन मंदिरों के अवशेष मिले थे। उनकी बात जन्मभूमि के समतलीकरण के दौरान सामने आए मंदिर के अवशेषों ने सही साबित की। मार्च, 2020 में समतलीकरण के दौरान मिले अवशेषों को मुहम्मद ने 8वीं सदी का बताया था।

निर्माण समिति की बैठक में रोडमैप बनेगा
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण शुरू करने के पहले श्रीरामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास की बैठक निर्माण समिति के सदस्यों के साथ 20 अगस्त को दिल्ली में होने की उम्मीद है। इस बैठक में निर्माण समिति से जुड़े सदस्य भी मौजूद रहेंगे। निर्माण समिति के अध्यक्ष पूर्व आईएएस नृपेंद्र मिश्र हैं। न्यास और उसकी निर्माण समिति की इस बैठक में मंदिर निर्माण की रूपरेखा तय होगी।

ट्रस्ट से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बैठक में नींव खोदने से लेकर निर्माण शुरू करने के अहम पड़ाव पर चर्चा होगी। निर्माण को पूरा करने की समय सारणी भी बन सकती है। मंदिर निर्माण शुरू करने के लिए नक्शा पास कराया जाना है।



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