केरल के करिपुर एयरपोर्ट पर शुक्रवार शाम एयर इंडिया एक्सप्रेस का विमान लैंडिंग के वक्त रनवे से फिसलकर 35 फीट नीचे खाई में गिर गया। इस हादसे में अब तक 18 यात्रियों की जान जा चुकी है। एयर इंडिया (IX-1344) के इस विमान में 190 लोग सवार थे, जिसमें 10 बच्चे भी शामिल हैं।
इस एयरपोर्ट का रनवे टेबल टॉप है। टेबल टॉप रनवे से उड़ान भरना और लैंड करना बेहद चैलेंजिंग टास्क होता है। थोड़ी सी भी चूक हुई तो बड़ा हादसा हो जाता है। आइए देश और दुनिया के कुछ ऐसे रनवे के बारे में जानते हैं, जहां से उड़ान भरना और लैंड करना बहुत ही मुश्किल टास्क होता है।
1. लुकला एयरपोर्ट, नेपाल
लुकला एयरपोर्ट नेपाल में है। यह 9 हजार फीट की ऊंचाई पर चारों तरफ हिमालय से घिरा है।
लुकला एयरपोर्ट नेपाल के काठमांडू में है। यहां से उड़ान भरना और लैंड करना दोनों की बेहद खतरनाक होता है। इसके चारों तरफ हिमालय की पहाड़ियां हैं। यहां का रनवे बेहद छोटा है। इसकी लम्बाई 1500 फीट है। और यह 9 हजार फीट की ऊंचाई पर है।
यहां मौसम भी बदलता रहता है। कोहरा और अंधेरा होने के चलते उड़ान भरने और लैंड करने के दौरान मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। तेज हवा के चलते देर सुबह में यहां उड़ान बंद होती है। एक साल में यहां से करीब 1 लाख यात्री उड़ान भरते हैं।
इस रनवे से उड़ान भरने के लिए पायलटों के लिए कुछ जरूरी शर्तें हैं। पायलट के पास कम से कम 100 शॉर्ट लैंडिंग और टेकऑफ एक्सपीरियंस होना चाहिए। कम से कम एक साल का अनुभव नेपाल में उड़ान भरने का भी होना चाहिए। इसके साथ ही लुकला रनवे से कम से कम 10 प्लेन उड़ाने का अनुभव होना चाहिए।
बेहद खतरनाक होने के चलते यहां अक्सर हादसे भी होते रहते हैं। 2008 में हादसे के दौरान 18 लोगों की मौत हो गई थी। पिछले 20 साल में 50 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
2. कुरशेवल अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट, फ्रांस
इस एयरपोर्ट के रनवे की लंबाई सिर्फ 537 मीटर है। चारों तरफ पहाड़ों से घिरा है, जहां सालभर बर्फ जमी रहती है।
फ्रांस का यह हवाई अड्डा दुनिया के सबसे छोटे रनवे में से एक है, जिसकी लम्बाई सिर्फ 537 मीटर है। यहां से उड़ान भरना और लैंड करना दोनों बेहद खतरनाक और चैलेंजिंग होता है। यह रनवे चारों तरह पहाड़ से घिरा है, जहां सालभर बर्फ जमी रहती है। यह 2007 मीटर की ऊंचाई पर है। यहां हर साल जाड़े में 6 हजार से ज्यादा प्लेन उड़ान भरते हैं।
यहां उड़ान भरते समय सावधानी बरतनी होती है। बड़े और भारी प्लेन यहां उड़ान नहीं भरते हैं। पिछले साल एक प्लेन हादसे का शिकार हो गया था। जिसमें पांच लोग घायल हो गए थे। यहां का रनवे सीधा नहीं है, बल्कि स्लोप के आकार का है।
3. पारो एयरपोर्ट, भूटान
भूटान का पारो एयरपोर्ट समुद्र तल से 2235 मीटर ऊंचाई पर है। कुछ चुनिंदा पायलटों को ही यहां से उड़ान भरने के लिए सर्टिफिकेशन मिला है।
पारो एयरपोर्ट भूटान में है। यह पारो शहर से करीब 6 किमी दूर है, जो चारों तरफ ऊंची पहाड़ियों से घिरा हुआ है। इसकी लम्बाई 6500 फीट है, जबकि समुद्र तल से इसकी ऊंचाई करीब 2235 मीटर है। यहां रात में उड़ान भरना मना है। इसकी शुरुआत 1968 में हुई थी, भारतीय सेना ने अपने उपयोग के लिए इसकी शुरुआत की थी।
यहां से उड़ान भरने के लिए पायलटों के लिए कुछ जरूरी शर्तें रखी गई हैं। जिन पायलटों ने विशेष ट्रेनिंग ली है, वही उड़ान भर सकते हैं। कुछ चुनिंदा पायलटों को ही यहां से उड़ान भरने के लिए सर्टिफिकेशन मिला है। एक साल में 1.8 लाख यात्री यहां से उड़ान भरते हैं।
4. मैडिएरा एयरपोर्ट, पुर्तगाल
इस एयरपोर्ट के रनवे को बेहद खतरनाक माना जाता है। इसके दोनों तरफ पहाड़ है और दक्षिण में समुद्र है।
मैडिएरा एयरपोर्ट जो पुर्तगाल में है। इसे दुनिया के सबसे खतरनाक एयरपोर्ट माना जाता है। इसके दोनों तरफ पहाड़ी है। साथ ही साउथ में समुद्र भी है। यहां लैंडिंग करना बहुत मुश्किल टास्क होता है। कई बार प्लेन अपने डायरेक्शन से भटक जाता है। शुरुआत में इसका रनवे काफी छोटा था। इससे लैंड करने और उड़ान भरने में दिक्कत होती थी, पास में समुद्र होने के कारण उसमें फिसल जाने की भी आशंका रहती थी। इसलिए इंजीनियरों की मदद से इसे बढ़ाया गया। 1977 में रनवे पर विमान के फिसलने से 131 लोगों की मौत हो गई थी।
5. जुआंचो एयरपोर्ट, साबा
इसे दुनिया का सबसे छोटा रनवे माना जाता है। यह तीन ओर से समुद्र से घिरा हुआ है।
कैरेबियाई द्वीप साबा के जुआंचो एयरपोर्ट का रनवे बेहद खतरनाक है। यह दुनिया का सबसे छोटा कमर्शियल रनवे है, जो चट्टान पर बना है। यह तीन तरफ से समुद्र से घिरा है। इस रनवे की लंबाई करीब 396 मीटर है, जबकि आम रनवे 2000 से 2500 मीटर लंबे होते हैं।
6. जिब्राल्टर एयरपोर्ट
जिब्राल्टर एयरपोर्ट दुनिया का एक मात्र ऐसा एयरपोर्ट है, जिसके रनवे के बीच से सड़क होकर गुजरती है।
भूमध्यसागर के पास 6.8 वर्ग किलोमीटर में फैले जिब्राल्टर द्वीप पर बना यह दुनिया का इकलौता एयरपोर्ट है, जिसके रनवे के बीच से सड़क गुजरती है। ऐसे में अगर कोई कार या पायलट गलती से सिग्नल तोड़ दे तो सैकड़ों यात्री हादसे का शिकार हो सकते हैं। जब इस एयरपोर्ट पर किसी जहाज की लैंडिंग होती हैं, तो दोनों तरफ से सड़क को बंद कर दिया जाता है। यहां एक साल में 5 लाख से ज्यादा यात्री ट्रैवल करते हैं।
7. पाक्योंग एयरपोर्ट, सिक्किम
पीएम मोदी ने इस एयरपोर्ट का उद्घाटन 2018 में किया था। यह सिक्किम का पहला और देश का 100वां एयरपोर्ट है।
साल 2018 में सिक्किम को अपना पहला एयरपोर्ट मिला था। पीएम मोदी ने इसका उद्घाटन किया था। इस एयरपोर्ट के रनवे को भी टेबल टॉप रनवे कहा जाता है। यह रनवे समुद्र तल से 4,500 फुट की ऊंचाई पर बसे पाक्योंग गांव के करीब दो किलोमीटर ऊपर एक पहाड़ी की चोटी पर बनाया गया है। यह एयरपोर्ट 201 एकड़ जमीन में फैला है। यह एयरपोर्ट भारत-चीन सीमा से 60 किमी की दूरी पर है। पहाड़ी पर होने से यहां लैंडिंग करना और यहां से उड़ान भरना मुश्किल टास्क होता है। ट्रेंड पायलट ही यहां से फ्लाइट उड़ाते हैं।
8. कुशोक बाकुला रिम्पोछे एयरपोर्ट, लेह
इसका रनवे चारों तरफ से बर्फ से ढका हुआ है। यह 3259 मीटर की ऊंचाई पर है।
इसी तरह जम्मू-कश्मीर के लेह में भी कुशोक बाकुला रिम्पोछे एयरपोर्ट पर टेबल टॉप रनवे है। यह एयरपोर्ट सबसे ज्यादा ऊंचाई पर होने की वजह से भी दुनिया भर में चर्चित है। इस एयरपोर्ट का रनवे 3259 मीटर की ऊंचाई पर है। रनवे चारों तरफ से बर्फ से ढका हुआ है। इसलिए यहां से प्लेन को उड़ाने और लैंड करने के दौरान मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
9. लेंगपुई एयरपोर्ट, मिजोरम
आइजोल से करीब 32 किमी दूरी पर है। यह करीब 2500 मीटर लंबा है। इसे टेबल टॉप रनवे कहा जाता है।
मिजोरम के लेंगपुई एय़रपोर्ट का रनवे भी पहाड़ की चोटियों पर बना है। यह करीब 2500 मीटर लंबा है। यह आइजोल से करीब 32 किमी दूरी पर है। इस एयरपोर्ट के रनवे को भी टेबल टॉप रनवे कहा जाता है। यह 1998 में बनकर तैयार हुआ था। पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने इसका उद्घाटन किया था।
10. कांगड़ा एयरपोर्ट, हिमाचल प्रदेश
1269 एकड़ में बने इस एयरपोर्ट का रनवे 2492 फीट की ऊंचाई पर है।
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में बने गग्गल एयरपोर्ट के रनवे को भी बेहद खतरनाक माना जाता है। 1269 एकड़ में बने इस एयरपोर्ट पर रनवे 2492 फीट की ऊंचाई पर है। यहां विमान लैंड कराने में पूरी सावधानी बरतनी होती है। यह हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से 12 किमी की दूरी पर है।