राम मंदिर: आडवाणी को गिरफ्तार करने वाले DIG का सबसे बड़ा खुलासा... जानिए क्या कहा

Posted By: Himmat Jaithwar
8/6/2020

रांची:
आखिरकार अयोध्या में श्रीराम मंदिर की नींव रख दी गई। भूमि पूजन के साथ ही सदियों से चले आ रहे विवाद का पटाक्षेप हो गया। लेकिन आज भी कई ऐसी बातें हैं जो प्रासंगिक हैं... आज भी इन बातों की चर्चा होती है। लेकिन ऐसे ही किसी खास लम्हे से जुड़ा कोई खुलासा हो तो कोई भी चौंक जाएगा। समस्तीपुर के तत्कालीन DIG रामेश्वर उरांव ने रांची में ऐसा ही एक खुलासा किया है।

जानिए क्या हुआ था 23 अक्टूबर 1990 को
23 अक्टूबर 1990, ये वो तारीख है जिसकी RJD सुप्रीमो लालू यादव अपनी उपलब्धियों में से एक मानते और गिनाते हैं। इसी दिन राम मंदिर निर्माण के लिए सोमनाथ से चली रथयात्रा को बिहार में रोक लिया गया था। आडवाणी और प्रमोद महाजन की गिरफ्तारी भी इसी दिन हुई थी। मगर क्या आपको पता है कि इस रथयात्रा को किसने रोका और किसने की आडवाणी और महाजन की गिरफ्तारी। वो शख्स थे रामेश्वर उरांव... उस वक्त एकीकृत बिहार-झारखंड के IPS ऑफिसर जो बिहार में DIG थे।

रामेश्वर उरांव ने 27 साल बाद सिलसिलेवार 23 अक्टूबर 1990 की घटना से जुड़ी हर बात का खुलासा किया है। रामेश्वर उरांव के मुताबिक आडवाणी की रथयात्रा समस्तीपुर पहुंचने वाली थी। इसी बीच तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव ने रामेश्वर उरांव को रथयात्रा रोकने और आडवाणी को गिरफ्तार करने का आदेश दिया। रामेश्वर उरांव आदेश मिलते ही समस्तीपुर रवाना हो गए। वहां पहुंचने के बाद उन्होंने रथयात्रा को रोक लिया। लालकृष्ण आडवाणी और दिवंगत प्रमोद महाजन को भी उसी वक्त गिरफ्तार कर लिया गया।

रामेश्वर उरांव के मुताबिक आडवाणी को गिरफ्तार करने के बाद तीन दिन वो उनके साथ रहे। उरांव का कहना है कि आडवाणी काफी सुलझे हुए नेता हैं और उनकी गिरफ्तारी के दौरान इस बात को उरांव ने काफी करीब से महसूस किया। वो आज भी लालकृष्ण आडवाणी की तारीफ करते हैं। समस्तीपुर में गिरफ्तारी के बाद आडवाणी को रामेश्वर उरांव दुमका के मसानजोर मसानजोर स्थित डाकबंगला में 12 दिन तक नजरबंद रखा गया।

उस वक्त बिहार के दुमका से पश्चिम बंगाल के सिउड़ी जाने वाली मुख्य सड़क को 15 किलोमीटर तक सील कर दिया गया था और चारों ओर भारी संख्या में पुलिस फोर्स की तैनाती कर दी गई थी लालकृष्ण आडवाणी की 12 दिनों तक यहां नजरबंदी के बाद सिंचाई विभाग के इस डाकबंगले को लोग आडवाणी के नाम ही जानने लगे थे। मसानजोर आने वाले पर्यटक आज भी इस डाकबंगले को अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण प्रसंग के साथ जोड़कर देखते हैं।


खुलासे का मतलब
राजनीतिक हलकों में इस खुलासे के कई मायने निकाले जा रहे हैं। भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संतोष रंजन राय के मुताबिक उरांव खुलकर नहीं कहना चाह रहे लेकिन इशारों में उनका मतलब यही है कि आडवाणी की गिरफ्तारी की कोई जरुरत नहीं थी और न ही उस वक्त रथयात्रा से देश के किसी हिस्से में लॉ एंड ऑर्डर को कोई खतरा था। संतोष रंजन राय के मुताबिक ये लालू यादव ने उस वक्त सिर्फ और सिर्फ अपने राजनीतिक फायदे और विद्वेश की भावना से करवाया था। संतोष रंजन राय BJYM के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष से पहले झारखंड भाजपा युवा मोर्चा के प्रभारी भी रहे हैं।

अब झारखंड के कांग्रेस अध्यक्ष हैं आडवाणी को गिरफ्तार करने वाले रामेश्वर उरांव
पुलिस विभाग से रिटायरमेंट के बाद उरांव ने राजनीति का रास्ता चुना और आज की तारीख में वो झारखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हैं। राम मंदिर भूमि पूजन के बाद उरांव ने कहा कि कांग्रेस ने कभी भी भाजपा की तरह मंदिर, मस्जिद, गिरजाघर और गुरुद्वारे के मुद्दे को लेकर राजनीति नहीं की। कांग्रेस की आस्था राम मंदिर निर्माण में शुरू से रही है सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया था। उनके बाद पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने इसे आगे बढ़ाया।



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