किसान महिलाएं घर बैठकर कृषि अवशेषों या अपने ही खेत के पेड़-पौधों से उत्पाद तैयार कर पैसा कमा सकती हैं। ऐसी ही क्रिएटिविटी सामने आई है हिमाचल प्रदेश में। हिमाचल के जिला सोलन की महिलाओं ने मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के तहत ट्रेनिंग लेकर वहां पर होने वाले चीड़ के पड़े की पत्तियों और कुशा से राखियां तैयार की हैं।
महिलाओं ने चीड़ की पत्तियों से पेन स्टैंड, गुल्लक, चपाती बॉक्स समेत कई उत्पाद तैयार किए हैं। स्वदेशी उत्पाद को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कुदरती पेड़-पौधों से राखियां तैयार की। इन राखियों की खास बात यह है कि चीड़ के पत्तों को डेकोरेट करके उनमें सरसों के बीज लगाए गए हैं। इसके पीछे वैज्ञानिकता यह है कि जब भी राखी को निकाला जाएगा, तो जिस कच्चे स्थान पर बीज गिरेंगे वहां सरसों उग जाएगी।
किसान महिलाएं कृषि अवशेषों से बना सकती हैं उत्पाद
सोशल एजुकेशन एंड बलॉक प्लानिंग अफसर मंजुला कंवर ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर अभियान वोकल फॉर लोकल को लेकरयह प्रयास किया है। प्रशिक्षिका अनिता ठाकुर ने बताया कि चीन में बनी राखियों से यह राखियां बेहतर हैं। इससे पर्यावरण संरक्षित होगा।