उमा भारती और जयभान सिंह पवैया को रामजन्म भूमि न्यास ने अयोध्या बुलाया, 3 दिन भूमि पूजन कार्यक्रम में रहने के निर्देश

Posted By: Himmat Jaithwar
8/1/2020

अयोध्या में पांच अगस्त को भगवान श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में मध्य प्रदेश से पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती और मंत्री जयभान सिंह पवैया शामिल होंगे। दोनों को रामजन्म भूमि न्यास ने भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल होने के निर्देश दिए हैं। दोनों ही नेता रामजन्म भूमि आंदोलन से लंबे समय से जुड़े हुए हैं। न्यास ने जो संदेश दोनों नेताओं को भेजा है, उसमें कहा गया है कि 4 अगस्त की शाम तक अयोध्या पहुंच जाएं और 6 अगस्त की शाम तक वहीं रहें। उमा भारती ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है।

उमा भारती राम जन्म भूमि आंदोलन की प्रमुख नेता रही हैं। वहीं, जयभान सिंह पवैया आंदोलन में मध्य प्रदेश से मुख्य आंदोलनकारी के साथ बजरंग दल के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं। पवैया और उमा भारती पर अभी भी विवादित ढांचा गिराने के लिए लोगों को उकसाने का केस चल रहा है। जुलाई के पहले पखवाड़े में दोनों नेता अपने बयान दर्ज कराने लखनऊ गए थे।

उमा ने ट्वीट कर जानकारी दी

उमा भारती ने ट्वीट में कहा कि उन्हें निर्देश मिला है कि वह चार अगस्त की शाम तक अयोध्या पहुंच जाएं और छह अगस्त तक वहीं रहना होगा। उन्होंने कहा कि मैं एक समाचार आप सबके साथ शेयर कर रही हूं जिसे जानने के लिए आप सब उत्सुक थे। मुझे अभी अयोध्याजी के राम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ पदाधिकारी ने निर्देश दिया है कि मैं 4 अगस्त की शाम तक अयोध्याजी पहुंच जाऊं और उनके निर्देश के अनुसार मुझे 6 अगस्त तक अयोध्याजी में ही रहना होगा। मैं अभी 30 जून को भी अयोध्या जी गई थी। रामलला के दर्शन किए थे, आरती में भाग लिया था। अब मुझे फिर रामलला के दर्शन का मौका मिलेगा।

पवैया ने बताया उस दिन क्या हुआ था

जयभान सिंह पवैया का कहना है कि मेरा ही नहीं, पूरे देश का एक सपना पूरा हो रहा है। 500 साल बाद हम इतिहास को बदलते देखने जा रहे हैं। आंदोलन के दौरान हम नारा लगाते थे- रामलला हम आएंगे, मंदिर वही बनाएंगे अब पूरा होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि 6 दिसंबर 1992 को मंच पर अशोक सिंघल, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, संघ से सुदर्शनजी, शेषाद्रीजी, विजयाराजे सिंधिया, महंत नृत्यगोपालदास महाराज, आचार्य धर्मेंद्रजी, अवेध्यानंद महाराज, साध्वी उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा सहित हम सभी मौजूद थे।

कारसेवक दौड़ते हुए सीधे गुंबद पर चढ़ गए। और उसे ढहा दिया। जनवरी 1993 में सीबीआई ने केस दर्ज किया। मेरे घर पर छापा मारा। उन्हें बाबरी ढांचे की ईंट तो बरामद नहीं हुई, लेकिन बहुत सारे दस्तावेज, भाषणों की कैसेट आदि जब्त कर ले गए थे। इसके बाद मैं तीन महीने फरारी काटता रहा। दिसंबर 1993 में लखनऊ कोर्ट में हमें पेश किया गया। इसके बाद लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, आचार्य गिर्राज किशोर, विनय कटियार और सतीश प्रधान को भी 13 दिन के लिए हिरासत में भेज दिया गया था।



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