दशरथ सिंह ने साहस से किया था घुसपैठियों को ढेर

Posted By: Himmat Jaithwar
7/26/2020

मंदसौर: आज करगिल विजय दिवस है। 26 जुलाई 1999 को भारतीय जांबाजों ने करगिल की भूमि को पाकिस्तानी घुसपैठियों से मुक्त कराकर टाइगर हिल पर तिरंगा लहराया था। भारतीय जवानों के अदम्य साहस और वीरता ने घुसपैठियों को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। आज आपको मिलवाते हैं करगिल के ऐसे ही जांबाज से जिन्होंने वीरता और साहस से दुश्मनों के दांत खट्टे किए थे। 


करगिल में एक महीने से ज्यादा दिन तक चली भारत-पाकिस्तान की लड़ाई का एक-एक लम्हा आज भी जहन में हैं। दशरथ सिंह उन जांबाजों में शामिल हैं। जिन्होंने घुसपैठियों को वापस लौटने पर मजबूर कर दिया था। रिटायर्ड फौजी दशरथ सिंह राजपूत रेजीमेंट की उस घातक प्लाटून को कमांड कर रहे थे। जिसने पाकिस्तान सैनिकों और आतंकियों से लोहा लिया था। 


दशरथ सिंह बताते हैं कि देशभक्ति का ऐसा जुनून सैनिकों में था कि उन्हें तीन-तीन दिन तक खाने पीने का भी होश नहीं रहता था। बस एक ही धुन सवार थी कि भारत की भूमि को इन घुसपैठियों से मुक्त कराना है। 


दसरथ सिंह(Dashrath Singh) रॉकेट लॉन्चर के फॉयरर थे और उन पर ही दुश्मनों के बंकरों को उड़ाने का जिम्मा था। दशरथ सिंह ने दुश्मनों पर ऐसा निशाना साधा। कि पाकिस्तान को घुटने टेकने पड़े। दशरथ सिंह के अदम्य साहस और उनकी वीरता के लिए विशेष सेवा पदक सहित कई अवॉर्ड मिले हैं। जो आज भी उनकी छाती को चौड़ा कर रहे हैं। 


बेटे की देशभक्ति पर उनके पिता को भी नाज है। दसरथ सिंह के सेना में जाने के बाद परिवार के आठ सदस्य भी सेना में सेवाएं दे रहे हैं। वहीं गांव से 30 से 40 युवा सेना में भर्ती होकर देश की रक्षा में जुटे हैं।



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