देश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक मध्यप्रदेश समेत तीन राज्यों में मॉनसूनी बारिश की कमी से तिलहन फसल की पैदावार घटने का खतरा मंडरा रहा है। मानसून की खेंच से सोयाबीन की फसल मुरझाने लगी है। जवासिया कुमार, हरसोदन, दत्तरावदा, मानपुरा, चंदेसरा, चंदेश्वरी, कुमारिया, चिंतामन जवासिया, उज्जैन तहसील के गांवों में कम बारिश होने की वजह से सोयाबीन की फसल काे नुकसान होने की आशंका बढ़ गई है। साथ में चूहे भी फसल को नुकसान पहुंचा रहे हैं। किसानों का कहना है कि बारिश नहीं होने से कुएं, तालाब ,ट्यूबवेल में भी पानी नहीं आया है। कृषि विभाग के अनुसार इस बार पांच लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बोवनी हुई है। इसमें से सबसे ज्यादा 4 लाख 80 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल बोई है। कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक अधिकांश खरीफ फसलेें पूरी तरह से बारिश पर निर्भर रहती हैं। सोयाबीन, मूंग, मक्का को एक अंतराल में पानी मिलता रहे तो मिट्टी में नमी भी बनी रहती है और उनकी पानी की कमी भी पूरी होती है लेकिन बारिश की खेंच से मिट्टी में दरारें आने लगती हैं। इससे आने वाले वक्त में जब भी बारिश होती है तब ज्यादा पानी जमीन के नीचे चला जाता है। ऐसे में एक अंतराल में बारिश होना जरूरी है।