वॉरेन बफेट की 67.9 अरब डॉलर की नेटवर्थ को पीछे छोड़ आगे निकले आरआईएल के मालिक मुकेश अंबानी, 68.3 अरब डॉलर की नेटवर्थ

Posted By: Himmat Jaithwar
7/11/2020

मुंबई. विश्व के दिग्गज निवेशक वॉरेन बफेट को रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने पीछे छोड़ दिया है। वॉरेन बफेट की नेटवर्थ 67.9 अरब डॉलर रही है। जबकि अंबानी की नेटवर्थ 68.3 अरब डॉलर रही है। यह जानकारी ब्लूमबर्ग बिलिनायर्स इंडेक्स में दी गई है। इससे विश्व के टॉप 10 अमीरों की सूची में अब मुकेश अंबानी 8 वें नंबर पर आ गए हैं। जबकि बफेट 9 वें नंबर पर पहुंच गए हैं।

अंबानी ने जियो में हिस्सेदारी बेचकर जुटाया 1.17 लाख करोड़

बता दें कि मार्च से लेकर अब तक मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के शेयरों में दोगुना से ज्यादा की बढ़त देखी गई है। 23 मार्च को आरआईएल के प्रति इक्विटी शेयरों की कीमत बीएसई पर 864 रुपए थी। इस समय यह शेयर बढ़कर 1,820 रुपए पर पहुंच गया है। इससे मुकेश अंबानी की नेटवर्थ में अच्छा खासा इजाफा हुआ है। बता दें कि इसी अवधि में मुकेश अंबानी ने जियो प्लेटफॉर्म में अपनी हिस्सेदारी बेचकर 15 अरब डॉलर से ज्यादा की राशि जुटाए हैं।

जियो प्लेटफॉर्म का वैल्यूएशन 4.91 लाख करोड़ रुपए 

अंबानी की जियो में इस दौरान फेसबुक, सिल्वर लेक, केकेआर, अबूधाबी इन्वेस्टमेंट सहित कुल 12 निवेश आए थे। इसके एवज में जियो में 25 प्रतिशत के करीब इक्विटी बेची गई। यह इक्विटी 4.91 लाख करोड़ रुपए के वैल्यूएशन पर बेची गई है। इसी हफ्ते बीपी पीएलसी ने रिलायंस फ्यूल रिटेल बिजनेस में हिस्सेदारी खरीदने के एवज में 1 अरब डॉलर का पेमेंट किया है।

आरआईएल का शेयर मार्च से अब तक दोगुना बढ़ा

आरआईएल के शेयरों की कीमतें बढ़ने से केवल मुकेश अंबानी एशिया के ऐसे टॉयकून बन गए हैं, जो विश्व के टॉप 10 अमीर लोगों के एक्सक्लूसिव क्लब में शामिल हो गए हैं। वॉरेन बफेट की पोजीशन इस हफ्ते गिर गई। क्योंकि उन्होंने 2.9 अरब डॉलर की राशि चैरिटी में दान कर दी। 89 वर्षीय वॉरेन बफेट साल 2006 से बर्कशायर हैथवे का 37 अरब डॉलर से ज्यादा का दान कर चुके हैं। इसकी वजह से उनकी रैंकिंग गिर गई है। इसी दौरान उनके स्टॉक का प्रदर्शन भी कमजोर हुआ है।

63 साल के मुकेश अंबानी अब 8 वें सबसे अमीर बिजनेसमैन हैं। जबकि बफेट 9 वें नंबर पर हैं। दरअसल अंबानी की हाल में जो डील हुई है, इसकी वजह से उनकी नेटवर्थ में वृद्धि हुई है। भारत इस साल विलय और अधिग्रहण के क्षेत्र में सबसे टॉप पर रहा है।



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