भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (सीईओ) राहुल जौहरी का गुरुवार को इस्तीफा मंजूर कर लिया। उन्होंने पिछले साल 27 दिसंबर को ही पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन, तब बोर्ड ने इसे मंजूर नहीं किया था और उन्हें इस साल 30 अप्रैल तक एक्सटेंशन दिया था। लेकिन गुरुवार को अचानक उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया गया।
यह अब तक साफ नहीं हो पाया कि बोर्ड ने अचानक कैसे उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया। लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन पर गोपनीय जानकारी मीडिया को लीक करने का शक है।
एक पूर्व बीसीसीआई ऑफिशियल ने कहा कि जब आधिकारिक दस्तावेजों की बात होती है, तो किसी भी जिम्मेदार को उसकी गोपनीयता बनाए रखनी चाहिए। लेकिन बोर्ड में जौहरी को लेकर यह धारणा बन गई थी, उन्होंने इसका पालन नहीं किया। अगर विश्वास ही नहीं होगा, तो बोर्ड में ऊंचे ओहदे पर बैठे लोग कैसे उन पर(जौहरी) विश्वास करेंगे।
जौहरी पर ई-मेल लीक करने का शक
जौहरी का इस्तीफा मंजूर होने के पीछे मीडिया को लीक किए गए दो ई-मेल हैं। इसमें एक क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के हेड एर्ल एडिंग्स का टी-20 वर्ल्ड कप से जुड़ा, तो दूसरा कैग प्रतिनिधि अल्का रेहानी का है। 2016 में बोर्ड के पहले सीईओ बनने वाले जौहरी ने पिछले साल सौरव गांगुली के बोर्ड की कमान संभालने के बाद ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, तब उन्हें अपना कॉन्ट्रैक्ट खत्म होने तक पद पर बने रहने के लिए कहा गया था। सीईओ के तौर पर उनका कार्यकाल फरवरी 2021 तक था।
जौहरी के पास ज्यादा जिम्मेदारी नहीं थी
गांगुली की अगुआई वाली कमेटी के हाथों में बोर्ड की कमान आने के बाद से ही जौहरी की जिम्मेदारी बहुत कम हो गई थी। आईसीसी से जुड़े मामले भी सचिव जय शाह ही देख रहे थे। ऐसे में वे बोर्ड में रहना नहीं चाह रहे थे।
फरवरी में भी इस्तीफे की खबर आई थी
इसी साल फरवरी में भी उनके इस्तीफे दिए जाने की खबर थी, लेकिन उस समय आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई थी। तब न तो बोर्ड और न ही जौहरी की तरफ से इस्तीफे को लेकर कोई बयान आया था।
विवादों में रहा कार्यकाल
बीसीसीआई के सीईओ के तौर पर राहुल का कार्यकाल विवादों में घिरा रहा था। उन पर एक साल पहले महिला ने यौन शोषण के आरोप लगाए थे। उस वक्त पूरी दुनिया में मीटू कैम्पन चल रहा था। उन पर लगे आरोपों की जांच के लिए कमेटी बनाई गई थी। हालांकि, जांच कमेटी ने जौहरी को क्लीन चिट दी थी।