यूपी पुलिस के 33 मोस्ट वांटेड में सबसे ऊपर है पंजाबी मूल के ट्रांसपोर्टर का बेटा बदन सिंह का नाम

Posted By: Himmat Jaithwar
7/10/2020

जालंधर. उज्जैन से गिरफ्तार उत्तर प्रदेश पुलिस के लिए सिरदर्द बने कुख्यात बदमाश विकास दुबे के साथियों में एक नाम बदन सिंह बद्दो का भी है। यह वही शख्स है, जिसके सिर पर यूपी पुलिस ने ढाई लाख का इनाम रखा है। मेरठ के अलावा दिल्ली, पंजाब, हरियाणा समेत कई राज्यों में इसकी संपत्ति बताई जा रही है। वहीं एक अनछुआ पहलू यह भी है कि इसका जन्म पंजाब में ही हुआ था। 7 भाइयों में सबसे आखिर में जन्मा बदन सिंह अपराध की दुनिया का इतना बड़ा चेहरा बन गया कि 8 पुलिस वालों की हत्या के बाद जारी 33 शातिर बदमाशों की सूची में पहले नंबर पर गिना जाता है। कई बार उसकी लोकेशन पंजाब में होने की बात भी सामने आ चुकी है। सूत्रों के मुताबिक इन दिनों वह नीदरलैंड में बैठकर लोकल गुर्गों के सहारे अपराध की दुनिया में अपनी मौजूदगी बनाए हुए है।
ध्यान रहे, काफी दिन पहले उत्तर प्रदेश के कानपुर में बदमाश विकास दुबे और उसके साथियों ने के घर दबिश देने आई पुलिस टीम के 8 जवानों को  मौत के घाट उतार दिया था। खासी फजीहत के बाद गुरुवार को विकास दुबे को उज्जैन के महाकाल मंदिर से गिरफ्तार कर लिया गया। पिछले काफी समय से यह प्रकरण सुर्खियों में है। इसके चलते यूपी पुलिस ने 33 कुख्यात अपराधियों की लिस्ट जारी की थी। हालांकि इसमें कई माफिया और बाहुबली शामिल हैं, लेकिन सबसे ऊपर दर्ज कुख्यात अपराधी बदन सिंह बद्दो 28 मार्च 2019 को पूर्वांचल की जेल से उसे गाजियाबाद कोर्ट में पेशी पर ले जाते वक्त भागने में कामयाब हो गया। पिछले 15 महीने से उसका कोई सुराग नहीं मिल रहा था। 28 मार्च 2020 को लुक आउट नोटिस की अवधि को आगे बढ़ाया गया, वहीं फिरौती, हत्या, हत्या की कोशिश, अवैध हथियार रखने और उनकी आपूर्ति करने और बैंक डकैती जैसे 40 के करीब अन्य मामले दर्ज हैं।
जहां तक अपराध की दुनिया में बद्दो का इतना बड़ा नाम होने की बात है तो यह कभी वक्त मेरठ की गलियों का छोटा-मोटा गुंडा था। हुआ यूं कि 1970 में पंजाब के अमृतसर से मेरठ आकर इसके पिता ने ट्रांसपोर्ट का धंधा शुरू किया था। सात भाइयों में सबसे छोटा बदन सिंह भी पिता के काम से जुड़ गया। इसके बाद वह अपराधियों के संपर्क में आया था। 80 के दशक में वह मेरठ के मामूली बदमाशों के साथ मिलकर शराब की तस्करी किया करता था। इसके बाद वह पश्चिमी यूपी के कुख्यात गैंगस्टर रविंद्र भूरा के गैंग में शामिल हो गया। 1988 में सबसे पहले उस पर हत्या का मामला दर्ज किया गया। बताया जाता है कि व्यापार में मतभेद होने पर राजकुमार नामक एक व्यक्ति को दिनदहाड़े गोली मार दी थी। 
इसके बाद उसने 1996 में वकील रविंद्र सिंह हत्या कर दी। इसी केस में 31 अक्टूबर 2017 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई, लेकिन वह महज 17 महीने बाद ही फरार हो गया। सूत्रों की मानें तो फिलहाल वह देश छोड़कर विदेश भाग गया है और उसकी लास्ट लोकेशन नीदरलैंड की बताई जा रही है। वहीं बैठकर अपने लोकल गुर्गों जरिए क्राइम की दुनिया में अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहा है।



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