लाहौर. 2014 में नोबेल शांति सम्मान हासिल करने वाली मलाला युसुफजई का पाकिस्तान में विरोध हो रहा है। लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंस (एलयूएमएस) की कुछ दिनों बाद होने वाली कन्वोकेशन सेरेमनी (दीक्षांत समारोह) में मलाला को न्योता दिए जाने का विरोध किया गया है। इस सेरेमनी की तारीख अभी तय नहीं है। लेकिन, माना जा रहा है कि यह इसी महीने होगी। कुछ स्टूडेंट्स ने वाइस चांसलर को चिट्ठी लिखकर मलाला को देश विरोधी बताया है।
हालांकि, यह पहला मौका नहीं है जब मलाला को अपने ही देश में विरोध का सामना करना पड़ा है। उन पर अमेरिका और ब्रिटेन का समर्थक होने के आरोप पहले भी लग चुके हैं।
मलाला की जगह बिलाल को बुलाने की मांग
एलयूएमएस के एक एसोसिएट प्रोफेसर ने सोशल मीडिया पर लिखा- ग्रेजुएट होने वाले कुछ स्टूडेंट्स नहीं चाहते कि मलाला को कन्वोकेशन सेरेमनी में बुलाया जाए। उनकी जगह यंग सिंगर बिलाल खान को बुलाए जाने की मांग हो रही है। मिलिट्री फैमिली से आने वाले कुछ स्टूडेंट्स मलाला को देश विरोधी मानते हैं। मलाला पर 2012 में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में आतंकी हमला हुआ था। उन्हें इलाज के लिए ब्रिटेन ले जाया गया। अब वो ब्रिटिश नागरिक हैं। हाल ही में आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हुई हैं।
कुछ लोग मलाला पर हुए हमले को ड्रामा मानते हैं
पाकिस्तान के अखबार ‘नया दौर’ के मुताबिक, मलाला दुनिया और पाकिस्तान के लिए बड़ा नाम हैं। लेकिन, पाकिस्तान में कुछ लोग ऐसे हैं जो उन्हें पसंद नहीं करते। इनमें इलीट क्लास के कुछ लोग भी शामिल हैं। इनका मानना है कि मलाला अमेरिकी मदद से आगे बढ़ी हैं। कुछ लोग तो यहां तक कहते हैं कि 2012 में मलाला पर हमला और फिर उनका ब्रिटेन जाना महज ‘ड्रामा’ था।