बुधवार, 1 जुलाई यानी आज आषाढ़ महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी है। इसे देवशयनी एकादशी पर्व कहा जाता है। काशी के धर्म ग्रंथों के जानकार पं. गणेश मिश्र ने बताया कि इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने तक योग निद्रा में रहते हैं। इस एकादशी पर भगवान विष्णु की विशेष पूजा के बाद शयन करवाने की परंपरा है। इस एकादशी पर श्रद्धा अनुसार व्रत और उपवास रखा जाता है। भगवान विष्णु का अभिषेक किया जाता है और दान दिया जाता है। इसके बाद कार्तिक महीने के शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि यानी 25 नवंबर को विशेष पूजा पाठ के साथ भगवान को जगाया जाएगा। इस दिन को देव प्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है। भगवान विष्णु के जागने के बाद इस दिन से मांगलिक कामों की शुरुआत हो जाएगी।
वामन पुराण के अनुसार 4 महीने पाताल में रहते हैं भगवान विष्णु
- वामन पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु ने वामन अवतार में राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगी थी। भगवान ने पहले पग में पूरी पृथ्वी, आकाश और सभी दिशाओं को ढक लिया। अगले पग में स्वर्ग लोक ले लिया। तीसरा पग बलि ने अपने आप को समर्पित करते हुए सिर पर रखने को कहा। इस तरह दान से प्रसन्न होकर भगवान ने बलि को पाताल लोक का राजा बना दिया और वर मांगने को कहा।
- बलि ने वर मांगते हुए कहा कि भगवान आप मेरे महल में निवास करें। तब भगवान ने बलि की भक्ति देखते हुए चार महीने तक उसके महल में रहने का वरदान दिया। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी से देवप्रबोधिनी एकादशी तक पाताल में बलि के महल में निवास करते हैं।
देवशयनी एकादशी की पूजा विधि
- इस विधि से करें देवशयनी एकादशी का व्रत
- सुबह जल्दी उठकर घर की सफाई करें और फिर नहाएं।
- पूजा के स्थान पर भगवान विष्णु की सोने, चांदी, तांबे या पीतल की मूर्ति स्थापित करें।
- फिर भगवान की पूजा करें। भगवान विष्णु को पीला कपड़ा चढ़ाएं।
- व्रत की कथा सुनें उसके बाद आरती करें। फिर प्रसाद बांटकर ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।