हैदराबाद. जेवर, लिबास, मोती और चूड़ियों की शॉपिंग के लिए दुनियाभर में हैदराबाद का चारमीनार इलाका अपनी अलग पहचान रखती है। रमजान के बाद शादियों के इस मौसम में यहां पांव रखने की जगह नहीं मिलती थी। लेकिन, इस बार कोरोना के चलते यह हाल हो गया है कि दुकानदार सड़क पर चल रहे ग्राहकों को आवाज दे देकर बुला रहे हैं।
ऐतिहासिक इमारत चारमीनार इन दिनों रंग और रौनक के बिना सूनी है। इसके आसपास की छोटी छोटी गलियां शादी की खरीदारी के लिए खास मशहूर हैं। एक दिन में करोड़ों का कारोबार करने वाला हैदराबाद का यह पुराना इलाका इन दिनों खाली है। दुकानदारों का तो ये तक कहना है कि वो बस दिल को तसल्ली देने भर के लिए दुकानें खोल रहे हैं।
ग्राहकों के बिना सूनी हैं दुकानें
वेडिंग कलेक्शन के लिए मशहूर काका जी वेडिंग मॉल के आरिफ पटेल बताते हैं ‘हैदराबाद का जरदोजी वर्क वाला दुपट्टा सबसे मशहूर है, ये सिर्फ हैदराबाद में ही मिलता है। इसकी कीमत 11 हजार रुपए से लेकर पांच लाख रुपए तक होती है। लेकिन, कोरोना की बाजार पर ऐसी मार पड़ी कि हमारा शोरूम ग्राहकों के बिना सूना है।’
आरिफ के पास 40 लोग काम करते थे जिसमें से अब सिर्फ 7 रह गए हैं। वे बताते हैं कि ईद और शादियों का यह सीजन पूरे साल की कमाई कर देता था जिसमें दुल्हन के अलावा रिश्तेदारों के कपड़े भी लिए जाते थे, लेकिन अब घर में दस लोगों में शादी हो रही है तो परिवार वाले रिश्तेदारों के लिए कपड़े नहीं खरीद रहे हैं। सिर्फ दुल्हन का जोड़ा ले रहे हैं।
कोरोना से पहले हर दिन 30 लाख का होता था कारोबार
मोती गली में लिबास वेडिंग कलेक्शन के मुबीन बताते हैं ‘आम दिनों में यहां हर दिन आने वाले ग्राहकों की गिनती ही नहीं की जा सकती थी, भीड़ ऐसी होती थी कि शायद मैं आपसे बात भी नहीं कर पाता।’ लाड बाजार चूड़ियों के लिए मशहूर है। अल सुल्तान ट्रेडर के आमिर खान के मुताबिक लाख पर स्टोन की कारीगरी वाली यह चूड़ियां बेहद खास होती हैं। इसकी यहां 300 दुकानें हैं जहां हर दिन लगभग 10 से 12 हज़ार रुपए का कारोबार होता था, लेकिन अभी मुश्किल से एक दिन में एक से दो हजार रुपए का ही हो पाता है।
चारमीनार मार्केट में पहले एक दिन में 5 करोड़ का कारोबार होता था
चारमीनार की बैंगल एसोसिएशन के सचिव शोएब बताते हैं कि दुल्हन के लिए हैदराबादी चूड़ियां यहां की पहचान है। हालांकि इसके लिए कच्चा माल फिरोज़ाबाद और कोलकाता से आता है। इस बार नया माल इसलिए नहीं लाए, क्योंकि पहले वाला ही नहीं बिक रहा है। शोएब कहते हैं, पूरे चारमीनार के सभी तरह के बाजार मिलाकर एक दिन का लगभग पांच करोड़ का कारोबार होता था, जो कोरोना की वजह से इन दिनों डेढ़ करोड़ के आसपास हो गया है। यहां हर दुकान से 500 लोगों का घर चलता है। लेकिन अब हर दुकान से स्टाफ भी आधा कर दिया गया है।
मोतियों के व्यापारी अब ऑनलाइन करेंगे कारोबार
दुनिया में मोती कहीं के भी हो, वे कच्चे हैदराबाद आते हैं। हैदराबाद दुनिया में मोतियों के कारोबार का सबसे बड़ा बाजार है। यहां से क्वालिटी के मुताबिक मोती छांटकर दूसरे देशों में जाते हैं।सर्राफा एसोसिएशन के हृदय अग्रवाल का कहना है, ‘डििटल पर जाए बिना 100 करोड़ के टर्नओवर का बिज़नेस दोबारा खड़ा नहीं हो पाएगा। वह कहते हैं, अगर हम मोतियों के कारोबार के लिए ई कॉमर्स वेबसाइट खोलते हैं तो वह मंहगी भी है और उसे मैनेज करने का खर्च भी ज्यादा है।
अब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जा रहे व्यापारी
फिलहाल वो अमेज़ॉन और फ्लिपकार्ट के जरिए काम शुरू करेंगे उसके बाद हैदराबादी मोतियों के लिए ई कॉमर्स वेबसाइट शुरू करेंगे। इसके अलावा इंस्टाग्राम और फेसबुक के जरिए इसकी मार्केटिंग शुरू कर रहे हैं। अग्रवाल का कहना है कि हम किसी दूसरे बिज़नेस में इसलिए नहीं जा सकते क्योंकि हमें मोतियों के कारोबर के अलावा दूसरे बिज़नेस की खास जानकारी नहीं है। मोती की डिमांड इतनी है कि इसका बिजनेस हर साल मुनाफे पर मुनाफा दे रहा है। सोना, चांदी, हीरा खरीदना सबके बस की बात नहीं। मोती ने सोने, चांदी और हीरे को रिप्लेस किया है।
एसोसिएशन से जुड़े कुंजबिहारी अग्रवाल बताते हैं कि मोती हैदराबाद की पहचान है। चारमीनार में मोतियों के सभी कारोबारी अकेले बैठे हैं। यहां के सबसे बड़े मोती के कारोबारी कुंजबिहारी अग्रवाल बताते हैं कि मोती का बिजनेस टूरिस्ट पर निर्भर होता है क्योंकि स्थानीय लोग मोती नहीं खरीदते। यही वजह है कि अगले पांच महीने तक हमारा बिजनेस पूरी तरह से ठप रहने वाला है।
365 दिन गुलज़ार रहने वाले इस बिजनेस का हैदराबाद में सालाना टर्नओवर 100 करोड़ के आसपास था, जाहिर है जो हालात है उनमें कोई मोती नहीं खरीदेगा। कारोबारी ऑनलाइन बिजनेस में उतर रहे हैं। पहले कस्टमर दुकानदार तक आते थे लेकिन, अब वे लोग ऑनलाइन के जरिए कस्टमर तक जाएंगे।
चारमीनार से हैदराबाद को शहर बनाने की हुई थी शुरुआत
निजाम का हैदराबाद देखना हो तो चारमीनार जाए बिना नहीं देखा जा सकता। चारमीनार का इतिहास 400 साल से ज्यादा पुराना है। इसका निर्माण 1591 में कुतुब शाही वंश के पांचवें शासक मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने करवाया था। इसे बनाने ईरान से कारीगर आए थे। कहा जाता है कि हैदराबाद शहर को बनाने की शुरुआत चारमीनार से ही हुई थी।
शहर के बीचों बीच स्थित यह इमारत फारसी वास्तुकला से प्रेरित है। यहां की मदीना चौराहा, मक्का मस्जिद, चारमिनार बाज़ार, लाड बाज़ार, मोती गली, पत्थरगट्टी बाज़ार बहुत मशहूर है। दूर- दूर से लोग चारमीनार में हैदराबाद की आधुनिकता और परंपरा का मिश्रण देखने के लिए आते हैं। खाने पीने में हैदराबादी बिरयानी और निहारी के लिए भी यह इलाका मशहूर है।