एक पुरानी लोक कथा के अनुसार एक गांव में तीन संत भिक्षा मांगने निकले। वे घर-घर जाकर भिक्षा मांग रहे थे। तभी एक महिला ने उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया। संतों ने उससे पूछा कि आपके पति घर में हैं?
महिला ने कहा कि नहीं, अभी मैं अकेली हूं। तब संतों ने कहा कि जब आपके पति आ जाए, तब हमें भोजन के लिए बुलाना। शाम को महिला के पति और उसकी बच्ची घर आ गई।
महिला ने संतों की बात अपने पति और बच्ची को बताई। पति ने भी संतों को भोजन कराने के लिए हां कर दी। इसके बाद महिला तीनों संतों को बुलाने गई। संतों ने कहा कि हम तीनों एक साथ किसी के घर नहीं जा सकते। महिला ने पूछा ऐसा क्यों?
संतों ने जवाब दिया कि हमारे नाम धन, सफलता और प्रेम है। अपने पति से पूछकर बताओ आप हम तीनों में से किसे घर बुलाना चाहते हैं? महिला घर आई और पति को पूरी बात बताई। पति ने कहा कि हमें धन को अपने घर बुलाना चाहिए। ऐसा करने से हम धनवान हो जाएंगे।
महिला सफलता को बुलाना चाहती थी। तभी इनकी बेटी ने कहा कि हमें प्रेम को घर बुलाना चाहिए। प्रेम से बढ़कर दुनिया में कुछ भी नहीं है। पति-पत्नी ने बेटी की बात से सहमत हो गए। महिला संतों के पास गई और प्रेम को अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित किया।
अब प्रेम नाम का संत महिला के साथ चलने लगा, तभी दोनों संत भी उनके पीछे-पीछे चल दिए। महिला ने कहा कि महाराज आपने तो कहा था कि कोई एक ही हमारे घर आ पाएगा। अब आप तीनों क्यों आ रहे हैं?
संतों ने कहा कि अगर आप धन या सफलता को आमंत्रित करतीं तो केवल एक ही आपके घर आता, लेकिन आपने प्रेम को आमंत्रित किया है। जहां प्रेम रहता है, वहां धन और सफलता अपने आप आ जाते हैं। इसीलिए हम तीनों आपके घर आ रहे हैं। प्रेम से ही घर में सुख-शांति, सफलता और संपन्नता बनी रहती है।