नई दिल्ली. चुनीलाल वो यौद्धा हैं जिनका नाम भारतीय सेना के डेकोरेटेड सोल्जर्स की लिस्ट में शुमार है। आज से ठीक 13 साल पहले 24 जून 2007 को वो कश्मीर के कुपवाड़ा में आतंकवादियों से लड़ते शहीद हो गए थे। सेना ज्वाइन करे दो साल भी नहीं हुए थे कि उन्होंने 20 साल की उम्र में दुनिया के सबसे ऊंचे युद्ध के मैदान सियाचीन में पाकिस्तान के कब्जे से पोस्ट को छुड़ाकर उस पर तिरंगा फहराया था। वह सेना मेडल जीतने वाले तब सबसे कम उम्र के सैनिक थे।
आज भारतीय सेना के सर्वोच्च बलिदानी और अशोक चक्र से सम्मानित नायब सुबेदार चुनीलाल का शहादत दिवस है। आज ही के दिन 2007 में कुपवाड़ा सेक्टर में आंतकियों से लड़ते हुए चुनीलाल शहीद हो गए थे। मरणोपरांत उन्हें 15 अगस्त 2007 को सर्वोच्च सम्मान अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। इंडियन आर्मी ने ट्वीट कर चुनी लाल की शहादत को याद किया है।
नायब सुबेदार चुनीलाल का जन्म 6 मार्च 1968 को जम्मूके भदरवाह में हुआ था। वे महज 19 साल की उम्र में सेना में शामिल हो गए। चुनीलाल जम्मू-कश्मीर लाइट इंफेंट्री के 8वीं बटालियन के जवान थे। उन्होंने 1987 में 21 हजार 153 फीट की ऊंचाई पर सियाचिन ग्लेशियर के बाना पोस्ट पर भारत का तिरंगा फहराने में अहम भूमिका निभाई थी। इस बहादुरी के लिए उन्हें सेना पदक से सम्मानित किया गया था।
युद्ध के सबसे ऊंचे मैदान पर फतह
साल 1987 में पाकिस्तान की तरह से बड़ी संख्या में सियाचिन ग्लेशियर में घुसपैठ हो रही थी। इन्हें रोकना कठिन काम था। इसके लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया गया। इसमें चुनीलाल भी शामिल हुए।
पाकिस्तानी घुसपैठी 65 सौ मीटर की ऊंचाई पर सियाचिन क्षेत्र में कब्जा जमाए थे। उन्हें ऊंचाई का एडवांटेज था, वे भारतीय जवानों को और उनके पोजिशन्स को आसानी से देख सकते थे। पाकिस्तान ने उस पोस्ट का नाम कैद-ए-आजम मोहम्मद अली जिन्ना के नाम पर कैद पोस्ट रखा था।
26 जून 1987 को नायब सुबेदार बाना सिंह के नेतृत्व में ऑपरेशन शुरू हुआ। इसका नाम ऑपरेशन राजीव रखा गया। इसमें चुनीलाल ने गजब की बहुादुरी दिखाई थी। उन्होंने अकेले दो पाकिस्तानी घुसपैठियों को मार गिराया। बाना सिंह ने एक बार कहा था कि चुनीलाल हमारे टीम में सबसे कम उम्र का जवान था, लेकिन शेर की तरह बहादुर था। वह उन चार वीर जवानों में से एक था जिसने कैद पोस्ट पर भारत का झंडा लहराया था।
ऑपरेशन रक्षक 1999
इसके बाद 1999 में पुंछ सेक्टर में ऑपरेशन रक्षक शुरू किया गया। चुनीलाल ने बहादुरी के साथ लड़ते हुए 12 आतंकियों को मार गिराया था और पोस्ट को बचा लिया था। इसके लिए नायब सूबेदार चुनीलाल को वीर चक्र प्रदान किया गया था।
ऑपरेशन कुपवाड़ा 2007
तारीख थी 24 जून 2007, नायब सुबेदार चुनीलाल अपने साथियों के साथ कुपवाड़ा सेक्टर में तैनात थे। उनका पोस्ट 45 सौ मीटर की ऊंचाई पर था। करीब सुबह 3.30 बजे चुनीलाल को लाइन ऑफ कंट्रोल के पास कुछ असमान्य गतिविधियों का पता चला, चुनी लाल और उनके साथियों ने तत्काल मोर्चा संभाल लिया।
उन्होंने महसूस किया कि आतंकी घुसपैठ कर चुके हैं। इसके बाद चुनीलाल ने आंतकियों को घेर लिया और दोनों तरफ से फायरिंग शुरू हो गई। करीब एक घंटे तक दोनों तरफ से लगातार फायरिंग होती रही। इस दौरान दो आतंकी मारे गए साथ ही दो भारतीय जवान भी घायल हो गए। चुनीलाल ने अपनी जान की परवाह किए बिना रेंगते हुए घायल जवानों के पास पहुंचे और उन्हें सुरक्षित जगह पर ले गए।
मरणोपरांत अशोक चक्र
इस ऑपरेशन में लड़ते हुए नायब सुबेदार चुनीलाल बुरी तरह घायल हो गए, इसके बाद भी उन्होंने पीछे हटना स्वीकार नहीं किया और तब तक मोर्चा संभाले रहे जब तक तीन और आतंकियों को नहीं मार गिराया। तीन आतंकियों के खात्मा के बाद नायब सुबेदार चुनीलाल भी शहीद हो गए। उनकी शहादत के लिए 15 अगस्त 2007 को सर्वोच्च सम्मान अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था। चुनीलाल के परिवार में उनकी पत्नी, एक बेटा और दो बेटियां हैं।