कोरोना संकट के बीच आज भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट ने सोमवार को कहा कि मंदिर कमिटी और सरकार के सहयोग से यात्रा निकाली जा सकती है, लेकिन लोगों की सेहत से समझौता नहीं होना चाहिए। पुरी के अलावा कहीं और यात्रा निकालने की इजाजत नहीं होगी। रथयात्रा को लेकर पुरी, अहमदाबाद और कोलकाता में उत्साह देखने को मिल रहा है। पुरी के राजा पहुंचे जगन्नाथ मंदिर पुरी के राजा गजपति महाराज रथयात्रा में भाग लेने के लिए पुरी के जगन्नाथ मंदिर पहुंच गए हैं। वह 'छेड़ा पहंरा' की रस्म निभाएंगे। इस दौरान वह रथ पर झाड़ू लगाएंगे, जिसमें सोने का हैंडल लगा होगा। पहले सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी रोक सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून को रथयात्रा पर रोक लगाते हुए कहा था कि कोरोना महामारी के इस दौर में अगर यात्रा की इजाजत दी तो भगवान जगन्नाथ हमें कभी माफ नहीं करेंगे। इस फैसले के खिलाफ केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से फिर से विचार करने की गुहार लगाई थी। मंदिर परिसर में सैनिटाइजेशन सुप्रीम कोर्ट ने रथयात्रा की शर्तों में कहा कि इस दौरान पुरी के तमाम एंट्री पॉइंट जैसे एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस स्टेशन वगैरह बंद रहेंगे। राज्य सरकार सोमवार रात 8 बजे से कर्फ्यू लगाए। जो लोग रथ खीचेंगे, पहले उनका कोरोना टेस्ट होगा। ओडिशा सरकार ने पुरी में 'कर्फ्यू जैसे' बंद का ऐलान कर दिया, जो बुधवार दोपहर 2 बजे तक लागू रहेगा। एक सेवायत निकला कोरोना पॉजिटिव, रथयात्रा में इजाजत नहीं ओडिशा के कानून मंत्री प्रताप जेना ने बताया, 'सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, पुरी के जगन्नाथ मंदिर के सेवायतों (पुजारियों) का कोरोना टेस्ट कराया गया। इनमें से एक पॉजिटिव पाया गया है जिन्हें रथ यात्रा में अनुमति नहीं मिलेगी।' सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना संक्रमण का डर जताया था कोर्ट ने कहा कि 18 जून को हमने रथयात्रा का रोकने का आदेश दिया था क्योंकि 10 से 12 दिनों में 12 लाख लोगों की शिरकत की बात कही गई थी। बड़ी संख्या में लोगों के वहां होने से कोरोना का फैलाव खतरनाक तरीके से होगा और उसके ट्रैक करना असंभव होगा। याचिकाकर्ताओं ने दिया तर्क याचिकाकर्तों ने तर्क दिया था कि अगर भगवान जगन्नाथ तय समय पर यात्रा के लिए नहीं निकलते हैं तो परंपराओं के अनुसार, वह 12 साल तक नहीं आ सकते हैं। 1736 से जारी है रथयात्रा यह रथयात्रा साल 1736 से लगातार जारी है। दरअसल, इस मंदिर के साथ-साथ इस यात्रा का ऐतिहासिक और धार्मिक स्तर पर काफी बड़ा महत्व होने के कारण सुप्रीम कोर्ट को इसपर सुनवाई करनी ही पड़ी। यात्रा की अनुमति के बाद भी यह स्पष्ट है कि इस बार रथयात्रा में हर साल जितनी भीड़ नहीं होगी और केवल मंदिर समिति से जुड़े लोगों को ही यात्रा में शामिल किया गया है। भगवान की घर वापसी के साथ होता है यात्रा का समापन आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यात्रा शुरू होती है और शुक्ल पक्ष के 11वें दिन भगवान की घर वापसी के साथ इसका समापन किया जाता है। सामान्यत: यह यात्रा जून या जुलाई के महीने में होती है। हालांकि, इसकी तैयारियों कई महीने पहले से शुरू होती हैं।