कहते हैं ना कि भगवान जो भी करता है अच्छे के लिए करता है। यह कहानी शायद इस लोकोक्ति को चरितार्थ करती है परंतु जिन परिस्थितियों में लोग डिप्रेशन में जाकर आत्मघाती कदम उठा लेते हैं उन परिस्थितियों में एक लड़की के पॉजिटिव एटीट्यूड और प्लानिंग के कारण उसके टॉप पर पहुंचने की कहानी में भगवान के आशीर्वाद के साथ उस लड़की का साहस, खुद पर विश्वास और हार के मुहाने पर खड़े होकर जीत के लिए छलांग लगाने की ताकत काफी महत्व रखती है। यह कहानी है एक ऐसी लड़की की है जो अपने कॉलेज की टॉपर थी फिर भी उससे कोई शादी करने को तैयार नहीं था। आज हालात यह है कि सारिका जैन से मिलने के लिए अपॉइंटमेंट लेना पड़ता है।
अयोग्य डॉक्टर के कारण जिंदगी पूरी तरह बर्बाद हो गई
सारिका जैन का जन्म उड़ीसा के एक छोटे से कस्बे काटावांझी में एक संयुक्त परिवार में हुआ, 2 साल की उम्र में पोलियो हो गया था। उस समय पोलियो के बारे में गांव के लोगों को कम ही जानकारी थी। जब उनके माता-पिता इलाज के लिए सारिका को डॉक्टर के पास लेकर गए उस समय डॉक्टर को लगा मलेरिया है और उन्हें उसी का इंजेक्शन दे दिया। इसके बाद सारिका के 50 पर्सेंट शरीर ने काम करना बंद कर दिया था। उनके लिए ये जीवन का सबसे कठिन और दुखदायक समय था।
डिप्रेशन में जाने के बजाय सफलता की संभावनाओं को तलाशा
सारिका डेढ़ साल तक कोमा की स्थिति में बिस्तर पर रहीं उस दौरान उनके माता पिता ने हार नहीं मानी और उनका इलाज जारी रखा। 4 साल की उम्र में उन्होंने चलना शुरू किया। सारिका अपनी बीमारी के कारण डिप्रेशन में नहीं गई बल्कि उसने मौजूदा परिस्थितियों में सफलता की संभावनाओं को तलाश लिया। उसने अपना पूरा फोकस स्कूल की स्टडी पर लगा दिया।
डॉक्टर बनना चाहती थी लेकिन पिता के पास पैसे नहीं थे तो कॉमर्स चुन लिया
स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद आगे डॉक्टर बनने की इच्छा थी। जब अपनी इच्छा अपने माता- पिता को बताई तो उनके माता पिता ने कहा, डॉक्टर बनाने की उनकी हैसियत नहीं है, जिसके बाद सारिका का दाखिला गांव के एक कॉलेज में हुआ। जहां से उन्होंने कॉमर्स स्ट्रीम से ग्रेजुएशन किया।
कोई शादी करने को तैयार नहीं था, घर वाले भी हार मान चुके थे
जब सारिका ने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की, इसके बाद उनके पास करने को कुछ नहीं था। वह मारवाड़ी परिवार से आती हैं। ऐसे में परिवार में ग्रेजुएशन होने के बाद शादी करवा दी जाती है लेकिन परेशानी ये थी कि एक लड़की जो पोलियो ग्रस्त है, उसकी शादी कैसे होगी। घरवाले ये मान चुके थे कि सारिका जिंदगी भर घर पर ही रहेगी। ग्रेजुएशन जिसके बाद मैं चार साल तक घर पर ही रही।
4 साल घर बैठने के बाद CA कर दिखाया
सारिका के जीवन में एक उम्मीद की किरण आई। जिसमें उन्हें पता चला कि वह सीए की परीक्षा घर पर बैठकर दे सकती हैं। जिसके बाद उन्होंने ठान लिया कि इस परीक्षा के लिए तैयारी करेगी। जिस समय सीए की पढ़ाई की शुरुआत की, उस समय न तो उन्हें डेबिट समझ आता था न ही क्रेडिट। क्योंकि चार साल घर बैठने के बाद मैं पूरी तरह से अकाउंट भूल चुकी थी लेकिन सारिका ने हार नहीं मानी थी। उस समय 30 से 40 बच्चों ने घर पर बैठकर सीए की परीक्षा दी थी, उन सभी बच्चों में सारिका ने पहला स्थान हासिल किया था।
घरवालों के भारी विरोध के बावजूद UPSC की परीक्षा दी और डिप्टी कमिश्नर बन गई
सारिका सीए बन चुकी थीं। घर पर खुशी का माहौल था। अपने घर पर सबसे ज्यादा पढ़ी-लिखी सारिका ही थीं। कुछ समय बाद उनका मन UPSC की परीक्षा देने का हुआ। एक बार ट्रेन के सफर के दौरान उन्हें किसी ने IAS के बारे में बातों- बातों में बताया था। अपनी ये इच्छा उन्होंने अपने घरवालों को बताई। सीए बनने के बाद घरवाले खुश थे, उन्होंने सोचा था हम लड़की के लिए कोई ऑफिस खोल देंगे। लड़की घर बैठकर काम करेगी लेकिन जब सारिका ने बोला कि वह IAS बनना चाहती है तो घरवाले राजी नहीं हुए लेकिन सारिका ने UPSC की परीक्षा दी। इस परीक्षा में वह सफल हुईं। उनकी रैंक 527 आई। जब वह दिल्ली से घर लौटीं तो उन्हें लेकर सबका नजरिया बदल गया था। बता दें, आज सारिका मुंबई में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में डिप्टी कमिश्नर के तौर पर कार्यरत हैं।
मोरल ऑफ द स्टोरी
मोरल ऑफ द स्टोरी यह है कि मेरी सफलता और विफलता, मेरे नजरिए और क्षमताओं पर निर्भर करती है। बाहर की परिस्थितियां कुछ भी हो, यदि मैंने अपने अंदर सफलता के नए रास्ते तलाशने का हुनर विकसित कर लिया है तो कोई ताकत नहीं जो मुझे सफल होने से रोक सकती है।