कुरुक्षेत्र. साल 2020 का पहला सूर्य ग्रहण 21 जून को लगा। हरियाणा में ग्रहण सुबह 10 बजकर 20 मिनट पर आरंभ हुआ और 1 बजकर 47 मिनट 14 सेकेंड पर खत्म होगा। पौराणिक काल से यह पहली बार है कि कुरुक्षेत्र में ब्रह्मसरोवर व सन्निहित सरोवर पर श्रद्धालु स्नान के लिए नहीं पहुंचे हों। ऐसा कोरोना की वजह से हुआ है। जिला प्रशासन ने आमजन को इसकी अनुमति नहीं दी। चंद साधु-संतो को अनुमति मिली है, वो भी इसलिए कि इस सरोवर की पौराणिक मान्यता न टूटे। इससे पहले आदिकाल से यहां ग्रहण के समय स्नान का महत्व रहा है।
कुरुक्षेत्र के सन्निहित सरोवर पर तीर्थ पुरोहित पंडित पवन शर्मा बताते हैं कि इस कुंड में डुबकी लगाने से उतना ही पुण्य प्राप्त होता है, जितना पुण्य अश्वमेघ यज्ञ को करने के बाद मिलता है। यह कुंड, 1800 फीट लम्बा और 1400 फीट चौडा है। शास्त्रों के अनुसार, सूर्यग्रहण के समय सभी देवता यहां कुरुक्षेत्र में मौजूद होते हैं। यह भी मान्यता है कि सूर्यग्रहण के अवसर पर ब्रह्मा सरोवर और सन्निहित सरोवर में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ग्रहण पर श्री कृष्ण ने भी किया था स्नान
पंडित पवन शर्मा ने बताया कि द्वापर युग में ग्रहण के दौरान भगवान श्रीकृष्ण भी कुरुक्षेत्र में आए थे। भारत के कई प्रदेशों अंग, मगद, वत्स, पांचाल, काशी, कौशल के कई राजा-महाराजा बड़ी संख्या में स्नान करने कुरुक्षेत्र आए थे। द्वारका के दुर्ग को अनिरुद्ध व कृतवर्मा को सौंपकर भगवान श्रीकृष्ण, अक्रूर, वासुदेव, उग्रसेन, गद, प्रद्युम्न, सामव आदि यदुवंशी व उनकी स्त्रियां भी कुरुक्षेत्र स्नान के लिए आई थीं। तभी बृजभूमि से गोपियां भी स्नान करने पहुंची थी। इस स्नान के दौरान ही उनकी भगवान श्रीकृष्ण से भेंट हुई थी। तब भगवान श्रीकृष्ण उन्हें रथ में बैठाकर खुद चलाते हुए मथुरा गए थे।
सूर्य ग्रहण के चलते ही सन्निहित सरोवर बनाया गया
पंडित पवन शर्मा ने बताया कि सूर्य ग्रहण पर सन्निहित सरोवर के पौराणिक महत्व के चलते यहां श्री सूर्य नारायण मंदिर बनाया गया है। इस मंदिर का निर्माण भी इसी वजह से करवाया गया था। सरोवर में स्नान के बाद श्रद्धालु इस मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं।