जैन धर्म में ग्रहण का किसी भी प्रकार का असर नहीं माना जाता है, ग्रहण के समय क्या करें और क्या न करें

Posted By: Himmat Jaithwar
6/21/2020

21 जून को सूर्य ग्रहण होने जा रहा है। ये भारत में भी देखा जाएगा। वैदिक परंपरा के अनुसार ग्रहण के दौरान मंदिर बंद कर दिए जाते हैं, इसे सूतक के रूप में स्वीकार किया जाता है और इस दौरान कोई भी धार्मिक कार्य नहीं किए जाते हैं।

ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि सूर्य ग्रहण के समय निकलने वाली तरंगे या ऊर्जा काफी नकारात्मक होती है। 

जैन धर्म में नहीं माना जाता है ग्रहण का असर

जैन धर्म में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण का किसी भी प्रकार का असर नहीं माना जाता है। वैदिक परंपरा में सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले ही सूतक लग जाता है और सूर्य ग्रहण की समाप्ति के बाद मंदिरों की शुद्धि की जाती है, लेकिन ऐसा जैन धर्म में नहीं किया जाता है।

ग्रहण से जुड़ी ज्योतिष की मान्यता

कैलेंडर के अनुसार 21 जून सबसे बड़ा दिन रहेगा। जब भी सूर्य ग्रहण होता है, उस दिन अमावस्या हो रहती है और चंद्र ग्रहण के दिन पूर्णिमा रहती है। इसकी जानकारी हजारों साल पहले हमारे ज्योतिष सिद्धांत में बताई जा चुकी है।

अमावस्या पर सूर्य के साथ-साथ चंद्रमा भी दिख सकता है, लेकिन सूर्य के प्रकाश में चंद्रमा काफी फीका नजर आता है। चंद्र ग्रहण के बारे में मान्यता है कि जब चंद्रमा और पृथ्वी के बीच में राहु आ जाता है तो राहु चंद्र को अपना ग्रास बना लेता है और उसकी छाया पृथ्वी पर पड़ती है। यही चंद्र ग्रहण होता है।

इस बार पड़ेगा कंकण सूर्यग्रहण 

इस बार 21 जून को जो सूर्य ग्रहण पड़ने जा रहा है वह सूर्य ग्रहण सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा आ रहा है और सूर्य और पृथ्वी के बीच में चंद्रमा के आने से कंकण जैसी आकृति बनेगी यानी बीच में चंद्र होगा और पीछे सूर्य होगा, वहां से वो प्रकाश फेंक रहा होगा और बीच में चंद्र की परछाई रहेगी तो ऐसा लगेगा जैसे एक फायर रिंग बन रही है। हालांकि ऐसा ग्रहण सभी जगह दिखाई नहीं देगा।

ग्रहण देखने में सावधानी बरतने की आवश्यकता है। कभी भी काले चश्मे के बिना ग्रहण नहीं देखना चाहिए, अन्यथा आंखों को हानि पहुंच सकती है।

जैन धर्म के अनुसार ग्रहण पर क्या करें और क्या न करें

वैज्ञानिकों ने इस बात का दावा किया है कि ग्रहण से निकलने वाली ऊर्जा बहुत ही ज्यादा हनिकारक साबित होती है, इसलिए इसके प्रभाव से बचने की आवश्यकता है।

- मोबाइल और टीवी आदि रेडियेशन वाले उपकरणों का प्रयोग न करें, इन्हे बंद ही रखें। भोजन न करें।

- गर्भवती महिलाओं को विशेष मंत्र जाप करना चाहिए और स्वयं को पूरी तरह से सुरक्षित रखना चाहिए। 

- सुई, कैंची आदि नुकीली चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

- इस दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें, मंत्र जाप करें।



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