डिप्रेशन के लक्षण दिख रहे हों तो करें ये चार प्राणायाम, मानसिक तनाव और निराशा से मिलेगी मुक्ति

Posted By: Himmat Jaithwar
6/21/2020

पटना/मुंगेर. आज पूरे विश्व में करोड़ों लोग डिप्रेशन की बीमारी से जूझ रहे हैं। कोरोनावायरस के चलते पूरे देश में करीब ढाई महीने तक हुए लॉकडाउन के चलते कई लोग इस बीमारी से शिकार हुए हैं। कई बड़े फिल्म सितारों ने डिप्रेशन के चलते खुदकुशी भी कर ली। पिछले दिनों उभरते हुए सितारे सुशांत सिंह राजपूत ने भी आत्महत्या कर ली। उनकी आत्महत्या के पीछे डिप्रेशन को ही बड़ा कारण माना जा रहा है। डिप्रेशन से उबरने के लिए लोग अब योग का सहारा ले रहे हैं। योग दिवस के मौके पर बिहार स्कूल ऑफ योग के परमाचार्य स्वामी निरंजनानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी रंजन उन प्राणायाम को बता रहे हैं जिसे अभ्यास कर कोई भी डिप्रेशन से निजात पा सकता है।

स्वामी रंजन का कहना है कि अगर किसी को लगता है कि वह व्यक्ति मानसिक तनाव से जूझ रहा है और निराशा भरी जिंदगी से गुजर रहा है तो वह तुरंत चार प्राणायाम शुरू कर दे। योग निद्रा, भ्रामरी, भस्त्रिका और अनुलोम विलोम से डिप्रेशन को दूर किया जा सकता है। इनमें भ्रामरी और योग निद्रा सबसे महत्वपूर्ण है।


1. योग निद्रा

डिप्रेशन के लिए बिहार योग विद्यालय के परमाचार्य स्वामी निरंजनानंद द्वारा प्रयोग किया गया यह सर्वश्रेष्ठ योग है। यह प्राणायाम न सिर्फ व्यक्ति को डिप्रेशन से दूर करता है बल्कि सौंदर्य भरा जीवन प्रदान करता है। इस योग को रात्रि में भ्रामरी प्राणायाम से बाद कर सकते हैं। यह सकारात्मक ऊर्जा देता है और शरीर नकारात्मक विचारों को शरीर से दूर करता है। आरोग्यता और शिथिलता प्रदान करता है। मस्तिष्क के शुषुक्त शक्तियों को जागृत करता है।

स्वामी रंजन ने बताया कि जो व्यक्ति कोमा में जा चुका है उसके लिए भी योग निद्रा बहुत कारगर है। उसे योग निद्रा के माध्यम से वापस लाया जा रहा सकता है। याददाश्त खोने वाले व्यक्ति को अगर नियमित रूप से योग निद्रा कराई जाए तो इस बीमारी से निजात मिल सकता है।

कैसे करें योग निद्रा-
योग निद्रा के लिए सबसे पहले शरीर को शवासन में ले जाएं। दोनों पैरों के बीच एक से डेढ़ फीट की दूरी और हथेली आकाश की तरफ खुली हवा में। पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें और मन को स्थिर करते हुए आंखें बंद कर लें। बंद आंखों से ही शरीर के बाएं भाग पर ध्यान दें और इसके बाद दाहिने भाग को देखें। यह प्राणायाम ह्रदय रोग, थकान, नकारात्मक चिंतन से भी निजात दिलाता है।

कब करें-
इस प्राणायाम को किसी भी वक्त कर सकते हैं। वैसे सबसे अच्छा वक्त सुबह का है। रात को सोते वक्त भी इसे कर सकते हैं। अगर रात को इसे कर रहे हैं तो इसके बाद तुरंत सोने चले जाएं।

योग निद्रा प्राणायाम को सुबह और रात को सोने से पहले 10-10 मिनट कर सकते हैं।

2. भ्रामरी प्राणायाम

भ्रामरी प्राणायाम का सबसे बड़ा लाभ है कि इसे करने से डिप्रेशन के शिकार नहीं होंगे। अगर डिप्रेशन में हैं तो यह मुक्ति दिला देगा। रात को नींद अच्छी आएगी और स्ट्रेस को दूर करने के लिए लाभदायक है।

कैसे करें भ्रामरी-
भ्रामरी प्राणायाम को करने के लिए तर्जनी उंगली से कान को बंद करें। लंबी गहरी सांस लें और ऊं का उच्चारण करें या भंवरे जैसी आवाज निकालें। इसे दो से तीन मिनट तक कर सकते हैं। किसी व्यक्ति को अगर दूसरी बिमारियां भी है तो भी इसे कर सकते हैं। इसमें किसी तरह की सावधानी बरतने की जरूरत नहीं है।

कब करें-
भ्रामरी प्राणायाम को अगर सुबह के वक्त करें तो सबसे अच्छा होगा। इसके अलावा रात को भी इस प्राणायाम को कर सकते हैं। बच्चों के लिए यह सबसे ज्यादा फायदेमंद है। इससे याददाश्त क्षमता मजबूत होगी।

भ्रामरी प्राणायाम शुरु करने के बाद पहले दिन से ही इसका असर दिखने लगेगा और व्यक्ति को मानसिक तनाव से मुक्ति मिलेगी।

3. भस्त्रिका प्राणायाम
डिप्रेशन और मन को शांत करने के अलावा भस्त्रिका प्राणायाम इम्यून सिस्टम को बढ़ाने में भी लाभ कारी है। दिमाग को शांत करता है और आंख, कान और नाक को स्वस्थ बनाए रखने में लाभदायक है। हाईब्लड प्रेशर से भी निजात दिलाता है। हर रोज पांच से दस मिनट तक कर सकते हैं।

कैसे करें भस्त्रिका प्राणायाम-
भस्त्रिका प्राणायाम को करने के लिए पद्माअन में बैठ जाएं। अगर पद्मास्न में नहीं बैठ सकते हैं तो पैर मोड़कर बैठें। धीरे-धीरे और गहरी सांस लें और बल पूर्वक स्वास छोड़ें। इसके बाद तेजी से सांस लें और स्वास छोड़ते वक्त हल्का बल लगाएं।

कब करें-
भस्त्रिका प्राणायाम को सिर्फ सुबह के वक्त ही करें। इसे करने के लिए पेट खाली रहना चाहिए। शाम के वक्त पेट खाली हो या खाने के कम से कम पांच घंटे बाद इसे कर सकते हैं।

भस्त्रिका प्राणायाम लगातार करने से दिमाग शांत रहता है और यह इम्यून सिस्टम बढ़ाने में भी लाभकारी है।

4. अनुलोम-विलोम प्राणायाम
अनुलोम विलोम प्राणायाम शरीर के अंदर की हवा को शुद्ध करता है। मन को शांत करने के अलावा यह फेफड़े को स्वस्थ रखने में सबसे ज्यादा लाभदायक है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए यह सबसे आसान प्राणायाम में से एक है। वायु प्रदूषण से उत्पन्न होने वाली सभी समस्याएं अनुलोम विलोम प्राणायाम से ठीक हो जाएगी।

कैसे करें अनुलोम विलोम-
इस प्राणायाम को करने के लिए दोनों पैरों को मोड़कर बैठें। दाएं अंगूठे से नासिका बंद करें और बायें से सांस लें। सांस भरने के बाद बाएं छिद्र को बंद करें और दाएं से सांस छोड़ दें। इसी तरह बाएं नासिका को बंद करके भी करें। इस प्राणायाम को 10 से 15 मिनट तक करें।

कब करें-
अनुलोम विलोम प्राणायाम को किसी भी वक्त कर सकते हैं। सुबह खुली और ताजी हवा में यह प्राणायाम करें तो सबसे ज्यादा लाभ होगा। खाना खाने के दो-तीन घंटे बाद इसे कर सकते हैं।

सभी आसन और प्राणायाम में यह सबसे आसान है। इसे खाना खाने के एक-दो घंटे बाद किसी भी वक्त कर सकते हैं।



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