भारत ने दूसरी बार कहा- गलवान में जो हुआ, उसका जिम्मेदार चीन; उसे अपनी सीमा में ही गतिविधियां करनी चाहिए

Posted By: Himmat Jaithwar
6/18/2020

नई दिल्ली. भारत ने दो दिन दूसरी बार गलवान की घटना के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया है। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पूर्वी लद्दाख में तनाव कम करने के लिए दोनों पक्षों में डिप्लोमैटिक और मिलिट्री चैनल से बातचीत जारी है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि 6 जून को सैन्य कमांडरों की बातचीत हुई थी। इस बैठक में जो सहमति बनी थी, उसका चीन को पालन करना चाहिए था।

उन्होंने कहा कि गलवान में 15 जून की रात जो कुछ हुआ, उसका जिम्मेदार चीन है। अगर वह हाई लेवल पर बनी सहमति का ध्यान रखता तो यह नुकसान नहीं होता। श्रीवास्तव ने यह भी साफ किया है कि 23 जून को होने वाली रूस, चीन और भारत की मीटिंग में विदेश मंत्री एस जयशंकर शामिल होंगे।

शांति से मसला हल करना चाहते हैं, पर संप्रभुता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं- भारत
श्रीवास्तव ने बताया कि गलवान की घटना के बाद से ही लगातार दोनों पक्षों में बातचीत जारी है। जैसा कि प्रधानमंत्री ने बुधवार को कहा था कि हम शांति से मसला हल करना चाहते हैं। लेकिन, हम भारत की संप्रभुता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम चीन से उम्मीद करते हैं कि वह अपनी सीमा में ही गतिविधियां करे।

चीन ने कहा- इस घटना के पीछे भारतीय सैनिक थे

इस बीच, चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा, "चीन ने बार-बार यह कहा है कि इस घटना के पीछे भारतीय सैनिक थे। भारतीय सैनिकों ने दोनों देशों के सैन्य प्रमुखों के बीच बनी सहमति को तोड़ा था। सीमा पर हालात पूरी तरह से नियंत्रण में हैं। हमारा मानना है कि दोनों देशों के नेताओं के मार्गदर्शन में हालात ठीक होंगे और द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा मिलेगा।"

बुधवार को दोनों देशों के अफसरों के बीच सहमति नहीं बनी थी

इससे पहले बुधवार को हुई बातचीत में भी दोनों देशों के अफसरों के बीच सहमति नहीं बन पाई थी। इस बीच भारतीय सेना ने साफ किया कि गलवान घाटी झड़प में कोई भी भारतीय जवान लापता नहीं हुआ है। दरअसल, अमेरिका के अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने 17 जून के अपने लेख में भारतीय जवानों के लापता होने की बात कही थी।

आर्मी के सूत्रों के मुताबिक, सभी सैनिकों की गिनती हो गई

आर्मी के सूत्रों के मुताबिक, सभी सैनिकों की गिनती हो गई है। गलवान घाटी में सोमवार रात भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 सैनिक शहीद हुए हैं। झड़प के बाद चार सैनिकों की हालत गंभीर है। आर्मी के सूत्रों ने बताया कि चीन के करीब 45 सैनिक मारे गए हैं। इससे पहले 40 सैनिकों के मरने की खबर आई थीं। इनमें यूनिट का कमांडिंग अफसर भी शामिल है। यह अफसर उसी चीनी यूनिट का था, जिसने भारतीय जवानों के साथ हिंसक झड़प की। इसी गलवान घाटी में 1962 की जंग में 33 भारतीय सैनिकों की जान गई थी।

चीन ने 3 दिन में तीसरी बार कहा- झड़प के लिए भारतीय जवान जिम्मेदार

  • चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने गलवान झड़प पर बयान दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय फ्रंट-लाइन के सैनिकों ने समझौता तोड़ा और लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) को पार कर उकसाया और अफसरों-सैनिकों पर हमला किया। इसके बाद ही झड़प हुई और जान गई। उन्होंने कहा कि भारत मौजूदा हालात पर गलत राय न बनाए और चीन की अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा करने की इच्छाशक्ति को कमजोर करके न देखे।
  • चीन की तरफ से तीन दिन में यह तीसरा बयान है, जिसमें उन्होंने इस झड़प के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया। मंगलवार को दोपहर करीब 1 बजे हिंसक झड़प की खबर दुनिया के सामने आई थी। इसके बाद, चीन के सरकारी अखबार द ग्लोबल टाइम्स ने चीन के विदेश मंत्रालय के हवाले से बताया कि बॉर्डर पर दोनों देशों के बीच रजामंदी बनी थी, लेकिन भारतीय जवानों ने इसे तोड़ दिया और बॉर्डर क्रॉस किया।
  • इसके बाद बुधवार को चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लीजियन ने कहा कि गलवान घाटी की संप्रभुता हमेशा से चीन के हिस्से ही रही है। भारतीय सेना ने बॉर्डर प्रोटोकॉल तोड़ा। उन्होंने न केवल सीमा का उल्लंघन किया, बल्कि कमांडर लेवल की बातचीत का भी ध्यान नहीं रखा।

भारत ने गलवान पर चीन के दावे को खारिज 

उधर, भारत ने बुधवार देर रात फिर चीन के गलवान घाटी पर दावे को खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा- दोनों देशों के बीच 6 जून को कमांडर स्तर की बातचीत में जिम्मेदारी के साथ हालात संभालने पर समझौता हुआ था। अब इस तरह बढ़ा-चढ़ाकर कर किए जा रहे दावे समझौते के उलट हैं।

जयशंकर ने कहा था- दोनों देश समझौतों का सम्मान करें
चीन के विदेश मंत्री से बातचीत के पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था- सीमा पर इस घटना का द्विपक्षीय संबंधों पर गहरा असर पड़ेगा। वक्त की मांग यही है कि चीन अपने इस कदम का फिर से मूल्यांकन करे और कदम उठाए। दोनों पक्ष पहले समझौतों का सम्मान करें और एकतरफा कार्रवाई ना करें।



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