घाटशिला. लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के बीच 42 दिन से जारी तनाव साेमवार रात खून से रंग गया। इस दौरान झारखंड के एक और लाल बहरागोड़ा ब्लॉक के कोसाफलिया निवासी गणेश हांसदा (21) शहीद हो गए। प्रशासन को मंगलवार की शाम तक साहेबगंज के शहीद जवान कुंदन ओझा के बारे में ही जानकारी मिल सकी थी। शहीद गणेश के परिजनों के अनुसार, मंगलवार की रात उन्हें लेह से फोन आया था और इसकी सूचना दी गई थी।शहीद गणेश हांसदा के बड़े भाई दिनेश हांसदा ने बताया कि करीब दो सप्ताह पूर्व घर पर उनकी आखिरी बार बात हुई थी और अपनी सलामती की बात बताई थी।
इधर, सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि भारत-चीन सीमा में हिंसक गतिरोध के दौरान फिर एक झारखंडी शेर गणेश हांसदा के शहीद होने की खबर सुनकर मन व्याकुल है। कल भी झारखंडी वीर कुंदन झा के शहीद होने की खबर आई थी। देश की संप्रभूता की रक्षा में वीर झारखंड सपूतों का बलिदान सदियों तक याद रखा जाएगा।
मां-पिता हो गए गुमशुम
बताते चलें कि भारतीय इलाके में कब्जा किए बैठे चीनी सैनिकाें ने वापस लाैटने की आड़ में भारतीय फाैजियाें पर राॅड और पत्थराें से हमला कर दिया। इसमें भारतीय सेना के एक कर्नल समेत 20 जवान शहीद हाे गए। सरकारी सूत्रों ने दावा किया कि चीन के 43 सैनिक मारे गए या घायल हुए हैं। इधर, शहीद गणेश हांसदा के पिता सुबदा हांसदा व माता कापरा हांसदा इस सूचना के बाद से गुमशुम हो गए हैं। गणेश की शादी नहीं हुई थी और हमेशा कहते थे जब भी शादी करेंगे, अपनी पसंद से।
2018 में ज्वॉइन किया था आर्मी
बड़े भाई दिनेश हांसदा ने बताया कि गणेश जनवरी में छुट्टी के दौरान घर आए थे और 27 फरवरी को वापस ड्यूटी ज्वॉइन करने के लिए निकल गए थे। गणेश ने 2018 सितंबर में आर्मी ज्वॉइन किया था। दानापुर (बिहार) में ट्रेनिंग के बाद उन्हें लेह पोस्टिंग मिली थी। दिनेश हांसदा ने बताया कि करीब दो सप्ताह पूर्व फोन पर गणेश ने अपनी भाभी से बात की थी और अपने ठीक रहने और परिवार वालों को किसी तरह का टेंशन ना लेने की बात कही थी।
17 दिन की बेटी का चेहरे भी नहीं देख सके साहेबगंज के शहीद जवान कुंदन
इधर, शहीद जवान कुंदन ओझा (26) साहेबगंज जिले के डिहारी गांव के रहने वाले थे। वर्ष 2011 में बिहार रेजीमेंट कटिहार में भर्ती हुए थे। उनकी शादी 2017 में बिहार के नीरहटी (सुलतानगंज) की नेहा के साथ हुई थी। उनकी 17 दिन की एक बेटी है, जिसका चेहरा भी नहीं देख पाए। तीन भाई और एक बहन में वह दूसरे नंबर पर थे। कुंदन ओझा अपने दाेस्ताें में काफी लाेकप्रिय थे। पांच महीने पहले वह घर आए थे। जाते समय दाेस्ताें से वादा किया था कि वह जल्दी ही फिर मिलेंगे। लेकिन इससे पहले ही वह शहीद हाे गए। उनके शहादत की खबर उनके पिता रविशंकर ओझा काे फाेन पर दी गई। खबर सुनते ही पूरा गांव सदमे में आ गया।