साल के पहले छह महीने में 100 आतंकवादी मार गिराने का लगातार तीसरा साल

Posted By: Himmat Jaithwar
6/12/2020

नई दिल्ली. कश्मीर में इस साल सुरक्षाबलों ने अब तक 100 से ज्यादा आतंकवादियों को मार गिराया है। पिछले 4 दिनों में 14 आतंकवादी मारे गए हैं। लेकिन ये कोई पहला मौका नहीं है जब कश्मीर में साल के पहले छह महीनों में 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए हों। पिछले तीन साल से ये सिलसिला बदस्तूर जारी है। जनवरी से जून के बीच मारे गए आतंकवादियों का आंकड़ा हर बार 100 पार गया है, फिर चाहे वह 2018 हो, 2019 हो या इस साल। क्योंकि कश्मीर में बर्फ पिघलने के साथ ही शुरू हो जाता है एनकाउंटर का मौसम।

पिछले तीन सालों में जनवरी से जून के बीच मारे गए आतंकवादियों का आंकड़ा हर बार 100 पार गया है।

2019 में छह महीने में 128 आतंकी मारे
पिछले साल 2019 में जनवरी से जून के बीच 128 आतंकवादी मारे गए थे। जबकि 100 का आंकड़ा तो मई में ही पूरा हो गया था। सेना ने पहले पांच महीने में 100 आतंकवादी मार गिराए थे, जिसमें से 23 विदेशी थे और 78 लोकल थे। मारे गए आतंकियों की लिस्ट में टॉप कमांडर जाकिर मूसा भी शामिल था। मूसा अलकायदा समर्थित आतंकी संगठन का हिस्सा था।
खास बात ये भी थी कि इस साल जिन आतंकियों को मार गिराया गया था उनमें 25 शोपियां में मारे गए थे। इनमें से भी 16 वहीं के रहने वाले थे। शोपियां के बाद 15 आतंकवादी पुलवामा, 14 अवंतीपोरा और 12 कुलगाम में मारे गए थे।

2018 में जून तक मार गिराए 108 आतंकी
केंद्रीय मंत्री हंसराज अहिरवार ने जो राज्यसभा को जानकारी दी उसके मुताबिक साल 2018 के पहले छह महीनों में 108 आतंकवादी मारे गए थे। जबकि 43 सैनिकों ने इन आतंकियों से लड़ते हुए अपनी जान कुर्बान की थी। इस साल जनवरी से जून के बीच 256 हिंसक वारदातें भी देखने को मिली थीं। इसी साल जुलाई में सुरक्षाबलों ने लश्कर के आतंकी अबु दुजाना को मार गिराया था।
2017 में जनवरी से जून के बीच आतंकवादियों को मार गिराने का आंकड़ा 90 पहुंच गया था, जबकि 2016 में ये 77 पर था। हालांकि इसके पहले इस दौरान मारे गए आतंकवादियों की संख्या बेहद कम थी, लेकिन ये लगातार बढ़ती गई।

जनवरी से जून के बीच कश्मीर में मारे गए आतंकवादी

2020 102
2019 128
2018 108
2017 90
2016 77
2015 39
2014 43
2013 22

(बुधवार 10 जून को हुए आखिरी एनकाउटंर तक)

2018 में जनवरी से जून के बीच 256 हिंसक वारदातें भी देखने को मिली थी, जिनमें पत्थरबाजी और सुरक्षाबलों के साथ झड़प शामिल है।

शोपियां में पिछले 4 दिनों में 14 आतंकी मार गिराए
डीजीपी ने इसी हफ्ते की शुरुआत में दिए बयान में कहा था- ‘9 ऑपरेशन में 22 आतंकवादी मारे हैं। जिसमें 6 टॉप कमांडर थे।’1 जून से 10 जून के बीच कश्मीर में 19 आतंकवादी मार गिराए हैं। जिसमें पिछले चार दिन में शोपियां में मारे गए 14 आतंकवादी शामिल हैं।सुरक्षाबलों के मुताबिक सिर्फ दक्षिण कश्मीर में 125 आतंकवादी एक्टिव हैं, जिसमें से 100 स्थानीय हैं और बाकी विदेशी।

एक्सपर्ट एनालिसिस : 100 आतंकी मारने और एक सरपंच की हत्या के अपने अलग मायने हैं- रिटायर्ड ले. जनरल सैयद अता हसनैन,(कश्मीर में सेना के कोर कमांडर रह चुके हैं)

देश को भारतीय जवानों का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि हमारे जाबांजों ने साल 2020 के 6 महीने पूरे होने से पहले 100 आतंकवादियों को मार गिराया है। इससे भी बढ़कर पिछले 48 से 72 घंटे के बीच सेना ने दक्षिण कश्मीर के शोपियां में 14 आतंकवादियों का खात्मा किया है। हालांकि यह इस बात का संकेत है कि हमारे जवान कितने चौकस हैं और हमारा इंटेलिजेंस कितना प्रभावी तरीके से काम कर रहा हैं। लेकिन इस कामयाबी के बीच आतंकियों ने हाल ही में एक कश्मीरी पंडित सरपंच अजय पंडिता और एक कथित स्थानीय पुलिस मुखबीर की हत्या कर दी। यह बताता है कि कश्मीर में सबकुछ सामान्य होने का आखरी मील अब भी दूर है। दोनों ही ट्रेंड, उपलब्धि और नुकसान के अपने-अपने मायने हैं।

 2019 में जिन आतंकवादियों को मार गिराया था उनमें 25 शोपियां में मारे गए थे और उनमें से भी 16 वहीं के रहनेवाले थे।

इसमें कोई शक नहीं और इंटेलिजेंस बता रहा है कि अलगाववादी और आतंकवादियों का प्रभाव कम होता जा रहा है। कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन से उनकी आवाजाही में बंदिशें लगी हैं और सुरक्षित ठिकाने भी नहीं मिल पा रहे हैं। सुरक्षाबल इसका भरपूर फायदा भी उठा रहे हैं। लेकिन इंटेलिजेंस के इस खेल में सोर्स की सुरक्षा भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा।

जैसे-जैसे आतंकवादियों का दायरा घटता जाएगा और बेसब्री का स्तर बढ़ेगा तो उनके टारगेट सिमटते जाएंगे। तब अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए दोगुने प्रयास करने होंगे। और जिस दिल और दिमाग को जीतने की हम बात करते हैं, उस पर और ज्यादा बात करनी होगी। लोगों के पास जाना और उनका समर्थन हासिल करना ही ऐसी किसी मुहिम को सफलतापूर्वक पूरा करता है।



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