ऐप पर बेड है, लेकिन अस्पतालों ने मना किया; कोरोना मरीज का वेटिंग लिस्ट में नाम लिखवाने के लिए डेढ़ लाख रुपए मांग रहे

Posted By: Himmat Jaithwar
6/12/2020

नई दिल्ली. दिल्ली के अस्पतालों के लिए राहुल कोटियाल, मुंबई के लिए अक्षय बाजपेयी/ आनंद मोहरीर/ वैशाली करोले और अहमदाबाद के लिए चेतन पुरोहित/ अनिरुद्ध मकवाना की रिपोर्ट

देश के तीन बड़े शहर। बड़े-बड़े अस्पतालों वाले... और देश में सबसे ज्यादा कोरोना मरीजों वाले भी। लेकिन अच्छी स्वास्थ्य सुविधाओं का प्रचार करने वाले  इन तीनों शहरों के अस्पतालों में अब कोरोना मरीजों के लिए कोई बेड खाली नहीं है। चाहे मुंबई का लीलावती हो या दिल्ली का मैक्स या फिर अहमदाबाद का सिविल हॉस्पिटल। 

बेड की जानकारी के लिए अस्पतालों में मरीजों के परिजन पहुंच रहे हैं, लेकिन निराशा ही हाथ लग रही है।

बेड फुल हैं और यहां कोरोना मरीजों के लिए बकायदा वेटिंग लिस्ट बनाई जा रही है। और उस वेटिंग लिस्ट में नाम लिखवाने तक के लिए डेढ़ लाख रुपए डिपॉजिट करने को कहा जा रहा है। बावजूद इसके मरीजों के हिस्से इलाज नहीं आ रहा है। हमने इन्हीं तीन शहरों के अलग-अलग 18 अस्पतालों में फोन किया और कोरोना मरीज के रिश्तेदार के तौर पर बात की। हमें कहीं भी बेड नहीं मिला। पढ़िए पूरी रिपोर्ट... 

दिल्ली: प्राइवेट अस्पतालों में बेड नहीं, सरकारी ने कहा, मरीज पॉजिटिव है तो ले आएं
दिल्ली सरकार ने ‘दिल्ली कोरोना’ नाम की एक ऐप्लिकेशन लॉन्च की है। इसका उद्देश्य है कि जनता को यह आसानी से मालूम हो सके कि कोरोना संक्रमितों का ईलाज किन अस्पतालों में किया जा रहा है और ऐसे अस्पतालों में कितने मरीजों के लिए बेड उपलब्ध हैं।

इस ऐप्लिकेशन के अनुसार दिल्ली के सरकारी और निजी अस्पतालों को मिलाकर कोरोना संक्रमितों के लिए कुल 8872 बेड की व्यवस्था है। मंगलवार शाम तक इनमें से 4680 भर चुके थे जबकि 4192 बेड ख़ाली थे। प्रदेश में कोरोना संक्रमितों के लिए कुल 509 वेंटिलेटर हैं जिनमें से मंगलवार शाम तक सिर्फ़ 189 ही नए मरीजों के लिए बाक़ी रह गए थे।

दिल्ली कोरोना ऐप्लिकेशन में दिखते इन आंकड़ों की पड़ताल लिए हमने एक-एक कर ऐसे कई अस्पतालों में फोन लगाया। हमारी इस पड़ताल में कई हैरान करने वाली जानकारियां सामने आईं। कई अस्पताल कोरोना संक्रमितों को भर्ती करने से इनकार करते मिले तो कई अन्य ने यह बताया कि उनके यहां एक भी बेड खाली नहीं है। जबकि ऐप्लिकेशन के अनुसार ऐसे अस्पतालों में बेड उपलब्ध थे।

निजी अस्पतालों की बात करें तो इस ऐप्लिकेशन के अनुसार कोरोना संक्रमितों के लिए सबसे ज्यादा दो सौ बेड ‘मैक्स साकेत’ अस्पताल में मौजूद हैं। एप पर तीन बेड उपलब्ध थे जबकि 197 भर चुके थे। जब फोन करके बेड के बारे में पूछा तो अस्पताल का जवाब था कि उनके यहां एक भी बेड नहीं है। यह माना जा सकता था कि हमारे फोन करने से पहले ही तीन खाली बेड भर चुके हों और ऐप में यह अपडेट उस वक्त तक न हुआ हो। लेकिन शाम के पौने छह बजे जब मैक्स अस्पताल ने ऐप्लिकेशन में अपना ताजा अपडेट दिया, तब भी वहां दो बेड खाली थे।

मैक्स अस्पताल में हमने फोन करके पूछा तो वहां खाली बेड न होने की बात कही गई।

सरोज सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का मामला इससे कहीं ज्यादा गंभीर है। ‘दिल्ली कोरोना’ ऐप्लिकेशन के अनुसार दिल्ली में मैक्स के बाद यही निजी अस्पताल है जहां सबसे ज्यादा 154 मरीजों की व्यवस्था है। ऐप के अनुसार इनमें से सिर्फ 42 बेड ही भरे हैं जबकि 112 बेड खाली हैं। लेकिन हमने जब फोन करके एक नए मरीज को भर्ती करने के संबंध में पूछा तो अस्पताल ने नए मरीज लेने से साफ इनकार कर दिया।

सरोज अस्पताल की ओर से पहले कहा गया कि उनके यहां कोई भी बेड खाली नहीं है। हमने जब सवाल किया कि ऐप्लिकेशन में उनके यहां बेड उपलब्ध दिखा रहा है तो अस्पताल ने अपना जवाब बदलते हुए कहा कि उनके यहां बेड तो हैं लेकिन नर्स और अन्य स्टाफ नहीं है जो कि मरीजों की देखभाल कर सकें लिहाजा वो कोई भी नए मरीज नहीं ले सकते। अस्पताल की ओर से यह भी कहा गया कि ‘हमारा बहुत स्टाफ नौकरी छोड़ कर जा चुका है और अब इस स्थिति में नहीं हैं कि नए मरीज ले सकें।’ यह वही अस्पताल है जिसने 4 जून को एक सर्कुलर जारी करते हुए कहा था कि अस्पताल में कोरोना के किसी भी मरीज को सिर्फ तभी भर्ती किया जाएगा जब वे कम से कम चार लाख रुपए एडवांस जमा कराएं।

मरीज इधर से उधर चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन आसानी से एडमिट भी नहीं हो पा रहे।

निजी अस्पतालों की सूची में तीसरा नाम सर गंगा राम अस्पताल का है जहां कुल 129 बेड कोरोना संक्रमितों के लिए हैं। अस्पताल में फोन करके पूछा तो कहा कि ‘आप  डॉक्टर शालिनी चावला से बात कीजिए। नए मरीज भर्ती हो रहे हैं या नहीं, इसकी जानकारी वही दे सकती हैं।’ लेकिन फोन करने पर डॉक्टर शालिनी चावला ने नए मरीजों की भर्ती सम्बंधित जानकारी के लिए वापस अस्पताल में ही फोन करने को कह दिया।

एक दूसरे-पर जिम्मेदारी टालने का सिलसिला चलता रहा लेकिन इस बारे में कोई जवाब अस्पताल की तरफ से नहीं मिला कि नए मरीज उनके यहाँ भर्ती हो रहे हैं या नहीं जबकि ऐप के अनुसार यहां एक दर्जन से ज्यादा बेड खाली हैं।

लगभग ऐसा ही मूलचंद अस्पताल के मामले में भी सामने आया। फ़ोन किया तो हमें वहां के हेड ऑफ ऑपरेशंस केके सिंह से बात करने को कहा गया। लेकिन लगातार कई फोन कॉल करने के बाद अस्पताल द्वारा दिए गए केके सिंह के नंबर से कोई जवाब हमें नहीं मिला। कुछ ऐसा ही फोर्टिस और अपोलो अस्पताल के मामले में भी हुआ जहां कई कॉल करने के बाद भी कोई जवाब नहीं दिया गया।

यानी दिल्ली के वे अस्पताल जो ‘दिल्ली कोरोना’ ऐप्लिकेशन में निजी अस्पतालों की सूची में सबसे ऊपर दर्शाए गए हैं, उनमें से किसी एक ने भी कोरोना मरीज को भर्ती करने की हामी नहीं भरी। ये स्थिति तब है जब बीते कुछ दिनों ऐसे भी मामले सुर्खियों में आ चुके हैं जिनमें एक से दूसरे अस्पताल दौड़ते हुए ही मरीजों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है।

निजी अस्पतालों की तुलना में दिल्ली के सरकारी अस्पतालों का जवाब फिर भी संतोषजनक रहा। लोक नायक जय प्रकाश अस्पताल का नाम दर्ज है। यहां  कोरोना संक्रमितों के लिए कुल दो हजार बेड हैं जिनमें से मंगलवार शाम तक 1109 बेड खाली थे। यहां फोन लगाया तो अस्पताल ने आश्वस्त किया कि ‘अगर पेशंट की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है तो उसे लेकर अस्पताल पहुंच जाएं।’

दिल्ली के सरकारी अस्पताल में बेड उपलब्ध होने की बात कही गई।

हालांकि इस अस्पताल ने कोरोना की जांच करने से इनकार किया लेकिन साथ ही यह भी कहा कि अगर जांच कहीं और से हो चुकी है और मरीज संक्रमित पाया गया है तो उसे अस्पताल लाया जा सकता है। कोरोना संक्रमित के इलाज पर आने वाले खर्च के बारे में पूछने पर अस्पताल ने यह भी आश्वासन दिया कि इस अस्पताल में यह इलाज बिल्कुल मुफ्त है।

लोक नायक अस्पताल एक मात्र ऐसा अस्पताल था जहां से सकारात्मक जवाब हासिल हुआ। इसके अलावा कई अन्य सरकारी अस्पतालों के तो नंबर तक काम नहीं करते मिले या वहां से कोई जवाब नहीं दिया गया। ऐसे अस्पतालों में गुरु तेग बहादुर अस्पताल भी शामिल है जहां कुल 1500 बेड मौजूद हैं लेकिन फोन पर कोई जवाब नहीं दिया जा रहा। राजीव गांधी सुपर स्पेशिलिटी हॉस्पिटल की स्थिति भी ऐसी ही रही जहां ऐप पर 500 बेड उपलब्ध हैं लेकिन फोन करने पर कोई जवाब देने वाला नहीं है।

मुंबई: यहां तो खाली बेड न प्राइवेट में और न ही सरकारी अस्पताल में

मुंबई में कोरोनावायरस के मामले 50 हजार का आंकड़ा पार कर चुके हैं। अब हालात इतने बदतर हैं कि निजी और सरकारी दोनों ही अस्पतालों में खाली बेड ही बमुश्किल मिल पा रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुंबई में कोरोना मरीजों के लिए डेडीकेट अस्पतालों में कुल 9284 बेड हैं। निजी और सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए कुल 1094 आईसीयू बेड और 464 वेंटीलेटर्स हैं।

मुंबई के निजी अस्पतालों में भी बेड फुल हैं। वेटिंग लिस्ट भी लंबी होती जा रही है।

हमने मंगलवार को शहर के अलग-अलग 6 अस्पतालों में फोन करके बेड की जानकारी ली तो पता चला कि अस्पतालों में खाली बेड ही नहीं  हैं। कुछ ऐसे अस्पताल भी हैं, जिनका नाम कोविड इलाज के लिए बीएमसी ने दिया है, लेकिन वहां कोरोना मरीजों को एडमिट ही नहीं किया जा रहा। अस्पतालों की तरफ से कहा गया कि आप वेटिंग लिस्ट में नाम, उम्र और कॉन्टैक्ट नंबर लिखवा दीजिए। बेड खाली होंगे तो आपको जानकारी दे दी जाएगी।

बॉम्बे हॉस्पिटल में कोविड बेड के बारे में पूछने पर जवाब मिला कि, 'फिलहाल बेड उपलब्ध नहीं हैं। इंतजार करना पड़ेगा। आप आधे घंटे बाद कॉल करो, नहीं तो फिर कल पर ही जाएगा। वैसे मरीज को दिक्कत क्या हो रही है? सांस लेने में दिक्कत है तो उन्हें आईसीयू लग सकता है और हमारे पास आईसीयू में बेड नहीं हैं। आप नंबर दे दीजिए। अवेलेबल होगा तो बता दिया जाएगा।'

आपके पास कुल कितने बेड कोरोना पेशेंट के लिए अवेलेबल हैं? ये पूछने पर जवाब मिला कि, 'आईसीयू में 16 बेड हैं, जो सभी फुल हैं। रोज एक बेड खाली होती है लेकिन भर्ती होने के लिए दस मरीज आते हैं। वेटिंग लिस्ट के हिसाब से पेशेंट को बेड दे रहे हैं।' मेरा वेटिंग लिस्ट में कौन सा नंबर है? आपका 5वां नंबर है।

अस्पतालों में आईसीूय बेड की भी बड़ी कमी है। गिनेचुने बेड हैं और मरीजों की संख्या ज्यादा है।

भाभा हॉस्पिटल में फोन करने पर जवाब मिला, 'मरीज को क्या हो रहा है? कितनी उम्र है? आप मरीज को यहां लेकर आओ, फिर डिसाइड करेंगे बेड देना है या नहीं।' मैम बेड खाली हैं क्या? ये पूछने पर जवाब मिला कि, 'आप जल्दी लेकर आ जाओ। बेड का देखते हैं। आप आ जाओ।'

एस एल रहेजा हॉस्पिटल से जवाब मिला कि, 'बेड अवेलेबल नहीं हैं। किसी भी वार्ड में नहीं हैं। नाम बताओ, मैं नोट करके रख सकता हूं।' कब तक खाली होगा? तो बोले, बता नहीं सकते। बेड कब से फुल चल रहे हैं? इस पर जवाब मिला कि, 'जब से शुरू हुआ है, तब से ही फुल चल रहा है। हम वेटिंग लिस्ट बनाते हैं, उसी हिसाब से मरीजों को कॉल करते हैं।' सर हमारे मरीज की हालत गंभीर है? 'बहुत से मरीजों की ऐसी हालत है। जो आपके नजदीक है, वहां देख लीजिए। फोन करते रहिए। बीएमसी में इंफॉर्म कीजिए।' क्या कल तक कुछ हो सकता है? इस पर बोले, 'कुछ बता नहीं सकता। यह डिस्चार्ज पर डिपेंड करेगा।'

लीलावती में कॉल करने पर जवाब मिला कि, 'आईसीयू बेड उपलब्ध नहीं हैं। दूसरे का स्टेट्स पता नहीं।' कपूर हॉस्पिटल से बोले कि, 'अभी कोई वैकेंसी नहीं है। हम फोन पर बेड की जानकारी नहीं दे सकते। फोन से बेड रिजर्व नहीं होते। जो पहले आता है, उसे देते हैं।'

सर एच एन रिलायंस फाउंडेशन हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर से जवाब मिला कि, ‘यहां कोविड पेशेंट को एडमिट नहीं कर रहे हैं। हमारे यहां कोविड वार्ड नहीं है।' ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल से जवाब मिला कि, ‘बेड फुल हैं। हमारे पास सिर्फ 12 बेड हैं। आईसीयू में 9 बेड अलग से हैं, जो सभी फुल हैं।' लेकिन हमारे  डॉक्टर या बीएमसी के जरिए आएंगे, तो ही एडमिट किया जाएगा। कोरोना पेशेंट को यहां सीधे एडमिट नहीं किया जाता।

अस्पतालों में मरीज इतने बढ़ गए हैं कि वेटिंग लिस्ट बनाई जा रही है।

बांद्रा स्थित गुरुनानक अस्पताल से बेड का पूछने पर जवाब मिला कि, फिलहाल कोई बेड उपलब्ध नहीं हैं। आईसीयू और जनरल दोनों ही वॉर्ड फुल हैं। बेड के लिए रिक्वेस्ट करने पर जवाब मिला कि, चेंबूर के एक अस्पताल में एक बेड दिला सकते हैं। इसके लिए आपको यहां आना होगा।

गिरगांव स्थित सैफी हॉस्पिटल से भी ऐसा ही जवाब मिला। उन्होंने कहा कि, फिलहाल कोई भी बेड उपलब्ध नहीं। आप अपना फोन नंबर, पता और बाकी के डीटेल्स दे दीजिए। जैसे ही खाली होता है, आपको बता देंगे। जब आपका मरीज यहां एडमिट होगा, तब 1.5 लाख रुपए एडवांस जमा करना होंगे। बाकी  हर दिन का खर्चा आपको उसी दिन बताया जाएगा। इसके बारे में पहले से जानकारी नहीं दी जा सकती।

अहमदाबाद: कहीं बेड नहीं कही भर्ती से इंकार किया

कोविड सेंटर बनाए गए हॉस्पिटल्स में फोन करने पर पता चला कि किसी अस्पताल में कोरोना मरीज के लिए बेड ही नहीं है तो किसी ने भर्ती करने से ही इंकार कर दिया। सिविल हॉस्पिटल में जहां कोविड-19 केयर हॉस्पिटल शुरू किया गया है, वहां फोन पर कोई जवाब ही नहीं मिल रहा, हालांकि उन्होंने 104 नंबर की  हेल्पलाइन शुरू की है।

अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में फोन किया तो वहां से कोई जवाब ही नहीं मिला।

अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के तहत आने वाले एसवीपी हॉस्पिटल में फोन किया तो जवाब मिला कि, ‘माफ करना... अभी कोई बेड खाली नहीं है।'  निजी अस्पतालों में भी कमोबेश यही हाल मिले। एसजीवीपी होलिस्टिक, सुश्रुषा हॉस्पिटल ने कहा कि, ‘हमारे यहां फुल हैं।' इमरजेंसी का बताने पर भी हॉस्पिटल ने बेड देने में मना कर दिया। स्टर्लिंग अस्पताल से जवाब मिला की ‘हमारे यहां 100% बेड अहमदाबाद म्युनि. कॉर्पोरेशन ने एक्वायर कर लिये है। इसलिए यहां किसी को एडमिट करवाना हो तो एएमसी के जरिए ही आना पड़ेगा।'

शहर के अधिकांश प्राइवेट अस्पताल फुल चल रहे हैं। कई मरीजों ने बेड के लिए एक्स्ट्रा तक पे किया है।

सरस्वती मल्टिस्पेशालिटी हॉस्पिटल ने कहा कि हमारे यहां बेड तो है लेकिन आप पहले मरीज की रिपोर्ट दिखाइए। उसके बाद ही कितना चार्ज लगेगा, क्या प्रोटोकॉल रहेगा, यह बता सकेंगे। एक और निजी अस्पताल पुष्य हॉस्पिटल ने तो पूरा पैकेज ही उत्साह से बताते कहा कि हमने आज ही कोविड सेंटर शुरू  किया है। तो अभी जगह खाली है, आ जाओ। चार्ज की बात कि तो बताया कि पहले रु. 2 लाख बतौर डिपॉजिट जमा करवाना पड़ेंगे। बाद में इलाज का प्रतिदिन रू. 25 हजार तक का खर्च आप मान कर चलिए।



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