इस्तेमाल किए मास्क-ग्लव्स, पीपीई और सैनिटाइजर्स की बोतलों का कचरा समुद्र में पहुंचा, ये 450 साल बना रहेगा
Posted By: Himmat Jaithwar
6/10/2020
लॉकडाउन के कारण हवा-पानी तो कुछ हद तक साफ हो गया, लेकिन कोरोना से बचने की शर्त पर हम इंसान अपनी गंदी हरकतों से नदी-तालाबों और समुद्रों के लिए नया खतरा पैदा कर रहे हैं। महामारी के बीच सिंगल यूज मास्क, पीपीई, ग्लव्स और सैनेटाइजर की खपत रिकॉर्ड तोड़ रही है। लेकिन, इस्तेमाल के बाद लोग इन्हें ठीक से डस्टबिन में डिस्पोज ऑफ न करके, कहीं भी फेंक दे रहे हैं।
- सड़कों पर बिखरा मेडिकल वेस्ट इंसानों के साथ पालतु पशुओं के लिए खतरनाक है और बहकर समुद्र में पहुंचने के बाद जलीय जीवों को भी इससे नुकसान हो सकता है।
- कोरोनावायरस को रोकने के लिए सबसे अधिक प्रभावी बताए जा रहे अधिकांश थ्री-लेयर मास्क पॉलीप्रोपिलीन के और ग्लव्स व पीपीई किट रबर व प्लास्टिक से बने हैं।
- कार्बन के इस पॉलीमर की कुदरती माहौल में बने रहने की उम्र करीब 450 साल है। प्लास्टिक की तरह ही ये मास्क भी सैकड़ों सालों तक पर्यावरण के लिए खतरा बने रहेंगे।