चंडीगढ़. केंद्र सरकार से शराब बिक्री की इजाजत मिलने के बाद कई राज्यों में शराब बिकनी शुरू हो गई थी। केंद्र की गाइडलाइन जारी होने के बाद पंजाब में भी 8 मई को दुकानें खोल दी गई थीं। एक महीने बीतने के बाद अब शराब बिक्री का आंकड़ा भी सामने आ गया है।
राज्य में 8 मई से लेकर 8 जून तक 700 करोड़ रुपए की शराब बिकी। पहले सरकार ने ऑनलाइन शराब बिक्री का फैसला लिया था, लेकिन शराब ठेकेदार इससे सहमत नहीं हुए और कई मीटिंग के बाद 8 मई को ठेके खोले दिए गए थे। पंजाब की कुल आबादी तीन करोड़ है।
ग्रामीण इलाकों में ज्यादा बिक्री
शराब की ज्यादातर बिक्री ग्रामीण इलाकों में हुई। शहरी इलाकों में बिक्री कम रही। सबसे ज्यादा असर लुधियाना, फतेहगढ़ साहिब, मंडी गोबिंदगढ़, अमृतसर फोकल प्वॉइंट पर दिखा। यहां शराब की बिक्री पहले की मुकाबले में कम रही। सरकार को इस महीने अनुमानित 15% से 17% रेवेन्यू शराब से कम मिला है।
हर महीने सरकार को लगभग 500 करोड़ का रेवेन्यू शराब से मिलता है, इस हिसाब से इस महीने लगभग 430 करोड़ का रेवेन्यू पंजाब के जिलों के ठेकों से सरकार को मिलेगा। शराब बिक्री के मामले में लुधियाना सबसे आगे है और तरनतारन में शराब की खपत सबसे कम है।
मजदूरों के लौटने से घटी देसी शराब की डिमांड
शराब की बिक्री में पंजाब में काम करने वाले मजदूरों के जाने का भी असर पड़ा है। अब तक पंजाब के जिलों से करीब 7 लाख मजदूर अपने घर लौट चुके हैं। इनमें से अधिकतर लोगों के यहां रहने से देसी शराब की बिक्री होती थी।
लुधियाना, फतेहगढ़ साहिब, मंडी गोबिंदगढ़, अमृतसर से ज्यादा मजदूर गए, इसलिए यहां शराब की बिक्री पर कम हुई। राज्य सरकार ने लॉकडाउन के चलते ठेकेदारों को शराब, बीयर, देसी शराब का कोटा 10 फीसदी कम कर दिया है। रेवेन्यू कम होने का यह भी बहुत बड़ा कारण माना जा रहा है।