नई दिल्ली. चीन के जिस वुहान शहर से कोरोनावायरस निकला, वहां से महज 950 किमी दूरी पर ताइवान की राजधानी ताइपेइ है। जबकि, वुहान से करीब 12 हजार किमी से भी ज्यादा दूर है, अमेरिका का न्यूयॉर्क शहर। एक तरफ वुहान से इतनी दूर स्थित न्यूयॉर्क में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 3.96 लाख से भी ज्यादा है। मौतों का आंकड़ा भी 30 हजार के ऊपर है। लेकिन, ताइवान में, सिर्फ 453 केस और 7 मौत। खास बात ये भी है कि कोरोना को फैलने से रोकने के लिए यहां टोटल लॉकडाउन नहीं लगाया गया था। सिर्फ स्कूल-कॉलेज और सार्वजनिक कार्यक्रमों पर ही रोक लगाई गई थी। वो भी कुछ समय के लिए। लेकिन, ये सब कैसे हुआ? तो इसका कारण है ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन। साई ताइवान की पहली महिला राष्ट्रपति हैं। साई मई 2016 में पहली बार राष्ट्रपति बनीं और जनवरी 2020 में दूसरी बार। साई ने तुरंत फैसले लिए और कोरोना जैसी महामारी से निपट लिया।साई इंग-वेन ताइवान की पहली महिला राष्ट्रपति हैं। उन्होंने 2012 का चुनाव भी लड़ा था, लेकिन हार गईं। बाद में 2016 का चुनाव भी जीता और 2020 का भी। 1) जिस डॉक्टर की चेतावनी चीन ने नजरअंदाज की, ताइवान ने उसे माना डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, कोरोनावायरस का पहला मरीज 8 दिसंबर को चीन के वुहान शहर में मिला था। हालांकि, उस समय पता नहीं था कि ये कोरोनावायरस है। इसलिए उस समय इसे निमोनिया की तरह देखा गया। दिसंबर के आखिर में वुहान के एक अस्पताल में डॉक्टर ली वेनलियांग ने सबसे पहले कोरोनावायरस के बारे में बताया। पर चीन की सरकार ने ली को नजरअंदाज किया और उन पर अफवाहें फैलाने का आरोप भी लगाया। बाद में ली की मौत भी कोरोना से हो गई। उस समय ली की चैट के स्क्रीनशॉट भी वायरल हुए थे। जिसमें, उन्होंने निमोनिया की तरह एक नई बीमारी के बारे में आगाह किया था। जिस समय सारी दुनिया नए साल के जश्न की तैयारी कर रही थी, उसी समय 31 दिसंबर की शाम को ताइवान के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल ने नई बीमारी को लेकर अलर्ट जारी कर दिया। ली वेनलियांग, वुहान सेंट्रल हॉस्पिटल में डॉक्टर थे। उन्होंने ही सबसे पहले इस बीमारी के बारे में आगाह किया था। लेकिन, चीन की सरकार ने उन पर ही अफवाह फैलाने का आरोप लगा दिया। 2) जनवरी में ही चीन से आने-जाने वाली उड़ानों पर रोक लगा दी 31 दिसंबर को चीन में अचानक 27 मामले सामने आए थे। उसके बाद ताइवान सरकार ने एडवाइजरी जारी कर वुहान से आने वाले हर शख्स की स्क्रीनिंग शुरू कर दी। इसके साथ ही जो भी लोग पिछले 15 दिन में वुहान से लौटकर आए थे, उन सभी की निगरानी होने लगी। ताइवान में 21 जनवरी को कोरोना का पहला मरीज मिला। इसके बाद ही यहां की सरकार ने वुहान जाने वाले लोगों के लिए ट्रैवल एडवाइजरी जारी कर दी। और लोगों से बिना जरूरत बाहर न घूमने की अपील की। मामले बढ़ते देख सरकार ने 26 जनवरी को ही चीन से आने वाली और चीन जाने वाली सभी तरह की उड़ानों पर रोक लगा दी। साथ ही चीन से लौटने वाले हर शख्स के लिए क्वारैंटाइन गाइडलाइन जारी की। 3) मास्क की कमी न हो, इसलिए एक्सपोर्ट पर रोक लगाई; ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू किया मास्क की जरूरत को समझते हुए सरकार ने 24 जनवरी को ही मास्क के एक्सपोर्ट पर टेंपररी बैन लगा दिया। इस बैन को बाद में जून तक बढ़ा दिया गया। मास्क के एक्सपोर्ट पर बैन लगने और कोरोना के मामले बढ़ने के कारण लोगों में मास्क खरीदने की होड़ मच गई। इससे बचने के लिए 3 फरवरी को सरकार ने ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू कर दिया। दरअसल, यहां लोगों के पास नेशनल हेल्थ इंश्योरेंस कार्ड होता है। इसी का इस्तेमाल हुआ। जिनका कार्ड ऑड नंबर का था, वो लोग सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को मास्क खरीद सकते थे। और जिनका नंबर ईवन था, वो लोग मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को ही मास्क खरीद सकते थे। रविवार के दिन सभी को छूट थी।ये तस्वीर ताइवान की राजधानी ताइपेइ की एक जेल की है। देश में मास्क की कमी न हो, इसलिए जेल के कैदियों को भी मास्क बनाने का काम दिया गया। 4) मास्क नहीं पहनने पर 38 हजार रुपए से ज्यादा का फाइन लगाया ताइवान में लॉकडाउन नहीं लगा और यहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट जारी रहा। 31 मार्च को यहां के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर लिन चीआ-लुंग ने ट्रेन और बसों में यात्रा करने वाले सभी यात्रियों के लिए मास्क पहनना जरूरी कर दिया। 3 अप्रैल को सरकार ने साफ कह दिया कि जो भी बिना मास्क पहने बस-ट्रेन में यात्रा करने की कोशिश करेगा, उससे 15 हजार ताईवान डॉलर यानी करीब 38 हजार रुपए का फाइन वसूला जाएगा। 5) अपने देश में कमी न हो, इसलिए आत्मनिर्भर बना फरवरी में देश और दुनिया में कोरोना के मामले बढ़ने के बाद सरकार ने टोबैको एंड लिकर कॉर्पोरेशन और ताइवान शुगर कॉर्पोरेशन से एल्कोहल का प्रोडक्शन 75% बढ़ाने का आदेश दिया, ताकि सैनेटाइजेशन में इस्तेमाल हो सके। मार्च में सरकार ने डिजिटल थर्मामीटर के एक्सपोर्ट पर भी रोक लगा दी। इसी महीने यहां की राष्ट्रपति साई ने ताइवान की कंपनियों को पीपीई किट का मास प्रोडक्शन शुरू करने को कहा, ताकि अमेरिका से इम्पोर्ट न करना पड़े। इतना ही नहीं, 1 मई से यहां की सरकार ने हैंड सैनेटाइजर और डिसइन्फेक्टेंट का एक्सपोर्ट भी बंद कर दिया।ताइवान में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बंद नहीं किया गया। हालांकि, ट्रेन-बस में सफर करने पर यात्रियों को मास्क पहनना जरूरी है। मास्क नहीं पहनने पर बहुत भारी जुर्माना चुकाना पड़ता है। मेहनत का नतीजा : कई देश बोले- ताइवान मॉडल अपनाएंगे ये ताइवान की सरकार और यहां के लोगों की मेहनत का ही नतीजा था कि चीन के इतने नजदीक होने के बाद भी यहा 450 से भी कम केस और 10 से भी कम मौतें हुई हैं। कनाडा ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन ने कोरोना से निपटने पर ताइवान की तारीफ की। डेनमार्क के पूर्व प्रधानमंत्री एंडर्स फोग ने टाइम मैग्जीन में आर्टिकल के जरिए ताइवान के काम को सराहा। जर्मनी की फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता सैंड्रा बबेनडोर्फर-लिच ने भी ताइवान के काम को कमाल का बताया। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न ने तो ये तक कहा कि कोरोना से लड़ने के लिए उनकी सरकार ताइवान का मॉडल अपनाएगी। अमेरिका की टाइम मैग्जीन ने भी लिखा कि कोरोना से निपटने में ताइवान ने अमेरिका से ज्यादा बेहतर काम किया है।
नई दिल्ली. चीन के जिस वुहान शहर से कोरोनावायरस निकला, वहां से महज 950 किमी दूरी पर ताइवान की राजधानी ताइपेइ है। जबकि, वुहान से करीब 12 हजार किमी से भी ज्यादा दूर है, अमेरिका का न्यूयॉर्क शहर।
एक तरफ वुहान से इतनी दूर स्थित न्यूयॉर्क में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 3.96 लाख से भी ज्यादा है। मौतों का आंकड़ा भी 30 हजार के ऊपर है। लेकिन, ताइवान में, सिर्फ 453 केस और 7 मौत।
खास बात ये भी है कि कोरोना को फैलने से रोकने के लिए यहां टोटल लॉकडाउन नहीं लगाया गया था। सिर्फ स्कूल-कॉलेज और सार्वजनिक कार्यक्रमों पर ही रोक लगाई गई थी। वो भी कुछ समय के लिए।
लेकिन, ये सब कैसे हुआ? तो इसका कारण है ताइवान की राष्ट्रपति साई इंग-वेन। साई ताइवान की पहली महिला राष्ट्रपति हैं। साई मई 2016 में पहली बार राष्ट्रपति बनीं और जनवरी 2020 में दूसरी बार। साई ने तुरंत फैसले लिए और कोरोना जैसी महामारी से निपट लिया।
1) जिस डॉक्टर की चेतावनी चीन ने नजरअंदाज की, ताइवान ने उसे माना डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, कोरोनावायरस का पहला मरीज 8 दिसंबर को चीन के वुहान शहर में मिला था। हालांकि, उस समय पता नहीं था कि ये कोरोनावायरस है। इसलिए उस समय इसे निमोनिया की तरह देखा गया।
दिसंबर के आखिर में वुहान के एक अस्पताल में डॉक्टर ली वेनलियांग ने सबसे पहले कोरोनावायरस के बारे में बताया। पर चीन की सरकार ने ली को नजरअंदाज किया और उन पर अफवाहें फैलाने का आरोप भी लगाया। बाद में ली की मौत भी कोरोना से हो गई।
उस समय ली की चैट के स्क्रीनशॉट भी वायरल हुए थे। जिसमें, उन्होंने निमोनिया की तरह एक नई बीमारी के बारे में आगाह किया था। जिस समय सारी दुनिया नए साल के जश्न की तैयारी कर रही थी, उसी समय 31 दिसंबर की शाम को ताइवान के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल ने नई बीमारी को लेकर अलर्ट जारी कर दिया।
2) जनवरी में ही चीन से आने-जाने वाली उड़ानों पर रोक लगा दी 31 दिसंबर को चीन में अचानक 27 मामले सामने आए थे। उसके बाद ताइवान सरकार ने एडवाइजरी जारी कर वुहान से आने वाले हर शख्स की स्क्रीनिंग शुरू कर दी। इसके साथ ही जो भी लोग पिछले 15 दिन में वुहान से लौटकर आए थे, उन सभी की निगरानी होने लगी।
ताइवान में 21 जनवरी को कोरोना का पहला मरीज मिला। इसके बाद ही यहां की सरकार ने वुहान जाने वाले लोगों के लिए ट्रैवल एडवाइजरी जारी कर दी। और लोगों से बिना जरूरत बाहर न घूमने की अपील की।
मामले बढ़ते देख सरकार ने 26 जनवरी को ही चीन से आने वाली और चीन जाने वाली सभी तरह की उड़ानों पर रोक लगा दी। साथ ही चीन से लौटने वाले हर शख्स के लिए क्वारैंटाइन गाइडलाइन जारी की।
3) मास्क की कमी न हो, इसलिए एक्सपोर्ट पर रोक लगाई; ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू किया मास्क की जरूरत को समझते हुए सरकार ने 24 जनवरी को ही मास्क के एक्सपोर्ट पर टेंपररी बैन लगा दिया। इस बैन को बाद में जून तक बढ़ा दिया गया। मास्क के एक्सपोर्ट पर बैन लगने और कोरोना के मामले बढ़ने के कारण लोगों में मास्क खरीदने की होड़ मच गई।
इससे बचने के लिए 3 फरवरी को सरकार ने ऑड-ईवन फॉर्मूला लागू कर दिया। दरअसल, यहां लोगों के पास नेशनल हेल्थ इंश्योरेंस कार्ड होता है। इसी का इस्तेमाल हुआ। जिनका कार्ड ऑड नंबर का था, वो लोग सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को मास्क खरीद सकते थे। और जिनका नंबर ईवन था, वो लोग मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को ही मास्क खरीद सकते थे। रविवार के दिन सभी को छूट थी।
4) मास्क नहीं पहनने पर 38 हजार रुपए से ज्यादा का फाइन लगाया ताइवान में लॉकडाउन नहीं लगा और यहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट जारी रहा। 31 मार्च को यहां के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर लिन चीआ-लुंग ने ट्रेन और बसों में यात्रा करने वाले सभी यात्रियों के लिए मास्क पहनना जरूरी कर दिया।
3 अप्रैल को सरकार ने साफ कह दिया कि जो भी बिना मास्क पहने बस-ट्रेन में यात्रा करने की कोशिश करेगा, उससे 15 हजार ताईवान डॉलर यानी करीब 38 हजार रुपए का फाइन वसूला जाएगा।
5) अपने देश में कमी न हो, इसलिए आत्मनिर्भर बना फरवरी में देश और दुनिया में कोरोना के मामले बढ़ने के बाद सरकार ने टोबैको एंड लिकर कॉर्पोरेशन और ताइवान शुगर कॉर्पोरेशन से एल्कोहल का प्रोडक्शन 75% बढ़ाने का आदेश दिया, ताकि सैनेटाइजेशन में इस्तेमाल हो सके।
मार्च में सरकार ने डिजिटल थर्मामीटर के एक्सपोर्ट पर भी रोक लगा दी। इसी महीने यहां की राष्ट्रपति साई ने ताइवान की कंपनियों को पीपीई किट का मास प्रोडक्शन शुरू करने को कहा, ताकि अमेरिका से इम्पोर्ट न करना पड़े।
इतना ही नहीं, 1 मई से यहां की सरकार ने हैंड सैनेटाइजर और डिसइन्फेक्टेंट का एक्सपोर्ट भी बंद कर दिया।
मेहनत का नतीजा : कई देश बोले- ताइवान मॉडल अपनाएंगे ये ताइवान की सरकार और यहां के लोगों की मेहनत का ही नतीजा था कि चीन के इतने नजदीक होने के बाद भी यहा 450 से भी कम केस और 10 से भी कम मौतें हुई हैं।
कनाडा ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन ने कोरोना से निपटने पर ताइवान की तारीफ की। डेनमार्क के पूर्व प्रधानमंत्री एंडर्स फोग ने टाइम मैग्जीन में आर्टिकल के जरिए ताइवान के काम को सराहा।
जर्मनी की फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता सैंड्रा बबेनडोर्फर-लिच ने भी ताइवान के काम को कमाल का बताया। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा आर्डर्न ने तो ये तक कहा कि कोरोना से लड़ने के लिए उनकी सरकार ताइवान का मॉडल अपनाएगी।
अमेरिका की टाइम मैग्जीन ने भी लिखा कि कोरोना से निपटने में ताइवान ने अमेरिका से ज्यादा बेहतर काम किया है।